Gorakhpur Railway Station: विश्व के सबसे लंबे प्लेटफार्म पर पसरा सन्नाटा, छिन गई कुलियों की रोजी-रोटी
विश्व के सबसे लंबे प्लेटफार्म से चहल-पहल गायब हो गई है। बाहर कोई जा नहीं रहा। दिल्ली मुंबई और सूरत से लोग आ तो रहे हैं लेकिन उनके मुरझाए चेहरों को देख अपनी भूख भी मर जाती है। अधिकतर अपना सामान खुद पीठ पर रख लेते हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। सोमवार को अपराह्न दो बजे के आसपास फर्स्ट क्लास गेट के सामने उदास बैठे कुली हरेंद्र चौधरी की आंखें यात्रियों को निहार रही थीं। कोई ग्राहक मिल जाता तो कम से कम दिन के भोजन की व्यवस्था हो जाती। मेवालाल की चिंता भी माथे पर झलक रही थी। कुरेदने पर दोनों एक साथ बोल पड़े। क्या करें साहब, अब तो स्टेशन आने का मन ही नहीं करता। चहल-पहल गायब हो गई है। बाहर कोई जा नहीं रहा। दिल्ली, मुंबई और सूरत से लोग आ तो रहे हैं लेकिन उनके मुरझाए चेहरों को देख अपनी भूख भी मर जाती है। अधिकतर अपना सामान खुद पीठ पर रख लेते हैं। कुछ बुलाते हैं तो उनसे किराया मांगने का मन ही नहीं करता है।
ग्राहक नहीं मिलने से घर बैठ गए हैं कुली
यह दर्द सिर्फ हरेंद्र और मेवालाल की ही नहीं बल्कि दर्जनों कुलियों का है। जिन्हें रेलवे स्टेशन आने की इच्छा तो नहीं होती लेकिन अपनी रोजी- रोटी सलामत रखने व यात्रियों की सेवा के लिए रोजाना पहुंच जाते हैं। कोरोना ने बाहर जाकर कमाने वाले कामगारों की ही नहीं, बल्कि गोरखपुर जंक्शन पर यात्रियों का सामान ढोकर घर का चूल्हा जलाने वाले 184 लाइसेंसधारी कुलियों की रोजी-रोटी भी छीन ली है। जनपद के दूर-दराज गावों व बिहार के रहने वाले करीब 150 कुली तो घर चले गए हैं। शेष 30 से 34 कुली प्रतिदिन आते हैं और स्टेशन पर घूम-फिर कर चले जाते हैं। किसी दिन 100 तो किसी दिन 150 रुपये की कमाई हो जाती है। जबकि, सामान्य दिनों में सभी कुलियों की लगभग 500 से 700 रुपये तक की कमाई हो जाती थी।
भूखो रहने की नौबत
बकौल अनिल और सुनील कुमार, विश्व के सबसे लंबे प्लेटफार्म पर सन्नाटा पसरा है। अब तो न यात्री मिल रहे और न कमाई हो रही। घर चलाने की कौन कहे, पेट भरना मुश्किल हो गया है। इस आस में स्टेशन आते हैं कि फिर से रौनक बढ़ेगी। स्टेशन दोबारा गुलजार होगा। सामान्य दिनों में गोरखपुर जंक्शन से प्रतिदिन डेढ लाख लोग आवागमन करते थे। आज यह संख्या 22 से 23 हजार पर आकर सिमट गई है।
मुख्यमंत्री की घोषणा ने जगाई कुलियों की उम्मीद
पिछले साल कोराना की पहली लहर में कुलियों को भी दिहाड़ी मजदूर मानते हुए राज्य सरकार की तरफ से एक हजार रुपये भरण-पोषण भत्ता मिला था। कोरोना की दूसरी लहर में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिहाड़ी मजदूरों को भरण-पोषण भत्ता देने की घोषणा की है। ऐसे में कुलियों की आस फिर से जग गई है।
कुली संघ के अध्यक्ष शहाबुद्दीन कहते हैं कि, इस वर्ष भी मुख्यमंत्री की घोषणा ने कुछ राहत पहुंचाई है। रेलवे प्रशासन तो सुधि ही नहीं लेता। मांग करने के बाद भी 60 रुपये सालाना लगने वाला लाइसेंस भी माफ नहीं किया है। कुली विश्रामालय की दशा बदहाल है। गर्मी में भी पीने का पानी और पंखा की व्यवस्था नहीं है। विश्रामालय में भी कुली विश्राम नहीं कर पाते हैं।