दुकानदार ने दारोगा को मुफ्त में नहीं दिए कपड़े तो थाने में ले जाकर तीन दिनों तक पीटा
दुकानदार ने मुफ्त में कपड़े नहीं दिए तो एक दारोगा ने उसे थाने में बुलाकर तीन दिनों तक पीटा। उसकी बहन ने यह आरोप लगाकर वीडियो वायरल किया तो पुलिस कर्मियों ने उसे धारा 151 में चालान करके छोड़ दिया।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता : दुकानदार ने मुफ्त में कपड़े नहीं दिए तो कोतवाली के एक दारोगा ने उसे थाने में बुलाकर तीन दिनों तक पीटा। उसकी बहन ने यह आरोप लगाकर वीडियो वायरल किया तो पुलिस कर्मियों ने उसे धारा 151 में चालान करके छोड़ दिया। यह आरोप है कोतवाली क्षेत्र के मियां बाजार की शिवानी यादव का है। उसका कहना है कि भाई रोहित यादव की शाहपुर के असुरन बाजार के पास कपड़े की दुकान है। वहां से करीब छह माह पूर्व एक दारोगा ने मुफ्त में कपड़े ले लिए थे। उनके भाई ने इसकी शिकायत ऊपर की तो दारोगा को रुपये लौटाने पड़े थे। इस बात को लेकर दारोगा खुन्नस में है। बाद में उसकी तैनाती कोतवाली थाने में हो गई।
18 जुलाई को बदमाशाें ने लूट ली भाई की बाइक
शिवानी ने कहा कि बीते 18 जुलाई को कालीमंदिर के पास से उसके भाई की बाइक बदमाशों ने लूट ली। पुलिस ने लूट का मुकदमा दर्ज किया और इसकी जांच उसी दारोगा को मिल गई, जो पहले शाहपुर में तैनात थे। दारोगा ने जांच के नाम पर उसे थाने बुलाया और तीन दिनों तक उसे जमकर पीटा। यहां तक उसे खाना भी नहीं देने दिया। शिवानी ने कहा कि इसका एक वीडियो बनाकर उसने इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर दिया तो पुलिस ने शांतिभंग की आशंका में उसका चालान कर दिया। शिवानी ने बताया कि अब उसके भाई की तबीयत बिगड़ गई। उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल लाया गया, लेकिन चिकित्सक पुलिस प्रताड़ना के आरोप में उसे अस्पताल में भर्ती करने को तैयार नहीं हैं। वह इसे एक्सीडेंट का मामला बता रहे हैं। शिवानी ने एसएसपी दिनेश कुमार पी से मांग की है कि मामले की जांच कर आरोपित दारोगा के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
थाने का पूर्व हिस्ट्रीशीटर है रोहित
प्रभारी निरीक्षक कोतवाली कल्याण सिंह सागर ने बताया कि रोहित थाने का पूर्व हिस्ट्रीशीटर है। वह पहले भी कई मामलों में जेल जा चुका है। बाइक लूट की बात सही है, लेकिन रोहित थाने में लूट का मुकदमा दर्ज कराने खुद नहीं आया था, बल्कि उसने अपने दोस्तों को भेजकर मुकदमा दर्ज कराया था। इस मामले की जांच के लिए उसे थाने बुलाया जा रहा था, लेकिन वह थाने पर नहीं आया। ऐसे में उसे किसी तरह से थाने पर लाया गया। पूछताछ की गई। शांतिभंग की आशंका में उसका चालान किया गया। चालान के दौरान उसने पुलिस पर कोई आरोप नहीं लगाया। अब वह मनगढ़ंत आरोप लगा रहा है।