Manish Gupta Murder Case: भारत में हो रही थी तलाश, नेपाल में छिपा था इंस्पेक्टर जगत नारायण
Manish Gupta Murder Case हत्यारोपित इंस्पेक्टर जगत नारायण की तलाश भले भारतीय क्षेत्रोंं में हो रही थी लेकिन वह मजे से नेपाल में छिपा हुआ था। इसमें एक ट्रेवेल एजेंसी संचालक ने उसकी मदद की थी। जगत नारायण नेपाल से ही अपने बचाव की रणनीति तैयार कर रहा था।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कुख्यात इंस्पेक्टर जगत नारायण की तलाश भले भारतीय क्षेत्रोंं में हो रही थी, लेकिन वह मजे से नेपाल में छिपा हुआ था। इसमें एक ट्रेवेल एजेंसी संचालक ने उसकी मदद की थी। उसी के कहने पर हत्यारोपितों की तलाश में जुटी टीमों ने अक्षय मिश्रा के छोटे बेटे विक्की मिश्रा को लेकर दबाव बनाया तो दारोगा अक्षय मिश्रा व इंस्पेक्टर जगत नारायण दोनों नाटकीय अंदाज में रामगढ़ताल थाने से मात्र 500 मीटर की दूरी पर पहुंच गए और पुलिस ने उन्हें दबोच लिया।
एसआइटी को भी मिले थे जगत नारायण के नेपाल में छिपे होने के संकेत
बीते 27 सितंबर की रात तारामंडल स्थित होटल कृष्णा पैलेस में मनीष गुप्ता की मौत हुई थी और घटना के तीसरे दिन मामले की विवेचना क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई थी। क्राइम ब्रांच ने जब सर्विलांस व जगत नारायण के जरिये उसका लोकेशन निकलवाया तो वह नेपाल की तरफ निकला। बीते एक अक्टूबर की रात में क्राइम ब्रांच की टीम महराजगंज जिले में जाने वाली थी। महराजगंज से नेपाल सीमा सटी हुई है। क्राइम ब्रांच की तैयारी थी कि जिसके जरिये जगत नारायण नेपाल गया था, उस पर दबाव बनाकर जगत नारायण को गिरफ्तार करना। क्राइम ब्रांच की टीम कुछ कर पाती, इससे पहले ही मामला कानपुर एसआइटी (विशेष जांच दल) को स्थानांतरित हो गया था। बाद में एसआइटी की भी छानबीन में यह बाते संज्ञान में आईं कि दारोगा अक्षय मिश्रा को मनचाही पोस्टिंग दिलवाने में जगत नारायण की बड़ी भूमिका रही है। वह जिन-जिन जिलों में रहा है, वहांं अक्षय मिश्रा को अपने साथ ही रखता था। दोनों में इतनी पटती थी कि लखनऊ के चिनहट में दोनों ने आस-पास ही आलीशान मकान बनवाया है।
एक अक्टूबर की रात में ही क्राइम ब्रांच की टीम जाने वाले थी महराजगंज
जगत नारायण अधिकारियों से अपने संबंधों का लाभ दिलवाकर अक्षय मिश्रा को रेलवे स्टेशन चौकी इंचार्ज बनवा दिया था। रेलवे स्टेशन चौकी पर अक्षय मिश्रा डेढ़ वर्षों से अधिक समय तक तैनात रहा। इस चौकी के विषय में एक कहावत प्रचलित है कि यहां कोई भी चौकी प्रभारी छह माह से अधिक तैनात नहीं रह पाता, लेकिन जगत नारायण के संबंधों का लाभ अक्षय मिश्रा को मिला। रेलवे चौकी पर तैनाती के दौरान अक्षय मिश्रा के कई ट्रेवेल एजेंसी संचालकों से अच्छे संबंध हो गए थे। इनका नेपाल में भी अच्छा प्रभाव है। यह आये दिन अपने पर्यटकों को नेपाल के विभिन्न टूरिस्ट प्लेसों पर ठहराते हैं। इनमें से एक ट्रेवेल एजेंसी संचालक की मदद लेकर दोनों नेपाल में जाकर छिप गए थे। एसआइटी को ट्रेवेल एजेंसी संचालक पर संदेह हुआ तो उसने पूछताछ में ट्रेवेल एजेंसी संचालक को बुलाया भी था। उसी के स्रोत से जानकारी मिली कि अक्षय मिश्रा अपने छोटे बेटे के संपर्क में हैं। ऐसे में जब टीम ने अक्षय मिश्रा के छोटे बेटे को उठाया तो अक्षय मिश्रा के साथ बांसगांव के थाना प्रभारी राणा देवेंद्र प्रताप सिंह को जगत नारायण बोनस में मिल गया। दोनों की गिरफ्तारी से लोग चकित हैं कि जिनकी तलाश में एसटीएफ सहित कानपुर व गोरखपुर की 16 टीमें लगी हुई हों, वह बांसगांव थाना टीम के हत्थे चढ़ गया, वह भी थाने से मात्र 500 मीटर की दूरी पर।
नेपाल से सेटिंग बैठा रहा था जगत नारायण
चर्चा है कि जगत नारायण नेपाल से ही अपने बचाव की रणनीति तैयार कर रहा था। वह अपने संपर्कों के जरिये सुरक्षा एजेंसियों की प्रत्येक गतिविधियों की जानकारी ले रहा था। नेपाल से ही उसने विधि के जानकारों से कानूनी सलाह ली थी और जब होटल के कमरे की फोटो सामने आई तो उसे लगा कि आरोपित दारोगा विजय यादव तो फोटो में दिख ही नहीं रहा था, जबकि वह उस समय कमरे में फोटो ले रहा था। ऐसे में जगत नारायण ने ही विजय को हाईकोर्ट भेजा था। ताकि वह हाईकोर्ट जाकर अरेस्ट स्टे ले सके और उसी को आधार बनाकर अन्य आरोपित भी अरेस्ट स्टे ले सकें। लेकिन विजय जब हाईकोर्ट पहुंचा तो वहां दशहरे की छुट्टियां शुरू हो गईं।