गुलजार हुआ मगरमच्छों का आशियाना, 10 हेक्टेयर में फैला है ताल Gorakhpur News
दर्जिनिया ताल कड़ाके की ठंड में गुलजार है। इसके आंगन में अठखेलियां करने वाले मगरमच्छ सबका मन मोह ले रहें हैं। जिस ताल में कभी चंद मगरमच्छ रहते थे आज उनकी संख्या बढ़ते-बढ़ते पांच सौ पहुंच गई है।
गोरखपुर, जेएनएन: महराजगंज में मगरमच्छों का घर कहा जाने वाला दर्जिनिया ताल कड़ाके की ठंड में गुलजार है। इसके आंगन में अठखेलियां करने वाले मगरमच्छ सबका मन मोह ले रहें हैं। जिस ताल में कभी चंद मगरमच्छ रहते थे, आज उनकी संख्या बढ़ते-बढ़ते पांच सौ पहुंच गई है। मगरमच्छों को करीब से देखकर उनकी गतिविधियों को जानने- समझने वाले प्रकृति प्रेमी अब यहां लंबा समय गुजार रहें हैं। प्रकृति की गोद में बसे दर्जिनिया ताल में तीन हेक्टेयर क्षेत्रफल में पानी व सात हेक्टेयर भूभाग वेटलैंड (दलदली भूमि) है।
10 टापुओं पर अठखेलियां करते हैं मगरमच्छ
पानी के बीचोबीच ताल में 10 टापू बनाए गए हैं। बालू के ढेर से बने इन टापुओं पर दिन निकलने पर मगरमच्छों का आना शुरू हो जाता है। शाम होने से पहले जब तक धूप रहती है , मगरमच्छ अपने कुनबे के साथ इस पर वक्त गुजारते हैं। मगरमच्छों को देखने के इच्छुक पर्यटकों को समय का विशेष ध्यान देना चाहिए। ठंड के समय दिन में धूप निकलने पर व गर्मी में सुबह व शाम मगरमच्छ टापू पर निकलते हैं।
इको टूरिज्म का बेहतर केंद्र बना सोहगीबरवा वन क्षेत्र
सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग पर्यावरण के साथ पर्यटन का बेहतर केंद्र बनता जा रहा है। प्रकृति को नजदीक से जानने-समझने वाले लोग यहां वक्त गुजार रहे हैं। बात चाहे टेलफाल के पास डालफिन व घड़ियाल देखने की हो या फिर दर्जिनिया ताल के मगरमच्छों की। हर तरफ पर्यटकों को प्रकृति को जानने-समझने का बेहतर मौका मिलता है।
दिनोंदिन विकसित हो रहा ताल
बार्डर एरिया डवलपमेंट प्रोग्राम के अंतर्गत दर्जिनिया ताल का सुंदरीकरण कराया गया है। ताल के किनारे चार सौ मीटर बंधे का कार्य कराया गया है। यहां पर अनाधिकृत रूप से लोग प्रवेश न कर पाएं, इसके लिए नहर व ताल के बीच कटीले तार लगाकर ताल को सुरक्षित किया गया हैं।
ताल को और विकसित करने की हो रही पहल
सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ पुष्प कुमार ने कहा कि दर्जिनिया ताल सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है। मगरमच्छों के बारे में जानने-समझने वाले लोग यहां बड़ी संख्या में पहुंच रहें हैं। ताल में मगरमच्छों की संख्या पांच सौ हो चुकी है। ताल को और विकसित करने की पहल हो रही है।