आजादी के बाद से देश की बदली तस्वीर, निवेशों की बाढ़

कप्तानगंज विकासखंड के रानीपुर गांव निवासी 80 वर्षीय सेवानिवृत्त व्यायाम शिक्षक शिवपूजन वर्मा बताते हैं कि तब और अब में बड़ा अंतर है । स्वतंत्रता के पहले जब मैं चार-पांच साल का था। केवल इतना याद आता है कि यदि अंग्रेज के घोड़ों की आहट सुनाई पड़ जाती थी तो लोग अपने घरों में दुबक जाते थे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Aug 2021 07:34 AM (IST) Updated:Sun, 15 Aug 2021 07:34 AM (IST)
आजादी के बाद से देश की बदली तस्वीर, निवेशों की बाढ़
आजादी के बाद से देश की बदली तस्वीर, निवेशों की बाढ़

बस्ती: स्वतंत्रता के बाद देश के विकास की कहानी काफी साधारण रही। पीवी नरसिम्हा राव सरकार के कार्यकाल में आए उदारीकरण के दौर के बाद निजी और विदेशी दोनों तरह के निवेशों की बाढ़ आ गई। यह देश को प्रगति के एक सही राह पर लेकर आया। पेश है देश की आजादी से लेकर विकास के अब तक के सफर पर प्रतिक्रिया-

कुदरहा विकास क्षेत्र के छरदही निवासी राज्यपाल पुरस्कार से पुरस्कृत 77 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक फूलचंद दुबे का कहना है कि पहले शिक्षा का अभाव था। लोग खेती में अधिक रुचि रखते थे। उस समय गरीब और अमीर परिवार के बीच काफी अंतर था। शिक्षा के लिए स्कूल का अभाव था। साथ ही साथ क्षेत्र में मूलभूत सुविधाएं नहीं थी। आने जाने के लिए मार्ग भी नही था। हम लोग पढ़ाई करने के लिए पैदल कलवारी जाते थे। श्रीराम जानकी मार्ग पर धूल उड़ती थी, लेकिन आज राष्ट्रीय राजमार्ग के नाम से जाना जाता है। कप्तानगंज विकासखंड के रानीपुर गांव निवासी 80 वर्षीय सेवानिवृत्त व्यायाम शिक्षक शिवपूजन वर्मा बताते हैं कि तब और अब में बड़ा अंतर है । स्वतंत्रता के पहले जब मैं चार-पांच साल का था। केवल इतना याद आता है कि यदि अंग्रेज के घोड़ों की आहट सुनाई पड़ जाती थी तो लोग अपने घरों में दुबक जाते थे। आज स्थिति यह है कि गांव में बड़े से बड़े अधिकारी के आने पर भी कोई किसी प्रकार का डर व संकोच नहीं करता। जब देश स्वतंत्र हुआ तो लोगों की प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन तब देश में संसाधनों का घोर अभाव था। मगर धीरे-धीरे अभाव खत्म हुआ। लोगों को मूलभूत सुविधाएं मिलने लगी। कुदरहा विकासखंड के मेहनौना गांव के 91 वर्षीय पारसनाथ सिंह बताते हैं कि जब देश आजाद हुआ तो वह करीब 19 वर्ष के थे। अपने आंखों के सामने अग्रेजों की तानाशाही देखे। देश आजाद होने पर संसाधनों की काफी कमी थी। न ही शिक्षा व्यवस्था थी न ही रोजगार के अवसर। देश गरीबी से जूझ रहा था, लेकिन धीरे-धीरे स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार की व्यवस्था बेहतर होती चली गई। जहां पहले चलने के लिए सड़क नही थी आज वहां हाईवे पर पक्की सड़के बनी गई है। कुदरहा ब्लाक के पियारेपुर गांव निवासी 81 वर्षीय समाज सेवी हरीश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि आजादी के बाद देश की स्थिति बहुत दयनीय थी। गरीबों को भोजन मुहैया कराने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु द्वारा क्षेत्र की जनता को रोजगार देने के लिए ग्रामीण सड़क की पटाई शुरु कराई, जिससे उन्हें मजदूरी मिलती थी और वह भोजन का प्रबंध करते थे। नदियों को पार करने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था लेकिन अब नदियों ऊपर पुल बन जाने से काफी सुविधा हो गई है। आज देश चौमुखी विकास की चौखट पर खड़ा है। सल्टौआ विकासखंड के पिटाउट निवासी 78 वर्षीय सेवानिवृत्त प्रवक्ता करुणेश पांडेय ने बताया कि देश की प्रगति के लिए बेहतर शिक्षा, सड़क, बिजली की आवश्यकता होती है। देश ने हर क्षेत्र में उन्नति की है, लेकिन संस्कृति का लोप हो रहा है, जो बहुत ही घातक है। पहले देश में मूलभूत सुविधाओं को अभाव था पर अब मूलभूत सुविधाओं का अभाव काफी कम हुआ है। अब शिक्षा क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों में देश ने काफी तरक्की की है। सल्टौआ विकासखंड के साड़ी हिच्छा निवासी 75 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक परमेश्वर यादव ने बताया कि आजाद देश में जन्म लेना और उसके लिए जीना मानव की सबसे बड़ी उपलब्धि है। पूर्वजों ने संघर्ष किया बलिदान दिया और देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराया। आजाद देश के साथ जीवन का सात दशक से अधिक समय बीत चुका है। इतनी लंबी अवधि में देश ने हर तरह संकट का सामना किया। आपातकाल जैसी स्थितियों को भी जनता ने झेला लेकिन जिस तरह से सारे अभाव और संकट से जूझते हुए देश के विकास की गति को आगे बढ़ाया वह सराहनीय है। आज देश चौमुखी विकास की ओर अग्रसर है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत मजबूती से अपना प्रभाव स्थापित किया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, सुरक्षा, कुपोषण आदि क्षेत्रों में काम हुआ है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

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