सिद्धार्थनगर में बोले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मेडिकल कालेज खुलने से राेजगार के मिलेंगे अवसर
केंद्रीय स्वास्थ्य रसायन एवं उर्वरक मंत्री डा. मनसुख मांडविया ने सिद्धार्थनगर में 25 अक्टूबर को कहा कि प्रधानमंत्री की दूरदर्शी साेच हर जिले में एक मेडिकल कालेज की है। देश में हेल्थ को डेवलपमेंट से पहली बार जोड़ा गया है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। केंद्रीय स्वास्थ्य, रसायन एवं उर्वरक मंत्री डा. मनसुख मांडविया ने सिद्धार्थनगर में 25 अक्टूबर को कहा कि प्रधानमंत्री की दूरदर्शी साेच हर जिले में एक मेडिकल कालेज की है। देश में हेल्थ को डेवलपमेंट से पहली बार जोड़ा गया है। सात साल पहले देश में हेल्थ बजट 33 हजार करोड़ रुपये था और सात साल में ही इसमें आठ गुना वृद्धि हुई है। सरकार इस साल हेल्थ सेक्टर पर सवा दो लाख करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है।
मेडिकल कालेज के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे केंद्रीय मंत्री
मांडविया सिद्धार्थनगर के बीएसए ग्राउंड में प्रधानमंत्री मोदी के हाथों प्रदेश के नौ नए राजकीय मेडिकल कालेजों के शुभारंभ अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कभी बड़े राज्यों में नौ उससे कम ही मेडिकल कालेज होते थे। अब यूपी में एक ही दिन में नौ मेडिकल कालेज जनता को समर्पित हो रहे हैं। इससे लोगों को इलाज की सर्वोत्तम सुविधा मिलेगी तो युवाओं को डाक्टर बनने का अवसर भी मिलेगा।
मेडिकल कालेज के निर्माण के साथ ही तैयार होता है इको सिस्टम
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जहां भी मेडिकल कालेज का निर्माण होता है वहां एक इको सिस्टम भी तैयार होता है। रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं। बुद्ध कहते थे, आपके कर्म आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करते हैं। ये मेडिकल कालेज आने वाली कई पीढ़ियों की सेवा का माध्यम बनेंगे। प्रधानमंत्री ने नेशनल मेडिकल कमीशन का गठन कर इसे एक नई गति दी है। पूरे देश में 157 मेडिकल कालेज खोले जा रहे हैं। 2013-14 में देश में मेडिकल यूजी की 51 हजार सीटें थीं, जिसमें सात साल में 32 हजार की वृद्धि हुई है। पीजी की सीटें 31 हजार थीं जो आज 55 हजार हो गई हैं।
सात साल में 66 हुई मेडिकल कालेजों की संख्या
2013-14 में उत्तर प्रदेश में कुल 30 मेडिकल कालेज सरकारी व प्राइवेट मिलाकर थे। सात साल में यह संख्या 66 पर पहुंच गई है। यहां यूजी की सीटें दोगुनी हुई हैं तो पीजी की 18 गुना बढ़ी हैं। 2013-14 में उत्तर प्रदेश में पीजी की 148 सीटें ही थीं, आज इनकी संख्या 2800 से अधिक है।
डब्ल्यूएचओ के मानक से अधिक हैं डाक्टर
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डब्ल्यूएचओ कहती है की प्रति एक हजार की आबादी पर एक डाक्टर होना चाहिए। आज एमबीबीएस और आयुष मिलाकर प्रति 850 की आबादी पर एक डाक्टर उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि ये नए मेडिकल कालेज हेल्थ के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिखने को तैयार है।