गणपति की महिमा पर होगा कल्याण का नया विशेषांक Gorakhpur News
कल्याण का प्रथम विशेषांक भगवन्नामांक गीताप्रेस से प्रकाशित हुआ। कल्याण के अब तक 94 विशेषांक व 1124 साधारण अंकों की कुल लगभग 16 करोड़ 40 लाख प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। इसकी लोकप्रियता यह है कि पाठकों की मांग पर कई विशेषांकों के अनेक संस्करण प्रकाशित करने पड़े।
गोरखपुर, जेएनएन। गीताप्रेस से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका 'कल्याण का आगामी वर्ष का विशेषांक गणपति की महिमा पर आधारित होगा। मुख्यत: सभी सामग्री गणेश पुराण से ली जाएगी। तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। सामग्री का चयन किया जा रहा है। इसके लिए कर्मचारी लगा दिए गए हैं। प्रेस ने कल्याण का रेट नहीं बढ़ाया है। आगामी वर्ष में भी इसके विशेषांक सहित सभी 12 अंक 250 रुपये में पाठकों को मिल सकेंगे।
1926 में निकला था कल्याण का पहला अंक
गीताप्रेस की स्थापना से पूर्व कल्याण का प्रकाशन शुरू हो गया था। दिल्ली में अप्रैल 1926 में आयोजित मारवाड़ी अग्रवाल सभा के आठवें अधिवेशन में घनश्याम दास बिड़ला ने भाईजी हनुमान प्रसाद पोद्दार को अपने विचारों व सिद्धांतों की एक पत्रिका निकालने की सलाह दी। गीताप्रेस के संस्थापक सेठजी जयदयाल गोयंदका की सहमति से 22 अप्रैल 1926 को पत्रिका का नाम 'कल्याण निश्चित किया गया। इसी वर्ष भाईजी के संपादकत्व में 'कल्याण का प्रथम साधारण अंक मुंबई से प्रकाशित हुआ।
अब तक 94 विशेषांक प्रकाशित
1923 में गोरखपुर में गीताप्रेस की स्थापना हो चुकी थी। सेठजी के अनुरोध पर भाईजी 1927 में गोरखपुर आ गए। दूसरे वर्ष 'कल्याण का प्रथम विशेषांक 'भगवन्नामांक गीताप्रेस से प्रकाशित हुआ। 'कल्याण के अब तक 94 विशेषांक व 1124 साधारण अंकों की कुल लगभग 16 करोड़ 40 लाख प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। इसकी लोकप्रियता यह है कि पाठकों की मांग पर कई विशेषांकों के अनेक संस्करण प्रकाशित करने पड़े।
इन अंकों के प्रकाशित हुए अनेक संस्करण
आरोग्य अंक
श्रीभक्तमाल अंक
ज्योतिषतत्वांक
श्रीहनुमान अंक
वेद कथांक
शिव पुराण अंक
संक्षिप्त पद्मपुराण अंक
श्रीमद्देवी भागवत अंक
संक्षिप्त गरुण पुराण अंक
संक्षिप्त भविष्य पुराण अंक
अगले वर्ष होगा गणेश पुराणांक का प्रकाशन
गीता प्रेस के ट्रस्टी देवीदयाल अग्रवाल का कहना है कि अगले वर्ष 'कल्याण का गणेशपुराणांक प्रकाशित किया जाएगा। इसकी तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है। ताकि जनवरी के पूर्व विशेषांक का प्रकाशन कर दिया जाए। कुल दो लाख प्रतियां प्रकाशित की जाएंगी।