यूपी के पांच ज‍िलों पहचान बनेगा कालानमक, थाली संग अब जेब भी महकाएगा यह 'काला सोना'

New Black Salt Rice कालानमक की इन नई प्रजातियों पर गोरखपुर सिद्धार्थनगर बस्ती गोंडा बस्ती सिद्धार्थनगर संतकबीरनगर सहित आठ जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों पर परीक्षण चल रहा है। कालानमक की अब तक चार प्रजातियां किसान अपने खेतों में बोते रहे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 22 Aug 2021 08:30 AM (IST) Updated:Wed, 01 Sep 2021 12:00 AM (IST)
यूपी के पांच ज‍िलों पहचान बनेगा कालानमक, थाली संग अब जेब भी महकाएगा यह 'काला सोना'
कालानमक धान की नई प्रजात‍ि व‍िकस‍ित हो रही है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जितेंद्र पाण्डेय। New kalanamak Rice: अपनी खुश्बू, स्वाद व पोषक तत्वों को लेकर दुनियां भर में मशहूर कालानमक सिद्धार्थनगर सहित प्रदेश के पांच जिलों का पहचान बनेगा। प्रदेश सरकार ने इसे इन जिलों का एक जिला एक कृषि उत्पाद के रूप में चुना है। कालानमक की आने वाली नई प्रजातियां किसानों को अत्यधिक लाभ देंगी। इनकी महक भी पहले की तुलना में अधिक होगी। कालानमक की इन नई प्रजातियों पर गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोंडा, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर सहित आठ जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों पर परीक्षण चल रहा है। कालानमक की अब तक चार प्रजातियां किसान अपने खेतों में बोते रहे हैं। किसी भी प्रजाति का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल से अधिक नहीं है। नई प्रजातियां प्रति हेक्टेयर करीब 50 क्विंटल धान का पैदावार देंगी।

आईएआरआई से तैयार 10 लाइन पर चल रहा आठ जिलों में परीक्षण

कालानमक की खेती के लिए किसान आमतौर पर कालानमक तीन, कालानमक 101, कालानमक 102, कालानमक किरन प्रजातियाें का प्रयोग करते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के प्रभारी डा.एसके तोमर का कहना है कि इसमें कालानमक किरन का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल के करीब है।

अन्य प्रजातियों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 35 क्विंटल भी नहीं है। इसमें फसल के नुकसान होने का खतरा भी अधिक रहता है। ऐसे में किसान इसकी बुवाई कम करना चाहता है। उत्पादन की समस्या को ध्यान में रखकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली(आईएआरआई) ने अपने पूसा फार्म में सात वर्षों में कालानमक में जेनेटिक परिवर्तन के बाद दस लाइन(परीक्षणशील प्रजातियां) तैयार की हैं।

इन ज‍िलों में चल रहा है परीक्षण

इन लाइनों का अब गोरखपुर, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, देवरिया, मराजगंज जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों पर दो गुणे पांच मीटर के प्लाट पर इसका परीक्षण चल रहा है। परीक्षण सफल होने के बाइ इन लाइनों को प्रजाति की संज्ञा दे दी जाएगी। कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के प्रभारी का कहना है कि दिल्ली में इसका प्रयोग सफल रहा है। दिल्ली में इसके नतीजे भी अच्छे रहे हैं। बस्ती में पिछले वर्ष भी इसका परीक्षण हुआ था। परिणाम अच्छा रहा है। इस बार एक साथ आठ जिलों में इसका परीक्षण चल रहा है।

नये कालानमक में अधिक उत्पादन के साथ सुगंध(एरोमा) की मात्रा पहले की तुलना में अधिक है। पोषक तत्व अधिक हैं। ऐसे में इसके सेवन से लोगों की प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक मजबूत होगी।

कालानमक की इन लाइनों पर चल रहा परीक्षण

एएसजीएसटी-16

बौना कालानमक

एएसजीआइएसटी-26

केएन-03

एएसजीएसटी-39

पी-1176

एएसजीएसटी-11

एएसजीएसटी-34।

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