इस जिले में नाले के रूप में बदल गया बरूथनी नदी का स्वरूप, जमा है कूड़ा-कचरा Gorakhpur News
देवरिया जिले के रुद्रपुर उपनगर के उत्तरी छोर पर बहने वाली बरूथनी नदी अब नाले की शक्ल में बह रही है। नाले में सिल्ट और कूड़ा-कचरा जमा है। सिल्ट की सफाई न होने से बारिश के मौसम में पानी ओवरफ्लो होने लगता है।
गोरखपुर, जेएनएन : देवरिया जिले के रुद्रपुर उपनगर के उत्तरी छोर पर बहने वाली बरूथनी नदी अब नाले की शक्ल में बह रही है। नाले में सिल्ट और कूड़ा-कचरा जमा है। सिल्ट की सफाई न होने से बारिश के मौसम में पानी ओवरफ्लो होने लगता है। बरसात में जल का दबाव बढ़ने पर उपनगर के वार्डो में पानी प्रवेश कर जाता है। समीप के इलाकों में बरसात भर पानी जमा रहता है। नाले के किनारे टहलने के लिए घाट बना हैं। नाले की गंदगी से बदबू निकलती है। अगर नाले की सफाई करा दी जाती तो जलनिकासी के साथ अन्य समस्याओं से लोगों को मुक्ति मिल जाती।
अवैध अतिक्रमण के चलते नदी बदल गई नाले के स्वरूप में
केंद्र व सूबे की सरकार जीर्णोद्धार के लिए तमाम प्रयास कर रही है। पक्का घाट होते हुए आगे जाकर राप्ती में मिल जाता है। अवैध अतिक्रमण के चलते नाले के रूप में बदल गया। नगर के लोगों के घरों से निकला गंदा पानी नाले के रास्ते से होकर इसी में गिरता है । सिल्ट की सफाई न होने से गंदगी का अंबार लगा है। गंदगी से निकली बदबू से लोगों का निकलना मुश्किल हो जाता है। इसी नाले में गोरखपुर की सीमा से आने वाले कंपनियों का गंदा पानी भी इसी से होकर निकलता है। क्षेत्र के उमाशंकर शास्त्री, ब्रज बिहारी पांडेय, विनय यादव, रमेश जायसवाल, अनिल पटेल, सतीश जायसवाल का कहना है कि पहले लोग इसी में स्नान करते थे। अब बदबू के कारण लोगों ने नहाना ही छोड़ दिया। एसडीएम संजीव कुमार उपाध्याय ने कहा कि इसके सिल्ट स्तर की सफाई के लिए विभाग को निर्देश दिया जाएगा।
वर्षा जल संचयन की नजीर खुखुंदू बाजार का पोखरा
भलुअनी विकासखंड के खुखुंदू बाजार के बगल स्थित पोखरा वर्षा जल संचयन की नजीर है। चाहे कितनी भी गर्मी हो, लेकिन यह पोखरा कभी पानी विहीन नहीं रहता। हर मौसम में वर्षा जल से पोखरा लबालब भरा रहता है। पशु-पक्षियों और जलीय जीव जंतुओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। गांव के गोविंद प्रसाद ने पुरखों की परंपरा का निर्वहन करते हुए पोखरे का करीब बीस साल पहले जीर्णोद्धार कराया। बारिश का एक बूंद भी पानी बेकार नहीं हो जाता है और गर्मी में भी पोखरा सूखने नहीं पाता है, पहले पानी का जलस्तर कम हो जाता था। लोगों के घरों में लगाए गए हैंडपंप में पानी नीचे चला जाता था, लेकिन पोखरे में वर्ष भर पानी रहने से आसपास जलस्तर ठीक हो गया है।
सभी को करनी चाहिए वर्षा जल संचयन की पहल
सामाजिक कार्यकर्ता अजय शर्मा ने कहा कि भूगर्भ जल स्तर के संतुलन के लिए बारिश के जल का संरक्षण किया जाना आवश्यक है। जल संरक्षण कर आने वाली पीढ़ी को भी जल है तो कल है कि सीख दे सकते हैं। इसके लिए सभी लोगों को वर्षा जल संचयन के लिए पहल करनी चाहिए।