Coronavirus effect: बदला बाजार का व्यवहार, क्रेडिट खत्म नकद से कारोबार Gorakhpur News

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में औद्योगिक इकाई का संचालन करने वाले उद्यमियों का कहना है कि पहले कच्‍चा माल एक फोन पर फैक्ट्री तक आ जाता था और माल उतारने के बाद उसका भुगतान किया जाता था।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 12:55 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 07:07 PM (IST)
Coronavirus effect: बदला बाजार का व्यवहार, क्रेडिट खत्म नकद से कारोबार Gorakhpur News
गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण का प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, उमेश पाठक। मार्च 2020 से पूरे देश में लाक डाउन लगा तो अधिकतर औद्योगिक इकाइयां भी ठप हो गईं। अचानक बाजार बंद हो जाने से उद्यमियों का पैसा फंस गया तो उन्हें कच्‍चा माल भेजने वाली बड़ी इकाइयों को भी भुगतान के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। धीरे-धीरे जब फैक्ट्रियों में उत्पादन शुरू हुआ और बाजार अपनी गति पकडऩे लगा तो एक बड़ा बदलाव नजर आया। कोरोना महामारी से बचने के लिए अचानक हुए देशव्यापी बंदी ने नकदी के जरिये कारोबार को बढ़ावा दिया। बाजार का व्यवहार इस कदर बदला कि क्रेडिट प्रणाली खत्म होती जा रही है, उसकी जगह अब एडवांस भुगतान पर काम हो रहा है। स्टील, प्लास्टिक सहित लगभग हर ट्रेड पर इसका असर है।

पूरा भुगतान होने पर ही मिल रहा सामान

गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) में औद्योगिक इकाई का संचालन करने वाले उद्यमियों का कहना है कि पहले कच्‍चा माल एक फोन पर फैक्ट्री तक आ जाता था और माल उतारने के बाद उसका भुगतान किया जाता था। पर, लाकडाउन के बाद से ही स्थितियां बदलीं और बिना पूर्ण अग्रिम भुगतान हुए माल रवाना ही नहीं हो रहा है। स्थिति यह है कि यदि 15 लाख 20 हजार रुपये का कच्‍चा माल मंगाया है और 15 लाख का ही भुगतान कर पाए हैं तो भी माल नहीं भेजा जा रहा। कच्‍चे माल पर क्रेडिट समाप्त हुआ तो उससे  तैयार माल भी बाजार में तभी पहुंचता है जब व्यापारी पूरा भुगतान कर देते हैं। बाजार में नकद का कारोबार करीब 80 फीसद हो चुका है।

माल भले डंप रहे, क्रेडिट पर देने को तैयार नहीं

उद्यमी तैयार माल फैक्ट्री में रखने को तैयार हैं लेकिन क्रेडिट पर देने को तैयार नहीं हैं। एक बार फिर जब कोरोना पांच पसार रहा है तो उद्यमियों ने पूरी तरह नकद कारोबार पर ही ध्यान दिया है। उद्यमी एवं चैंबर आफ इंडस्ट्रीज के उपाध्‍यक्ष आरएन सिंह का कहना है कि पहले जहां 30 से 40 फीसद नकद का कारोबार होता था, वहीं यह 80 फीसद तक पहुंच गया है। जिन इकाइयों से क'चा माल क्रेडिट पर आता था, अब वहां से भी नहीं मिलता। एडवांस भुगतान के बाद ही माल दिया जा रहा है। यह बदलाव लाक डाउन में पूंजी फंसने के बाद चलन में आया है।

chat bot
आपका साथी