मस्जिद की छत के लिए नहीं जा पा रही थी मशीन, दुर्गा ने गिरा दी अपनी दीवार Gorakhpur News

संतकबीर नगर जिले के महुली के दुर्गा कांदू ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल पेश की। बेहद संवेदनशील इलाके में बन रही मस्जिद के लिए दुर्गा ने अपनी वर्षों पुरानी दीवार तोड़ दी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 17 Sep 2019 12:31 PM (IST) Updated:Tue, 17 Sep 2019 02:05 PM (IST)
मस्जिद की छत के लिए नहीं जा पा रही थी मशीन, दुर्गा ने गिरा दी अपनी दीवार Gorakhpur News
मस्जिद की छत के लिए नहीं जा पा रही थी मशीन, दुर्गा ने गिरा दी अपनी दीवार Gorakhpur News

गोरखपुर, राज नारायण मिश्र। संतकबीर नगर जिले के महुली के दुर्गा कांदू ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल पेश की। बेहद संवेदनशील इलाके में बन रही मस्जिद के लिए दुर्गा ने अपनी वर्षों पुरानी दीवार तोड़ दी। इतना ही नहीं मस्जिद के लिए उन्होंने कमेटी को तन, मन और धन से मदद करने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने कहा कि ईश्वर के रास्ते में फूल बिछाए जाते हैं, रास्ता नहीं रोका जाता। उनके इस कदम की पूरे क्षेत्र में चर्चा हो रही है।

नहीं लग पा रही थी मस्जिद की छत

जातीय वैमनस्यता और सांप्रदायिक तनाव की बात करने वालों के लिए महुली कस्बा के दुर्गा कांदू का उठाया कदम एक तमाचा है। कस्बे की सकरी जगह में बनी कादरी मस्जिद की दूसरे तल की छत नहीं लग पा रही थी। मौके पर न सामान पहुंच पा रहा था और न ही छत लगाने के लिए मशीन। मस्जिद कमेटी की इस दिक्कत की जानकारी जब दुर्गा को हुई तो उन्होंने अपनी दशकों पुरानी दीवार को तोड़कर मस्जिद तक जाने का रास्ता दे दिया। रविवार को उन्होंने अपने खर्च से अपनी दीवार गिरवाई।

परेशान थी पूरी कमेटी

मस्जिद बनवा रहे मौलाना अफरोज निजामी, मोहम्मद यूसुफ खान, हाजी मोहम्मद इसहाक व निजामुद्दीन कहते हैं कि दूसरी मंजिल की छत के लिए सामान नहीं पहुंच पा रहा था। जगह की कमी के चलते छत लगाने वाली मशीन नहीं पहुंच पा रही थी। पूरी कमेटी परेशान थी। लेकिन जब पड़ोस के दुर्गा कांदू को इसकी जानकारी हुई तो बिना देर किए उन्होंने कमेटी के सदस्यों से अपनी दशकों पुरानी दीवार तोड़कर मशीन पहुंचाने का पैगाम दिया।

चर्चा का विषय बनीं दुर्गा

दुर्गा कांदू की पहल ने सदस्यों के चेहरे पर खुशी की चमक बिखेर दी। इबादतगाह के निर्माण में दुर्गा के दिए इस महनीय योगदान की प्रशंसा होने लगी। लोगों की जुबान पर बस यही चर्चा रही कि दुर्गा की इस पहल ने सांप्रदायिक सौहार्द को एक नया मुकाम दिया है।

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