57 करोड़ की देनदारी के लिए बेची जाएगी बस्ती चीनी मिल की जमीन, 18 को होगी नीलामी Gorakhpur News
पिछले दो सत्र से बंद चल रही गोविंदनगर शुगर मिल वाल्टरगंज एवं 2013 में बंद हुई बस्ती शुगर मिल के विरुद्ध विभिन्न विभागों की ओर से 58 करोड़ 57 लाख 74 हजार रुपये की नोटिस भेजी जा चुकी है।
गोरखपुर, जेएनएन : बस्ती और वाल्टरगंज चीनी मिल पर श्रमिकों और गन्ना किसानों के बाकी 58 करोड़ की देनदारी चुकता करने के लिए अब बस्ती चीनी मिल की जमीन बेची जाएगी। इसके लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पिछले दो सत्र से बंद चल रही गोविंदनगर शुगर मिल ( ए यूनिट आफ फेनिल शुगर मिल लिमिटेड) वाल्टरगंज एवं 2013 में बंद हुई बस्ती शुगर मिल के विरुद्ध विभिन्न विभागों की ओर से 58 करोड़ 57 लाख 74 हजार रुपये की नोटिस भेजी जा चुकी है। इस बकाया धनराशि की वसूली के लिए सदर तहसील प्रशासन ने बस्ती मिल की जमीन को नीलाम करने का निर्णय लिया है।
जमीन की कुल कीमत 16 करोड़ रुपये
बस्ती मिल की कुर्कशुदा चल संपत्ति, जिसका मूल्य 25 करोड़ 79 लाख 83 हजार रुपये हैं। मिल की करमा गांव स्थित 9.18 हेक्टेयर जमीन का मूल्यांकन एक करोड़ पैंसठ लाख प्रति हेक्टेयर के दर से किया गया है। इस प्रकार जमीन की कुल कीमत लगभग 16 करोड़ रुपये है। बता दें कि 13 जुलाई, 2020 को बस्ती शुगर मिल के स्क्रैप की नीलामी हुई थी। इसके बाद अब मिल की अचल संपत्ति को नीलाम करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। एसडीएम सदर आशाराम वर्मा ने बताया कि बस्ती मिल के जमीन की नीलामी सदर तहसील में 18 फरवरी को दिन में दो बजे से की जाएगी। जो भी व्यक्ति, इसमें शमिल होना चाहे वह मूल्यांकन धनराशि का 10 फीसद डिमांड ड्राफ्ट के रूप में तहसीलदार सदर के नाम से जमा कर नीलामी में प्रतिभाग कर सकते हैं।
धनराशि की वसूली के लिए जमीन की नीलामी
जिला गन्ना अधिकारी रंजीत कुमार निराला ने कहा कि वाल्टरगंज मिल पर पेराई सत्र 2016-17 और 2017-18 का गन्ना किसानों का कुल 42 करोड़ रुपये बकाया है। अब यह ब्याज सहित 55 करोड़ 75 लाख हो गया है। तहसील प्रशासन बकाया धनराशि की वसूली के लिए बस्ती मिल के जमीन की नीलामी की कार्रवाई करने जा रहा है।
नीलामी का ड्रामा कर रहा तहसील प्रशासन
भाकियू के मंडल उपाध्यक्ष दीवान चंद्र पटेल ने बस्ती मिल के नीलामी प्रक्रिया को नाटक करार दिया। कहा कि प्रशासन ऐसा कई बार कर चुका है। जब-जब बकाया गन्ना मूल्य को लेकर किसान आंदोलित होतें हैं, तहसील प्रशासन नीलामी का दिखावा करता है। तहसील प्रशासन गंभीर होकर नीलामी की कार्रवाई करे, तभी किसानों का भला होगा।