अभिलेखागार में रखी हर फाइलों की हो रही पड़ताल, डीएम हो चुके हैं तलब, पुराने कर्मचारियों से हो सकती है पूछताछ Gorakhpur News
अभिलेखागार में रखी गईं हर एक फाइल को खोलकर उसकी पड़ताल की जा रही है। प्रशासन को अब भी उम्मीद है कि गायब फाइल को बरामद कर लिया जाएगा।
गोरखपुर, जेएनएन। अर्बन सीलिंग की फाइल खोजने का काम रविवार को अवकाश होने के कारण नहीं हो सका। जिला प्रशासन ने सोमवार को पुराने रिकार्ड में इस फाइल को एक बार फिर ढूंढने का कार्य शुरू कर दिया है। अभिलेखागार में रखी गईं हर एक फाइल को खोलकर उसकी पड़ताल की जा रही है। प्रशासन को अब भी उम्मीद है कि गायब फाइल को बरामद कर लिया जाएगा। अगर जरूरत पड़ी तो तत्कालीन कर्मचारियों को तलब कर पूछताछ की जाएगी। सोमवार से जांच में तेजी शुरू हो गई है।
क्या है मामला
सैमुअल की जिस 11003 वर्ग मीटर जमीन को लेकर इतना बवाल मचा है उस जमीन को विजय नाथ यादव ने खरीदा था। जमीन खरीदने के बाद विजय को जानकारी हुई कि जमीन सीलिंग में हैं। इसके बाद विजय ने वर्ष 2008 में इलाहाबाद हाइकोर्ट में मुकदमा दायर कर न्याय की गुहार लगाई। सुनवाई के दौरान हाइकोर्ट ने 13 नवंबर को मूल फाइल कोर्ट में प्रस्तुत करने का आदेश दिया। प्रशासन ने कोर्ट में मूल पत्रावली की छायाप्रति भेज दी जिस पर कोर्ट ने जिलाधिकारी को तलब कर पूरे प्रकरण में पक्ष रखने का आदेश दिया।
इन पर हुआ मुकदमा
कोर्ट में उपस्थित होने से पूर्व जिलाधिकारी के निर्देश पर एक शासकीय अधिवक्ता समेत चार अन्य कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। शुक्रवार को कैंट थाने में अर्बन सीलिंग कार्यालय के सेवानिवृत कर्मचारी भूपेंद्र सहाय, सेवानिवृत नोडल अधिकारी पीयूष पांडेय, कार्यालय के तत्कालीन पेशकार ब'छलाल व तत्कालीन जिला शासकीय अधिवक्ता समरजीत सिंह समेत अज्ञात लोगों पर एफआइआर दर्ज कराई गई। अपर जिलाधिकारी (नगर)आरके श्रीवास्तव का कहना है कि रविवार को कार्यालय बंद होने के कारण फाइल ढूंढने का कार्य शुरू नहीं हो सका। सोमवार से जहां-जहां पुराने रिकार्ड्स हैं, वहां फाइल फिर से ढूंढी जा रही हैं। प्रकरण अत्यंत गंभीर है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उत्तर प्रदेश नगर भूमि एवं सीमारोपण अधिनियम 1976 का वर्ष 1999 में निरसन हो चुका है। सीलिंग का मामला कोर्ट में चल रहा है। 1999 से पहले जो कार्रवाई हुई थी उसी जमीन को अतिरिक्त घोषित किया गया था। उसके बाद सीलिंग में कोई अतिरिक्त जमीन घोषित नहीं की जा सकती थी।