गैलरी में सिमटेगा डायनासोर का इतिहास, पृथ्वी पर जीवन का विकास Gorakhpur News
एक गैलरी हजारों वर्ष पूर्व विलुप्त हो चुके डायनासोर के नाम होगी जिसमें रिलीफ पेेंटिंग माडल और चित्रावली के माध्यम से डायनासोर की सभी प्रजातियों और उनके विलुप्त होने की वजह बताई जाएगी। अंतिम यानी सातवीं गैलरी में दुनिया के अद्भुत जानवरों का प्रदर्शन किया जाएगा।
गोरखपुर, जेएनएन। रामगढ़ ताल के सामने तीन एकड़ में बनने वाले प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय की रूपरेखा तैयार होने लगी है। संस्कृति निदेशालय के निर्देश पर स्थानीय संस्कृत विभाग ने इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी है। तीन एकड़ जमीन चिह्नित कर ली गई और अब उसके प्रारूप को लेकर मंथन शुरू हो गया है। लखनऊ से आए विभाग के आर्किटेक्ट ने चिह्नित जमीन का मौका-मुआयना कर संग्रहालय के स्वरूप की जानकारी दी है।
आर्किटेक्ट रोहित परमार और पल्लव कपूर ने बताया कि संग्रहालय में सात गैलरियां बनाने की योजना है। इन गैलरियों में मानव जीवन से लेकर जीव-जंतुओं के विकास और रहन-सहन की जानकारी दी जाएगी। एक गैलरी हजारों वर्ष पूर्व विलुप्त हो चुके डायनासोर के नाम होगी, जिसमें रिलीफ पेेंटिंग, माडल और चित्रावली के माध्यम से डायनासोर की सभी प्रजातियों और उनके विलुप्त होने की वजह बताई जाएगी। अंतिम यानी सातवीं गैलरी में दुनिया के अद्भुत जानवरों का प्रदर्शन किया जाएगा। संग्रहालय में दुर्लभ प्रजातियों के जीवाश्म भी रखे जाएंगे, जिन्हें राज्य संग्रहालय लखनऊ से लाया जाएगा।
गैलरीवार के प्रदर्शन की योजना
इसमें क्रमश:पृथ्वी पर जीवन का विकास, डायनासोर की प्रजाति, कार्यप्रणाली और विलुप्त होने का कारण, जल में रहने वाले विशिष्ट प्रजातियां और उनके जीवाश्म, विशिष्ट प्रजातियों के पक्षी और उनके जीवाश्म, स्तनधारी पशुओं की विशिष्ट प्रजातियां, अनुवांशिकी से जुड़ी जानकारी और दुनिया के अद्भुत जानवरों का प्रदर्शन होगा।
आडियो गाइड करेगा दर्शकों का मार्गदर्शन
संग्रहालय में आडियो गाइड उपलब्ध कराने की भी योजना है। यह गाइड एप के रूप में रहेगा। एप में संग्रहालय में प्रदर्शित हर आब्जेक्ट की जानकारी उपलब्ध होगी। आब्जेक्ट नंबर डालते ही पूरी जानकारी आडियो के माध्यम से दर्शकों को मिल जाएगी।
गोरखपुर के राजकीय बौद्ध संग्रहालय के उप निदेशक डा. मनोज कुमार गौतम का कहना है कि प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय के लिए स्थान चिह्नित कर लिया गया है। स्थान जीडीए द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है। संग्रहालय का स्वरूप कैसा होगा, इसे लेकर मंथन शुरू हो गया है। प्राथमिक रूपरेखा तैयार कर ली गई है। जल्द इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा।