पूर्वांचल के इस जिले के रहने वाले थे भाजपा के प्रथम अध्यक्ष, पीएम मोदी 30 को करेंगे इनके नाम के मेडिकल कालेज का उद्घाटन

यूपी के सिद्धार्थनगर के बांसी तहसील के ग्राम तिवारीपुर निवासी माधव प्रसाद त्रिपाठी उर्फ माधव बाबू जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में रहे। वर्ष 1977 में कांग्रेस के काजी जलील अब्बासी को हराकर वह डुमरियागंज से सांसद चुने गए।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 08:50 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 05:55 PM (IST)
पूर्वांचल के इस जिले के रहने वाले थे भाजपा के प्रथम अध्यक्ष, पीएम मोदी 30 को करेंगे इनके नाम के मेडिकल कालेज का उद्घाटन
भाजपा के प्रथम अध्यक्ष माधव प्रसाद त्रिपाठी के नाम के मेडिकल कालेज का पीएम मोदी उद्घाटन करेंगे। - फाइल फोटो

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पार्टी को विशाल वटवृक्ष बनाने का संकल्प लेकर गृहस्थ जीवन तक का त्याग करने वाले माधव प्रसाद त्रिपाठी के गृह जनपद में आगामी 30 जुलाई को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे। वह उनके नाम पर स्थापित मेडिकल कालेज सहित प्रदेश के नौ मेडिकल कालेजों का उद्घाटन करेंगे। मेडिकल कालेज का नाम स्व.माधव प्रसाद त्रिपाठी के नाम पर होने जनपद के लोग बेहद उत्साहित हैं। उनका मानना है कि पार्टी को खून, पसीने से सींच कर खड़ा करने वाले स्व.त्रिपाठी के प्रति प्रदेश सरकार की यह सच्ची श्रद्धांजलि है।

पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व मंत्री धनराज यादव के राजनैतिक गुरु थे माधव बाबू

सिद्धार्थनगर के बांसी तहसील के ग्राम तिवारीपुर निवासी माधव प्रसाद त्रिपाठी उर्फ माधव बाबू जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में रहे। वर्ष 1977 में कांग्रेस के काजी जलील अब्बासी को हराकर वह डुमरियागंज से सांसद चुने गए। उनके पौत्र अतुल चंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि वह पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, पूर्व मंत्री धनराज यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र के राजनैतिक गुरु थे। उनका कहना है कि माधव प्रसाद त्रिपाठी का जन्म 5 अगस्त 1917 को जन्माष्टमी के दिन हुआ था। इनके पिता वैद्य सुरेश्वर त्रिपाठी ने जन्माष्टमी पर जन्म को लेकर इनका नाम माधव रखा था।

जनसंघ के जनाधार के लिए माधव बाबू ने किया था गृहस्थ जीवन का त्याग

यह अपने चार भाइयों में तीसरे स्थान पर थे। वह कहते हैं वर्ष 1920 में चंद्रशेखर आजाद बांसी में अंग्रेज समर्थक एक सामंत की हत्या करने आये थे। उस दौरान वह माधव प्रसाद त्रिपाठी के ही घर पर ठहरे थे। बड़े होने पर वह स्वाधीनता संग्राम सेनानियों का सहयोग भी करते रहे। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से उन्होंने बीए, एलएलबी की पढ़ाई की और फिर बस्ती से वकालत शुरू किया। वकालत के दौरान ही यह नाना जी देशमुख के संपर्क में आ गए और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए।

उन्होंने बांसी मेला मैदान में दीन दयाल उपाध्याय की दो जनसभाएं कराकर लोगों को पार्टी से जोड़ने की कोशिश की थी। वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद वह उत्तर प्रदेश के प्रथम अध्यक्ष बनाए गए। यह भी एक अजीब संयोग है कि 19 अगस्त 1984 को जन्माष्टमी के दिन ही पार्टी के कार्यक्रम से लौटते हुए लखनऊ में उनकी हृदयाघात से मौत हो गई थी। अतुल चंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि उनके बाबा स्व. शेषदत्त त्रिपाठी व माधव प्रसाद त्रिपाठी के चचेरे भाई थे।

गांधी जी के मानस पुत्र को हराकर बने थे विधायक

जनसंघ गठन के बाद माधव बाबू ने वर्ष 1960 में बांसी से विधायक का चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में महात्मा गांधी के मानस पुत्र कहे जाने वाले खांटी कांग्रेसी प्रभु दयाल विद्यार्थी को खांटी संघी माधव बाबू ने चुनाव हरा दिया था।

कटवा दी थी डालमिया के फैक्ट्री की बिजली

वर्ष 1967-68 में माधव बाबू चौधरी चरण सिंह की सरकार में प्रदेश के उद्योग मंत्री थे। इस दौरान उन्होंने भारी बिजली बिल बकाये के चलते डालमिया के फैक्ट्री की बिजली कटवा दी थी। बाद में बिल जमा करने पर उनकी बिजली बहाल हो सकी थी। भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष लाल जी त्रिपाठी का कहना है कि उस दौरान डालमिया ने कई बार माधव बाबू से मिलने की कोशिश थी, लेकिन उन्होंने सीधे कह दिया था कि बिजली बिल जमा करने के बाद ही उनकी मुलाकात हो सकेगी।

बांसी-पनघटिया बांध ने दिलाई थी बाढ़ से राहत

वर्ष 1967 तक बांसी क्षेत्र की जनता बाढ़ को लेकर त्रस्त थी। 1967 में प्रदेश सरकार में मंत्री बनते ही माधव बाबू ने बांसी-पनघटिया मार्ग की स्थापना कराई थी। इससे लोगों को बाढ़ से बड़ी राहत मिली थी। सरयू कैनाल की स्थापना में उनकी बड़ी भूमिका रही है।

सिसवा कांड के आरोपित दारोगा समेत 17 पुलिस कर्मी को कराया था बर्खास्त

जून 1982 में सिद्धार्थनगर के मोहाना थाने के तत्कालीन थानाध्यक्ष वीरेंद्र राय (तत्कालीन मंत्री कल्पनाथ राय के भांजे) ने एक मामले में ग्रामीणों का विरोध देखकर दिन दहाड़े सिसवा गांव को लूटवा दिया था। माधव बाबू ने इस मामले का घोर विरोध किया और उनके विरोध के चलते प्रदेश की तत्कालीन गृह मंत्री स्वरूप कुमारी बक्खी ने थानाध्यक्ष वीरेंद्र राय सहित 17 पुलिस कर्मियों को बर्खास्त कर दिया था।

नामकरण माधव बाबू के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि

अतुल चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि पूर्वांचल के बड़े ब्राह्मण नेताओं में आज भी माधव बाबू का नाम बड़े श्रद्धा के साथ लिया जाता है। मेडिकल कालेज का नाम माधव बाबू के नाम करने से पूर्वांचल के सभी विप्र समुदाय के लोगों का मान बढ़ेगा। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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