फाइल पूरी थी फिर भी आठ माह से दौड़ा रहे थे कर्मचारी, नगर आयुक्त ने आधा घंटे में जारी कराया प्रमाण पत्र
गोरखपुर नगर निगम में नामांतरण के एक मामले को कर्मचारियों ने साढ़े महीने लटकाये रखा। मामला नगर आयुक्त के सामने आया तो उन्होंने नाराजगी जताई और तत्काल जांच कराकर प्रमाण पत्र जारी कर दिया। यहां अधिकारियों व कर्मचारियों की कार्यशैली अक्सर चर्चा में रहती है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। नगर आयुक्त की सख्ती के बाद भी नगर निगम के कुछ कर्मचारी नागरिकों को परेशान करने से बाज नहीं आ रहे हैं। नामांतरण के एक मामले को कर्मचारियों ने साढ़े महीने लटकाये रखा। मामला नगर आयुक्त के सामने आया तो उन्होंने नाराजगी जताई और तत्काल जांच कराकर प्रमाण पत्र जारी कर दिया।
साढ़े आठ महीने से नामांतरण के लिए दौड़ रही थी फिलहाल फातिमा
चक्सा हुसेन की फिरहाल फातिमा पत्नी मुमताज ने इसी साल जनवरी महीने में जमीन खरीदी थी। उन्होंने जमीन पर अपना नाम दर्ज कराने के लिए एक फरवरी को नगर निगम में आवेदन किया। रसीद कटवाने के बाद कर विभाग में नामांतरण की फाइल जमा कर दी। नियमानुसार 35 दिन के भीतर नामांतरण हो जाना चाहिए लेकिन पांच महीने कर्मचारी की बीमारी के कारण फाइल आगे ही नहीं बढ़ी। जुलाई में फिरहाल फातिमा के देवर सरफराज ने कर्मचारी को फोन किया तो बताया गया कि फाइल अपूर्ण है। इस पर सरफराज ने पूरी फाइल चेक कराई तो कोई कागजात कम नहीं मिला। कर्मचारी रोजाना जल्द नामांतरण प्रक्रिया पूरी होने की जानकारी देते रहे।
नगर आयुक्त ने फाइल मंगाई तो नहीं मिली कोई कमी, जारी हुआ प्रमाण पत्र
थक-हारकर सरफराज ने नगर आयुक्त अविनाश सिंह से मुलाकात की। सरफराज की पूरी बात सुनने के बाद नगर आयुक्त ने उप नगर आयुक्त संजय शुक्ल को बुलाया और प्रकरण का तत्काल निस्तारण करने को कहा। उप नगर आयुक्त ने नामांतरण की फाइल मंगाई तो सभी दस्तावेज पूर्ण मिले। उन्होंने नगर आयुक्त को जानकारी दी तो तत्काल नामांतरण की प्रक्रिया पूरी करायी गई।
सरफराज ने बताया कि यदि वह नगर आयुक्त से न मिलते तो न जाने कितने महीने उन्हें दौड़ाया जाता। जमीन को लेकर किसी को आपत्ति नहीं थी। नियमानुसार 35 दिन में नामांतरण की प्रक्रिया पूरी हो जानी चाहिए थी लेकिन बिना वजह उन्हें दौड़ाया जा रहा था। सरफराज ने नगर आयुक्त का आभार जताया है।