कोरोना संकट में मरीजों का उपचार कर नहीं टूटने दी जीवन सुरक्षा की डोर

कोरोनों की पहली और दूसीर लहर ने लोगों को घरों में कैद रहने के लिए मजबूर कर दिया था। संक्रमण काल में ि‍चिकित्‍सकों पर मरीजों के उपचार की बडी ि‍जिम्‍मेदारी थी। ऐसे ही एक चिकित्‍सक हैं डा. राजेश द्विवेदी। सीएचसी में वह अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।

By Navneet Prakash TripathiEdited By: Publish:Wed, 11 Aug 2021 04:18 PM (IST) Updated:Wed, 11 Aug 2021 04:18 PM (IST)
कोरोना संकट में मरीजों का उपचार कर नहीं टूटने दी जीवन सुरक्षा की डोर
सीएचसी पर अपनी ि‍निगरानी में टीकाकरण कराते डा. राजेश। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कोरोनों संक्रमण की भयावहता की वजह से जब हर कोई घरों में कैद रहने के लिए मजबूर हो गया था, उस समय लोगों की जान बचाने के लिए चिक्तिसक वर्ग लोगों की जान बचाने में जुटा था। ऐसे ही एक चिकित्‍सक हैं डा. राजेश द्विवेदी। सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में वह अधीक्षक के पद पर कार्यरत हैं। कोविड की शुरूआत होने के बाद से ही वह लगातार ड्यूटी पर रहकर लोगों का उपचार कर रहे हैं। इसके साथ ही कोरोनों से बचाव को लेकर लोगों में जागरूक भी कर रहे हैं।

कोरोना शुरू होने के बाद से नहीं ली छुट्टी

डा. राजेश द्विवेदी के समर्पण और सेवा भाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना का संक्रमण शुरू होने के बाद सही अभी तक उन्‍होंने छुट्टी नहीं ली है। उनका कहना है कि कोरोना के मामले बढऩे के साथ ही जिम्मेदारी भी बढ़ी, जिसके कारण उससे लडऩा और हराना बडी चुनौती बन गई। इस चुनौती को उन्‍होंने स्वीकार किया। जिसका परिणाम रहा कि हम लोगों ने बेहतर तरीके से कोरोना पर जीत पाई। जीत हासिल करने के लिए एक साल से उन्‍होंने छुट्टी नहीं ली। मरीजों के उपचार में अपने सहयोगी कर्मचारियों की भूमिका का भी जिक्र करना वह नहीं भूलते। कहते हैं कि उनके साथ सभी स्वास्थ्यकर्मी ने कोरोना से इस जंग में लड़ाई लड़ी है। साथ ही अभी भी लड़ाई जारी है। कोरोना को हराने का सबसे बेहतर हथियार वैक्सीन है। जिसे लगातार लगवाया जा रहा है। वैक्सीनेशन के समय से ही नर्सिंग स्टाफ वैक्सीन लगा रहा है। जिसकी वह खुद लगातार मानिटरिंग कर रहे हैं।

अभी कोरोना से बचाव जरूरी

डा. राजेश द्विवेदी कहते हैं कि कोरोना का प्रकोप कम हुआ है, अभी यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इसलिए सावधानी जरूरी है। कोई लापरवाही ना करें। मास्‍क लगाए, शारीरिक दूरी का पालन करें और इसके साथ ही संक्रमण से बचाव के लिए जो जरूरी उपाय बताए जा रहे हैं, उनका पालन करें। वर्तमान दौर में बच्‍चों व बुजुर्गों का खास ख्याल रखें।

सकारात्‍मक सोच से कोरोना को हराया

नौतनवा के आबकारी इंस्‍पेक्‍टर संदीपनाथ त्रिपाठी ड्यूटी के दौरान कोरोना वायरस की दूसरी लहन में संक्रमण की चपेट में आ गए थे। इस साल 25 अप्रैल को उनकी तबीयत बिगडऩे लगी। जांच कराने पर रिपोर्ट पाजिटिव आई। घर में ही खुद को आइसोलेट करने के बाद उन्‍होंने संक्रमण से उबरने के लिए जारी दिशा-निर्देशों का सख्‍ती से पालन करना शुरू किया। गर्म पानी और काढ़ा का सेवन करने के साथ नियमित व्‍यायाम करते रहे और सबसे महत्‍वपूर्ण यह कि वह अपनी सोच को सकारात्‍मक बनाए रखे। ऐसे ही दो सप्ताह का समय बीत गया। इसके बाद जांच कराने पर रिपोर्ट निगेटिव आई तो मन प्रफुल्लित हो उठा।

पंचायत चुनाव में हो गए थे संक्रमित

लक्ष्‍मीपुर के एनआरएलएम कार्यकर्ता अशोक कुमार पंचायत चुनाव के दौरान संक्रमित हो गए थे। बीते 29 अप्रैल को जांच के बाद रिपोर्ट पाजिटिव आई, लेकिन मन को एकाग्र करते हुए वह आइसोलेशन में चले गए। इस बीच किताबों व अखबार को पढऩे में अधिक समय बिताया। चिकित्सकों से मिले परामर्श से दवाएं व घरेलू नुस्खे आजमाएं। साहस व आत्मबल बनाए रखे। कुछ दिनों बाद जांच कराने पर रिपोर्ट निगेटिव आ गई। अब पूरी तरह स्वस्थ हूं।

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