हकीकत से दूर है कुशीनगर में तैयारियों का दावा

कुशीनगर में कोरोना की संभावित संक्रमण को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं है अधूरे कार्यों में तेजी नहीं आई तो संक्रमण बढ़ने पर स्थिति संभालना मुश्किल हो जाएगा फिर स्थिति गंभीर हो जाएगी प्रशासन लगातार सुविधाएं बहाल करने का दबाव बना रहा है लेकिन अभी तैयारी मुकम्मल नहीं हुई है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 04:00 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 12:38 AM (IST)
हकीकत से दूर है कुशीनगर में तैयारियों का दावा
हकीकत से दूर है कुशीनगर में तैयारियों का दावा

कुशीनगर : कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि अगस्त के अंत तक यह लहर आ सकती है। सरकार की तरफ से भी इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है। संभावित लहर को देखते हुए सरकारी अस्पतालों में अभी तक तैयारी अधूरी है। अधिकारी स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियां को अंतिम रूप देने का दावा कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई भी तैयारी पूरी नहीं दिख रही है। ऐसे में तीसरी लहर से स्वास्थ्य विभाग के लिए निपटना आसान न होगा।

यह हैं तैयारियां

-जिला संयुक्त चिकित्सालय के बगल में कोविड अस्पताल- 100 बेड

-50 आक्सीजन व 50 वेंटीलेटर

-पीकू (छोटे बच्चों की सघन निगरानी कक्ष) 40 बेड

-आइसीयू-15

-आक्सीजन बेड-25

आक्सीजन प्लांट

-एल-टू-दो (एक चालू-दूसरे की टेस्टिग होनी है )

-जिला संयुक्त चिकित्सालय- एक (निर्माणाधीन)

तीन सीएचसी में निर्माणाधीन आक्सीजन प्लांट

सेवरही, सपहां, खड्डा में आक्सीजन प्लांट निर्माणाधीन है, जो 10-10 बेड का बनेगा।

प्रस्तावित

छितौनी में प्रस्तावित

जनरेटर

जिला अस्पताल में 250 केवीए का लगेगा जनरेटर

दूसरी लहर में कहर के कारण

दूसरी लहर में बरपे कहर का प्रमुख कारण यह रहा है कि होली के त्योहर को लेकर दूसरे प्रांतों में रहने वाले लोग अपने-अपने घरों को लौटे तो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी शामिल हुए। उस दौरान गांवों में कोविड गाइड लाइन का अनुपालन नहीं हुआ। लिहाजा पहले बुजुर्ग, अधेड़ फिर युवा वर्ग प्रभावित हुए। अप्रैल से जून तक कोरोना का कहर इस कदर रहा कि जब तक मरीज अस्पताल पहुंचते, तब तक उनकी जान चली जाती थी। मौतें इस गति से होती रही कि चिकित्सक भी अपने को असहाय महसूस कर रहे थे। क्योंकि मरीजों को तत्काल में आक्सीजन की जरूरत होती थी, लेकिन समय से उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। उस समय प्रतिदिन 30 से 35 सिलिंडर ही मिल पाते थे, जो जरूरत के मुताबिक पर्याप्त नहीं थे, सिलिंडर गोरखपुर से लाए जाते थे। इस दौरान अस्पताल परिसर में भर्ती सर्वाधिक मरीजों की मौत आक्सीजन की कमी से हुई। इसके अलावा जरूरी दवाएं भी उपलब्ध नहीं थी। सबसे अधिक कमी आक्सीजन व जरूरी की दवाओं की रही। वेंटीलेटर भी महज 22 थे।

इन संसाधनों की हुई वृद्धि

दूसरी लहर में आक्सीजन की कमी झेलने के बाद स्वास्थ्य विभाग संभावित लहर के लिए पर्याप्त इंतजाम किया गया है। जिला अस्पताल समेत छह अस्पतालों में आक्सीजन व वेंटीलेटर युक्त बेड की तैयारी है। बच्चों के लिए विशेष व्यवस्था की जा रही है।

पहले -- अब

आइसोलेशन बेड-100-108

-वेंटीलेटर बेड-22-50

-आइसीयू-10-15

सीएमएस डा. एसके वर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर अधूरे कार्य पूरे कराए जा रहे हैं। अस्पताल में जरूरी संसाधन की व्यवस्था की जा रही है। दवाएं भी पर्याप्त हैं। पिछली बार की गलतियों को न दोहराने का निर्देश दिया गया है।

सीएमओ डा. सुरेश पटारिया ने कहा कि कोरोना की संभावित लहर को लेकर तैयारियां की जा रही है। जिन अस्पतालों में संसाधनों की कमी है, उसे पूरा कराया जा रहा है। शीघ्र अधूरे कार्य पूर्ण करा लिए जाएंगे।

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