दोहरी पूंजी की मार फिर भी खड़ा कर लिया कारोबार
भवन निर्माण सामग्री के कारोबारी नरेंद्र जायसवाल के संघर्षों की कहानी काफी दिलचस्प है।
जागरण संवाददाता,बस्ती: कोरोना की मार से छोटे ओर मझोले कारोबारी अभी पूरी तरह से ऊबर नहीं पाये हैं। भवन निर्माण सामग्री का कारोबार पूरी तरह से चार महीने तक ठप रहा। इस दौरान कारोबारियों को खुद के साथ ही मजदूरों के भी भरण पोषण का भार था। जैसे तैसे पूंजी से काम चलाया। अब इन कारोबारियों को दोहरी पूंजी की मार झेलनी पड़ रही है। इन सब के बीच भवन निर्माण सामग्री के कारोबारी नरेंद्र जायसवाल के संघर्षों की कहानी काफी दिलचस्प है। कहा लॉकडाउन कब तक चलेगा इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। अब जब बाजार खुल गए हैं और निर्माण की रफ्तार तेज हो रही है ऐसे में खुद को बाजार में खड़ा करने के लिए एक बार फिर पूंजी लगानी पड़ी। जैसे तैसे काट लिये संकट के चार महीने
सिविल लाइन इलाके में रहने वाले नरेंद्र जायसवाल की आदर्श बिल्डिग मैटेरियल की दुकान है। घर और दुकान दोनों ही किराये पर है। लॉकडाउन के पहले मार्च तक सब कुछ ठीक चल रहा था। कहा यह कारोबार उधारी पर ही चलता रहा है। संकट के दौर में नकदी पर आ गया है। दुकान से ही परिवार का खर्च चलता था। सात मजदूर भी काम कर रहे थे। इस तरह दोहरी जिम्मेदारी का बोझ था। बाजार में जहां उधारी पर सामग्री दी थी मांगने लायक नहीं था। हर कोई परेशानियों में दिन काट रहा था। हमने खर्चों में काफी कटौती की। पूंजी से काम चलता रहा। अगस्त में निर्माण कार्य को छूट मिली तो काफी राहत मिली। दुकान में उपलब्ध सामग्री की बिक्री नकदी पर होने लगी। कुछ पूंजी खाली हुई तो और माल मंगाये। बाजार में मुकाबले के लिए एक और पूंजी का इंतजाम किया। कारोबार पटरी पर लौट रहा है अगले एक दो महीने में घाटे से ऊबर जाएंगे। स्टाक बनाये रखना बड़ी चुनौती व्यवसायी नरेंद्र जायसवाल का कहना है कि भवन निर्माण सामग्री के कारोबार में बड़ी पूंजी की जरूरत होती है। दूसरे कारोबार में दो पूंजी की जरूरत होती है लेकिन इसमें तीन पूंजी लगती है। एक दुकान में होती है दूसरी उधारी में और तीसरी सामग्री की आपूर्ति बनाये रखने में लगानी होती है। एक पूंजी फंसने पर पूरा सिस्टम डिस्टर्व हो जाता है। यहां तो दो पूंजी टूट चुकी है। एक नई पूंजी तैयार करनी पड़ी है। कोरोना संक्रमण से बचना और बचाना सबसे बड़ी चुनौती
व्यवसायी नरेंद्र का कहना है कि हमारे कारोबार में मजदूर की काम करते हैं। यह मेहनतकश होते हैं लेकिन चालाक नहीं। कोरोना से बचाने के लिए प्रतिदिन उनको मास्क दिया जाता है। सैनिटाइजर की भी व्यवस्था है। काम करते समय दो गज की दूरी का पालन करने को प्रेरित किया जाता है। खुद को बचाने के लिए काउंटर से दूर से ही लोगों को भवन निर्माण के बारे में सलाह देते हैं और आर्डर लिया करते हैं। दुकान को भी प्रतिदिन सैनिटाइज किया जाता है। नकदी पर चल रहा कोरोबार व्यवसासी नरेंद्र ने बताया कोरोना ने बाजार को नकदी पर ला दिया है। भवन निर्माण सामग्री का कारोबार पचास फीसद उधारी पर हुआ करता था लेकिन अब अस्सी फीसद तक नकदी पर हो गया है। दूसरा लेनदेन भी लंबा नहीं चलता है। इस तरह आने वाले कुछ दिनों में बाजार के सुधरने की उम्मीद है। डिजिटली हो रहा लेनदेन भवन निर्माण सामग्री के कारोबार में डिजिटली लेनदेन काफी बढ़ा है। अब लोग नकदी देने की बजाय चेक और आनलाइन भुगतान करने लगे हैं। नरेंद्र ने कहा हमारे यहां डिजिटिल लेन देन के लिए पेटीएम और स्वाइप मशीन लगी हुई है।