महराजगंज में बिजली थाना में एक दारोगा पर 4875 मुकदमों का बोझ
अधिशासी अभियंता विद्युत हरिशंकर ने बताया कि बिजली थाने में समस्याओं के समाधान को लेकर पुलिसकर्मियों के कमी की जानकारी है। बिजली थाने में पुलिसकर्मियों की तैनाती लखनऊ स्तर से ही की जाती है। इस बारे में शासन को पत्र भेजा गया है।
महराजगंज : बिजली मामलों का त्वरित निस्तारण कराए जाने के लिए जिले में खोला गया बिजली थाना कर्मियों की कमी से विवेचनाओं की भारी बोझ तले दबता चला जा रहा है। आलम यह है कि एक दारोगा पर 4875 मुकदमों का बोझ लदा हुआ है। यही नहीं कर्मियों की कमी के चलते अबतक दो वर्षों में दर्ज 5481 मुकदमों में मात्र 606 की जांच ही पूरी हो सकी है। ऐसे में बिजली थाना उद्देश्य विहीन साबित हो रहा है।
प्रदेश सरकार ने बिजली मामलों में बेहतर राजस्व वसूली और अलग सुनवाई हो सके इसके लिए प्रदेश के सभी जनपदों में विशेष बिजली थानों की स्थापना कराई गई है । इसी क्रम में महराजगंज के फरेंदा में भी 25 अगस्त 2019 में बिजली थाने की स्थापना की गई। थाने के पद स्थापना के तहत छह उपनिरीक्षक, नौ मुख्य आरक्षी व नौ आरक्षियों की तैनाती होनी थी। उद्देश्य था कि बिजली चोरी से संबंधित मामलों का निस्तारण शीघ्र हो सकेगा। लेकिन पदस्थापना के सापेक्ष मात्र एक उपनिरीक्षक, तीन मुख्य आरक्षी और एक आरक्षी की ही तैनाती हो सकी। कर्मचारियों की कमी होने के कारण मुकदमों के विवेचना की रफ्तार भी काफी सुस्त है। अधिशासी अभियंता विद्युत हरिशंकर ने बताया कि बिजली थाने में समस्याओं के समाधान को लेकर पुलिसकर्मियों के कमी की जानकारी है। बिजली थाने में पुलिसकर्मियों की तैनाती लखनऊ स्तर से ही की जाती है। इस बारे में शासन को पत्र भेजा गया है। पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता बताया कि बिजली थाने की मानिटरिग लखनऊ से ही की जाती है। बात जहां तक पुलिसकर्मियों को पोस्ट करने की है वह लखनऊ स्तर से ही किए जाने का प्रावधान है। शासन से निर्देश मिलने के बाद अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। 2020 में सर्वाधिक दर्ज हुए 4750 मुकदमें
25 अगस्त 2019 को बिजली थाना स्थापित होने के बाद आजतक यहां कुल 5481 मुकदमें दर्ज हो चुके हैं। इसमें 2020 में सर्वाधिक 4750 मुकदमें तो 2019 में 326 और इस वर्ष अभीतक मात्र 405 मुकदमें दर्ज हुए हैं। अगर मुकदमों के निस्तारण पर गौर करें तो अभी तक मात्र 606 मुकदमों का ही निस्तारण हो सका है। अभी भी 2020 के 4491 तो इस वर्ष के 384 मिलाकर कुल 4875 मुकदमें लंबित पड़े हुए हैं, और इसकी जिम्मेदारी अकेले थानेदार पर है। यूं ही नहीं मिलती है सजा
थाना प्रभारी के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे रामआधार चौहान ने बताया कि बिजली चोरी से संबंधित मामलों में मुकदमा दर्ज होने के बाद किसी को त्वरित सजा नहीं मिलती और न ही उसकी चार्ज सीट न्यायालय भेजी जाती है। किसी भी उपभोक्ता को समय दिया जाता है, कि वह बकाया धनराशि किश्तों में जमा कर सके। ज्यादातर मामले भुगतान करके ही निपट जाते हैं। भुगतान के बाद विभागीय अधिकारियों द्वारा हमारे पास सूचनाएं भेजी जाती हैं, उनमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी जाती है।