अतीत में भी आतंकियों को मिलती रही पनाह
24 अक्टूबर 2010 को बब्बर खालसा ग्रुप का सक्रिय सदस्य माखन ¨सह जनपद के बढ़नी बार्डर से पकड़ा गया था।
सिद्धार्थनगर : जनपद की सीमा से सटे बलरामपुर जनपद के उतरौला थाना क्षेत्र निवासी एक आंतकी के दिल्ली में गिरफ्तारी के बाद नेपाल सीमा एक बार फिर चर्चा में आ गई है। जिले में खुली नेपाल की सीमा का फायदा आतंकी उठाते रहे हैं। सीमा पर कई बार यह पकड़े भी जा चुके हैं। इनमें इंडियन मुजाहिदीन, बब्बर खालसा, आइएस जैसे संगठनों से जुड़ने के तार भी मिले। मोहाना थाना क्षेत्र में सिमी का माड्यूल भी पकड़ा गया था। ढेबरूआ थाना क्षेत्र के एक युवक को लखनऊ एटीएस ने आंतकी संगठनों से संबंध होने पर गिरफ्तार भी कर चुकी है। गृह मंत्रालय ने मुख्य सचिव व पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर अलर्ट किया है। पहले भी यहां मिल चुके हैं आतंकी नेटवर्क 24 अक्टूबर 2010 को बब्बर खालसा ग्रुप का सक्रिय सदस्य माखन ¨सह जनपद के बढ़नी बार्डर से पकड़ा गया था। पांच मार्च 2010 को बढ़नी में ही इंडियन मुजाहिदीन का खास गुर्गा सलमान पकड़ा गया। सलमान ने वर्ष 2008 में दिल्ली में सिलसिलेवार विस्फोट किया था। 13 अगस्त 2013 को नेपाल सीमा से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अब्दुल करीम टुंडा को गिरफ्तार किया था। 27 अगस्त 2013 को सुरक्षा एजेंसियों ने इंडियन मुजाहिदीन के सह संस्थापक यासीन भटकल को सीमा से पकड़ा था। 13 मई 2017 को नेपाल के रास्ते भारत प्रवेश करने पर महराजगंज में एसएसबी ने आतंकी नासिर को गिरफ्तार किया था। 11 सितंबर 2017 को लश्कर के संदिग्ध आतंकी को गिरफ्तार किया गया था। आइजी बस्ती अनिल कुमार राय ने कहा है कि अभी कोई विशेष इनपुट तो नहीं मिला है, लेकिन नेपाल सीमा सदैव संवेदनशील रहती है। यहां पूरी सतर्कता बरती जा रही है। सभी सीमाई थानाध्यक्षों को इसके लिए निर्देशित कर दिया गया है। दिल्ली में पकड़े गए आतंकी के रिश्तेदार व सहयोगियों की तलाश की जा रही है।