टेराकोटा उत्पादों की मांग 'down, माल गोदामों में 'लॉक Gorakhpur News
पिछले साल तक मुंबई दिल्ली आगरा जैसे शहरों से आने वाले व्यापारी अप्रैल मई में ही या तो माल लेते जाते थे या फिर बुक करा देते थे। इस बार लॉकडाउन में पूरी प्रक्रिया ही ध्वस्त हो गई।।
उमेश पाठक, गोरखपुर। टेराकोटा की कलाकृतियों पर भी लॉकडाउन का ग्रहण लग गया है। परिवहन संसाधनों के बंद होने से एक जिला-एक उत्पाद (ओडीओपी) में शामिल उत्पाद को न तो खरीददार मिल रहे हैं न ही बाजार। गोदाम भरा होने के चलते शिल्पकारों के पास माल रखने की जगह है न ही नया उत्पाद बनाने की पूंजी। बाहर के जिन व्यापारियों ने ऑर्डर दिए थे, उसमें से कई ने निरस्त कर दिया है। ऐसे में ऋण लेकर काम करने वाले शिल्पकारों के सामने किस्त चुकाने का भी संकट खड़ा हो गया है।
इस बार स्थितियां बिल्कुल अलग
टेराकोटा कलाकृतियों के लिए यह समय बेहतर माना जाना था, लेकिन इस बार स्थितियां बिल्कुल अलग हैं। पिछले साल तक मुंबई, दिल्ली, आगरा जैसे शहरों से आने वाले व्यापारी अप्रैल, मई में ही या तो माल लेते जाते थे या फिर बुक करा देते थे। वहीं से इसकी सप्लाई विदेशों में होती थी। इस बार लॉकडाउन में पूरी प्रक्रिया ही ध्वस्त हो गई है।
कोरोना को लेकर चीन के खिलाफ आक्रोश और मुख्यमंत्री के बयान से टेराकोटा शिल्पकारों में दीपावली पर मांग बढऩे की उम्मीद तो जगी थी, लेकिन अभी इसकी शुरूआत नहीं हो सकी है। दीया, कलश का कुछ स्टाक तो उन्होंने तैयार कर लिया, लेकिन लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा बनाने का काम अभी रोक रखा है। उनका कहना है कि पहले से तैयार माल नहीं बिका तो नया उत्पाद तैयार करना मुश्किल होगा।
सीएम के ट्वीट से जगी उम्मीद
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट््वीट कर दीपावली में चीन से आने वाली लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा का प्रयोग न करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि गोरखपुर के टेराकोटा शिल्पकार चीन से अ'छी प्रतिमाएं बनाते हैं।
किस्त चुकाना पड़ रहा भारी
भटहट क्षेत्र के औरंगाबाद, गुलरिहा, भरवलिया, एकला नंबर दो में टेराकोटा का काम होता है। करीब 200 परिवार इस कला से जुड़े हैं। शिल्पकारों को ओडीओपी के तहत ऋण मिला है, लेकिन माल न बिकने से किस्त चुकाना भारी पड़ रहा है।
क्या कहते है टेराकोटा के कलाकार
गोरखपुर टेराकोटा सहकारी समिति के राजन प्रजापति का कहना है कि लॉकडाउन में कुछ दिन पहले तक उत्पादन हो रहा था। हर साल इस समय काफी तेजी रहती है। इस बार कई ऑर्डर निरस्त हो गए। जिनके ऑर्डर हैं भी वह माल नहीं ले जा रहे। संस्था के कुछ कलाकारों को छुट्टी दे दी गई है। नए उत्पाद तैयार करने को पूंजी भी नहीं है। लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह औरंगाबाद के गुलाब चंद प्रजापति का कहना है कि इस बार दीपावली में और अच्छी मांग की उम्मीद है लेकिन इस समय माल न बिकने से नया उत्पाद तैयार नहीं हो पा रहा है। शिल्पकारों के सामने आर्थिक संकट है। बैंक ऋण की किस्त व ब्याज चुकाना भारी पड़ रहा है।
उपायुक्त उद्योग आरके शर्मा का कहना है कि कुछ दिन पूर्व मैं टेराकोटा शिल्पकारों के पास गया था। उनके गोदाम भरे हैं। बाहर के व्यापारी माल नहीं ले जा रहे हैं। ऐसे में उनके सामने समस्या है। उनकी हर संभव मदद की जाएगी।