UP Panchayat Elections 2021: आखिरकार वनटांगिया गांव में उगा पंचायती लोकतंत्र का सूरज

UP Panchayat Elections 2021 उत्तर प्रदेश के महराजगंज का एक गांव वनटांगिया गांव के लोगों ने आजादी के बाद पहली बार चुनी अपने गांव की सरकार। आखिर क्यों रही यह स्थिति? कहां थी रुकावट और कैसे हल हुआ मामला? मतदान के बीच रिपोर्ट

By Edited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 06:40 PM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 11:10 AM (IST)
UP Panchayat Elections 2021: आखिरकार वनटांगिया गांव में उगा पंचायती लोकतंत्र का सूरज
वनटांगिया गांव वीट नर्सरी में मतदान के लिए कतार में खड़ी महिलाएं । जागरण

विश्वदीपक त्रिपाठी, महराजगंज। UP Panchayat Elections 2021 जिले के 18 वनटांगिया गांवों के लिए 19 अप्रैल का सूरज नया था। वह स्वराज्य की अवधारणा पर विकसित पंचायती राज व्यवस्था में इन गांवों के शामिल होने की रोशनी लेकर उगा था। पंचायती लोकतंत्र की ये किरणों इन गांवों में आजादी के बाद पहली बार फूटी हैं। यहां के ग्रामीणों ने पहली बार अपने गांव की सरकार, अपना प्रधान बनाने के लिए मतदान किया है।

पंचायती लोकतंत्र के यज्ञ में अपने वोट की समिधा देने के लिए ग्रामीण सुबह से ही लाइन में लग गए थे। क्या महिला, क्या पुरुष सभी के मन में अपना गांव, अपनी सरकार का भाव हिलोरे मार रहा था। वह दूसरे गांवों में प्रधानी का चुनाव देखकर पहले की तरह कसमसा नहीं रहे थे। वनग्राम बीट नर्सरी में मतदान कर लौट रहे शिवनाथ, रामकुमार व चेतई हुलस कर बोले- पीढ़ी गुजर गई बाबू, लेकिन बाप-दादा पंचायत चुनाव में वोट न डाल सके। अपना प्रधान न चुन पाए। अगल-बगल के गांव वाले अपना प्रधान चुनते थे और हमारे यहां उदासी पसरी रहती। मतदान के अधिकार की कौन कहे, पढ़ाई, दवाई, पानी तक नसीब नहीं था। राकेश साहनी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्राम पंचायत बनाकर हमें मुख्यधारा में ला दिया। हम आज अपना प्रधान चुन रहे हैं।

यहां पहली बार पंचायत का मतदान : भारीवैसी, खुर्रमपुर, अचलगढ़, बेलौहा दर्रा, उसरहवा, चेतरा, बेलासपुर, बरहवा, कंपार्ट 27, कंपार्ट 28, दौलतपुर, बीट, कानपुर दर्रा, तिकोनिया, बलुअहिया, हथियहवा व कंपार्ट 24 में पहली बार प्रधान चुना जाएगा। इन 18 गांवों को 15 राजस्व ग्रामों में समायोजित किया गया है।

ये हैं वनटांगिया : वर्ष 1918 में अंग्रेज सरकार ने साखू का जंगल विकसित करने के लिए यहां भूमिहीनों को बसाया था। वर्मा देश की टांगिया (सरकार की जमीन पर पौधा लगाकर देखभाल करना, दो पेड़ों के बीच की जगह पर खेती कर जीवन यापन करना और पेड़ बड़े होने पर जमीन छोड़ देना) विधि से बसाने के कारण इन्हें वनटांगिया कहा गया। भूमि का मालिकाना हक वन विभाग के पास था। राजस्व ग्राम न होने से यहां सरकारी योजनाएं लागू नहीं हो पाती थीं। राजनीतिक प्रयासों से विधानसभा और लोकसभा की मतदाता सूची में नाम आ गया, लेकिन पंचायत में नहीं। योगी सरकार ने जनवरी 2018 में वनटांगिया गांवों को राजस्व गांव बनाया और ग्रामीणों को प्रधान चुनने का अधिकार मिल गया।

चेतरा नर्सरी के अनिल कुमार  ने बताया कि चुनाव में मतदान कर गर्व की अनुभूति हो रही है। यह वर्षो पुराने सपने के साकार होने जैसा है। गांव में स्कूल न होने से हम बेहतर शिक्षा से वंचित हो गए थे। अब इस बात का संतोष है कि बच्चों को बेहतर शिक्षा से वंचित नहीं होना पड़ेगा।

बीट नर्सरी के राकेश साहनी ने बताया कि वनटांगिया गांवों के लिए आज का दिन ऐतिहासिक है। मतदान के बाद लग रहा है कि हम समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। बिजली, सड़क, पानी, विद्यालय सहित अन्य सुविधाएं भी सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई हैं।

दौलतपुर नर्सरी की कौशल्या देवी ने बताया कि आज के दिन को भुलाया नहीं जा सकता है। उम्मीद नहीं थी कि ग्राम प्रधान के लिए भी वोट डाल सकेंगे। भूमि के मालिकाना हक के लिए भटक रहे थे। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयास से गांव में खुशहाली आई है।

महराजगंज के डीएम डॉ. उज्ज्वल कुमार ने बताया कि 18 वनटांगिया गांव के ग्रामीण पहली बार पंचायत चुनाव में हिस्सा लेकर बेहद उत्साहित हैं। मतदान में कोई असुविधा न हो, इसका ध्यान रखा गया है।

भारीवैसी नर्सरी के नन्हू पटेल ने बताया कि पंचायत चुनाव में पहली बार मतदान कर खुशी महसूस हो रही है। इतने दिनों बाद लग रहा है कि हम भी भारत के नागरिक हैं। राजस्व गांव का दर्जा मिलने के बाद गांव में सरकारी योजनाएं भी पहुंचीं हैं। गांव में स्कूल खुलने से हमारे बच्चे अब अनपढ़ नहीं रहेंगे।

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