शरदकाल में गन्ने की खेती देगी 25 फीसद अधिक उपज, ऐसे करें बुवाई

शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए 15 सितंबर से 30 नवंबर तक उपयुक्त समय है। गन्ने की सहफसली खेती के लिए किसान गन्ने की दो पंक्ति के बीच आलू लहसुन गेहूं गोभी टमाटर धनिया मटर आदि की खेती कर सकते हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 07:02 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 07:02 AM (IST)
शरदकाल में गन्ने की खेती देगी 25 फीसद अधिक उपज, ऐसे करें बुवाई
शरदकालीन गन्ने की खेती से क‍िसान अध‍िक मुनाफा कमा सकते हैं। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। खेतों में जलभराव के चलते इस बार गन्ना किसानों को भारी नुकसान हुआ है। किसान शरदकालीन गन्ने की खेती करके कुछ हद तक इस नुकसान को कम कर सकते हैं। इसके साथ गन्ने की सहफसली खेती के लिए उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान व प्रशिक्षण केंद्र पिपराइच किसानों को प्रशिक्षित करेगा। संस्थान किसानों को इस दौरान गन्ना व आलू की नई प्रजाति व उसकी खेती कैसे करनी है, इसकी भी जानकारी देगा।

सहफसली खेती से होगी गन्ने के नुकसान की भरपाई

इस वर्ष औसत से अधिक वर्षा होने के कारण गन्ने की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान हुआ है। जिले में करीब 8100 एकड़ में गन्ने की खेती हुई थी। इसमें से करीब 4500 एकड़ खेतों में किसानों ने को0238 प्रजाति के गन्ने की खेती की थी। गन्ने की यह प्रजाति पिछले दो वर्षों से प्रतिबंधित है। इसकी प्रमुख वजह है कि गन्ने की इस प्रजाति में अधिक बारिश के चलते रेड-राट रोग का खतरा पैदा हो जाता है। यह गन्ना सूखने लगता है। जिले में करीब 2400 एकड़ गन्ने की फसल इससे प्रभावित हुई है। किसानों को इसके चलते भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान किसानों को शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए जागरूक कर रहा है। इसके लिए गन्ना किसानों में उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान पंपलेट बांट रहा है। संस्थान का मानना है कि शरदकालीन गन्ने का उत्पादन बसंतकालीन गन्ने की खेती की तुलना में 25 फीसद अधिक होता है। इसके साथ किसान सहफसली खेती कर सकते हैं।

प्रति एकड़ करीब 300 से 350 क्विंटल तक होगी गन्ने की पैदावार

सहफसली खेती से किसानों को एक साथ कई पैदावार मिलती है। इसके साथ ही साथ गन्ने का उत्पादन भी बेहतर होता है। इसकी खेती से किसान प्रति एकड़ करीब 300 से 350 क्विंटल तक गन्ने की पैदावार मिलती हैं, जबकि बसंतकालीन गन्ने की खेती से प्रति एकड़ करीब 250 से 300 क्विंटल तक की पैदावार मिलती है। उत्तर प्रदेश गन्ना किसान संस्थान के सहायक निदेशक ओम प्रकाश गुप्ता का कहना है कि जिले में सौ से अधिक किसान शरदकालीन गन्ने के साथ सहफसली खेती कर रहे हैं।

सहायक निदेशक ने कहा कि शरदकालीन गन्ने की खेती के लिए 15 सितंबर से 30 नवंबर तक उपयुक्त समय है। गन्ने की सहफसली खेती के लिए किसान गन्ने की दो पंक्ति के बीच आलू, लहसुन, गेहूं, गोभी, टमाटर, धनिया, मटर आदि की खेती कर सकते हैं। सहफसली खेती के लिए किसान नाली विधि(ट्रेंच विधि) से गन्ने की खेती की खेती की जाती है। इसके लिए खेत की अच्छी जुताई करना चाहिए। उसके बाद अंतिम जुताई के साथ किसानों को खेत में समान रूप से गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में मिला देनी चाहिए। इससे खेत पूरी तरह तैयार हो जाता है।

गन्ने की उन्नतिशील प्रजातियां

कोशा 8279, 13235, कोसे 11453, 13452, कोशा 9232, कोलख 14201, को 118 आदि।

बीज की मात्रा- गन्ने की 30 से 32 क्विंटल एकड़ ट्रेंच विधि के लिए।

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