यह लीजिए, बाजार में अब सुगर फ्री गोभी भी उपलब्ध

अब सब्जियां भी सुगर फ्री पैदा होने लगी हैं। सोहना कृषि विज्ञान केंद्र ने शोध के बाद पौधे किसानों को उपलब्ध कराया और किसान अब मालामाल हो रहे हैं।

By Edited By: Publish:Sat, 19 Jan 2019 08:09 AM (IST) Updated:Sun, 20 Jan 2019 01:40 PM (IST)
यह लीजिए, बाजार में अब सुगर फ्री गोभी भी उपलब्ध
यह लीजिए, बाजार में अब सुगर फ्री गोभी भी उपलब्ध
गोरखपुर, जेएनएन। अब बाजार में सुगर फ्री गोभी भी आ गई है। यह कर दिखाया है सिद्धार्थनगर जिले के सोहना कृषि विज्ञान केंद्र ने। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के लिए नित नया प्रयोग किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र ने सुगर फ्री ब्रोकली ( गोभी की एक प्रजाति) पर शोध करके इसके पौध किसानों को उपलब्ध करा दिया है।
इसकी खेती करके इटवा तहसील क्षेत्र के आधा दर्जन किसान बेहतर आय प्राप्त कर रहे हैं। सुगर फ्री प्रजाति के रूप में ब्रोकली विकसित करना कृषि विज्ञान केंद्र की बड़ी सफलता है, क्योंकि अब तक सुगर फ्री ब्रोकली की प्रजाति किसी अन्य कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित नहीं हो सकी है। मधुमेह रोगी अब बेफिक्र होकर ब्रोकली की सब्जी और पराठे खा सकेंगे। मधुमेह रोगियों के लिए गोभी प्रजाति की ब्रोकली भी वर्जित थी, लेकिन सोहना कृषि विज्ञान केंद्र ने इस प्रजाति को विकसित करने में सफलता हासिल कर किसानों के माध्यम से आम लोगों को उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है। खेतों में ही बिक जा रही ब्रोकली सोहना कृषि विज्ञान केंद्र ने प्रारंभिक स्थिति में इटवा तहसील क्षेत्र के छह किसानों को पौधे बांट जो आज इसका उत्पादन करके बेहतर आय प्राप्त कर रहे हैं।
इटवा बक्शी व मुड़िला शिव दत्त के चार किसान इस खेती से बेहतर मुनाफा बटोर रहे हैं। रामहित चौहान, वासुदेव मौर्या, भजन मौर्या, कद्दूस ने सोहना कृषि विज्ञान केंद्र से तीन रुपये प्रति पौध की दर से पौधों को खरीदारी की थी। डेढ़ माह पहले इन पौधों को खेतों में लगाया। उसकी देखभाल की। अब इनकी फसल तैयार हो चुकी है। तीस से चालीस रुपये प्रति किलो की दर से खेत से ही इनकी बिक्री हो रही है। रामहित चौहान का कहना है कि कृषि विज्ञानियों के इस शोध से किसानों को बेहतर मुनाफा हो रहा है। वह अब तक एक क्विंटल तक ब्रोकली बेंच चुके हैं। वासुदेव मौर्या कहते हैं कि उनके पास दूर-दूर के व्यापारी खरीदारी करने पहुंच रहे हैं।
बढ़ती डिमांड से किसानों में उत्साह देखने को मिल रहा है। पांच माह के शोध के बाद मिला परिणाम सोहना कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. मारकंडेय सिंह ने बताया कि पांच महीने के शोध के बाद यह प्रजाति विकसित कर किसानों को इसके पौधे उपलब्ध कराए गए। इसमें आयरन व जिंक की प्रचुरता है। जिसके चलते इसका मीठापन खून में निर्धारित गति से रिलीज होता है। मधुमेह के रोगी इसकी सब्जी बेफिक्र होकर खा सकते हैं।
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