अति उत्साह की बीमारी से हैं पीड़‍ित, एक चेहरे के दो रूप

मस्तिष्क में न्यूरो ट्रांसमीटर निकलते हैं। मूलत दो ट्रांसमीटर इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। सीरोटोनिन कम हो जाता है तो अवसाद व डोपामिन ज्यादा हो जाता है तो अति उत्साह की समस्या पैदा होती है। इस पर अध्ययन जारी है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 27 Aug 2021 02:10 PM (IST) Updated:Sat, 28 Aug 2021 09:53 AM (IST)
अति उत्साह की बीमारी से हैं पीड़‍ित, एक चेहरे के दो रूप
गोरखपुर में दो मरीज अजीबोगरीब बीमारी से जूझ रहे हैं। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। महराजगंज के 40 वर्षीय व्यक्ति पिछले सप्ताह रात को घर से निकले और पैदल ही सुबह नौ बजे गोरखपुर जिला अस्पताल पहुंच गए। ठीक-ठाक कपड़े पहनने के बाद काला चश्मा लगाकर वह बेतियाहाता चौराहे पर पहुंचे और खुद को ट्रैफिक इंस्पेक्टर समझकर यातायात को नियंत्रित करने लगे। परिवार वालों ने इस हरकत के बारे में डाक्टरों से संपर्क किया तो पता चला कि दोनों मरीज अति उत्साह की बीमारी से पीडि़त हैं। बाइपोलर अफेक्टिव डिस्आर्डर नाम की यह मानसिक बीमारी मरीजों को बारी-बारी अवसाद व अति उत्साह के पाले में धकेल देती है। 

मस्तिष्क में न्यूरो ट्रांसमीटर के कम या ज्यादा होने से होती है बीमारी

मस्तिष्क में न्यूरो ट्रांसमीटर निकलते हैं। मूलत: दो ट्रांसमीटर इसके लिए जिम्मेदार होते हैं। सीरोटोनिन कम हो जाता है तो अवसाद व डोपामिन ज्यादा हो जाता है तो अति उत्साह की समस्या पैदा होती है। इसके कारणों पर अभी अध्ययन जारी है। ठोस कारण अभी तक पता नहीं चल सके हैं। अभी तक हुए अध्ययन के अनुसार अनुवांशिक, तनाव या किसी घटना के चलते यह बीमारी हो सकती है।

ऐसी हो जाती है मरीज की दशा

इस बीमारी के दो फेज होते हैं। अवसाद या अति उत्साह। जो भी फेज शुरू हुआ, महीनों चलता है। उसके बाद दूसरा फेज शुरू हो जाता है। अति उत्साह में मरीज बड़ी-बड़ी बातें करना, खुद को भगवान मानना और तोडफ़ोड़ करने पर आमादा हो जाता है। अवसाद की स्थिति में निराश, हताश, उदास रहने लगता है। लोगों से मिलना बंद कर देता है। आत्महत्या के बारे में सोचने लगता है। जिला अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में 65-70 मरीज रोज आ रहे हैं। इसमें 14 से 15 मरीज इस बीमारी के हैं। पिछले साल तक इनकी संख्या प्रतिदिन लगभग सात-आठ थी। पिछले दो-तीन वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष आठ फीसद इस बीमारी के मरीज बढ़े हैं।

अभी तक के अध्ययन के अनुसार सर्वाधिक लोगों में यह बीमारी तनाव के कारण पाई गई है। कुछ मामले अनुवांशिक व किसी घटना की वजह से भी सामने आए हैं। लेकिन मस्तिष्क में न्यूरो ट्रांसमीटर कम या ज्यादा निकलने की अभी कोई ठोस वजह पता नहीं चल पाई है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि योग-व्यायाम करें। टहलें। सामान्य से अलग गतिविधि दिखने पर तत्काल डाक्टर से संपर्क करें। - डा. अमित शाही, मानसिक रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल।

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