सोसाइटी बनाकर एड्स पीडि़तों की मदद कर रहे एचआइवी संक्रमित Gorakhpur News

गोरखपुर में अब तक सरकारी योजनाओं के तहत 100 एड्स पीडि़तों को ट्रेनिंग दिलाई गई। 85 को निजी कंपनियों में नौकरी मिल गई है। 15 ने अपना रोजगार शुरू किया है। वह कहते हैं कि जीवन फूल जैसा क्षणिक है।

By Satish ShuklaEdited By: Publish:Tue, 01 Dec 2020 11:05 AM (IST) Updated:Tue, 01 Dec 2020 06:12 PM (IST)
सोसाइटी बनाकर एड्स पीडि़तों की मदद कर रहे एचआइवी संक्रमित Gorakhpur News
विहान केयर एंड सपोर्ट सेंटर के परियोजना समन्वयक अकबर अली का फाइल फोटो।

गोरखपुर, जेएनएन। एचआइवी पीडि़त होने के बावजूद कुशीनगर के एक व्यक्ति ने खुद को मानसिक रूप से मजबूत किया फिर सोसाइटी बनाकर एड्स पीडि़तों की मदद शुरू की। गोरखपुर में 100 से अधिक एड्स रोगियों को समाज की मुख्य धारा से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया। अभी 9500 लोगों को जोड़कर उन्हें खुशहाल जीवन जीने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ भी दिलवाते हैं।

कुशीनगर के यह व्यक्ति 1999 में एचआइवी पाजिटिव हुए। 2007 में कुशीनगर वेलफेयर फार पीपुल्स लीविंग एड्स सोसाइटी का निर्माण किया। कुशीनगर के साथ उसकी एक शाखा (विहान केयर एंड सपोर्ट सेंटर) गोरखपुर में कार्य कर रही है। इसकी जिम्मेदारी अकबर अली को सौंपी है। गोरखपुर में अब तक सरकारी योजनाओं के तहत 100 एड्स पीडि़तों को ट्रेनिंग दिलाई गई। 85 को निजी कंपनियों में नौकरी मिल गई है। 15 ने अपना रोजगार शुरू किया है। वह कहते हैं कि जीवन फूल जैसा क्षणिक है। इसे जितना उत्सवपूर्ण ढंग से जिया जाए, उतना ही सार्थक है। सोसाइटी के जरिये लोगों को इसी तरह जीवन जीने के लिए प्रेरित किया जाता है।

पीडि़त बच्‍चों को मिलते हैं छह हजार रुपये

सरकारी योजना के तहत जिला महिला कल्याण समिति द्वारा हर एड्स पीडि़त ब'चों को छह हजार रुपये वार्षिक आर्थिक सहायता दी जाती है। इनकी उम्र शून्य से लेकर 17 वर्ष होनी चाहिए। अभी तक 22 ब'चों को इस योजना से जोड़ा गया है।

17 संक्रमित जोड़ों की कराई शादी

विहान केयर एंड सपोर्ट सेंटर ने 17 एचआइवी संक्रमित जोड़ों की शादी कराकर उनके जीवन में खुशियां भर दी है। पिछले दिनों एक सरकारी कर्मी की शादी कराई गई है। हालांकि संक्रमित युवक ने पढ़ी-लिखी लड़की से शादी का प्रस्ताव रखा था। इसके लिए संस्था के सदस्यों को काफी भागदौड़ करनी पड़ी। विहान केयर एंड सपोर्ट सेंटर के परियोजना समन्‍वयक अकबर अली का कहना है कि एचआइवी पाजिटिव के साथ निगेटिव लोग काम कर सकते हैं, उन्हें संक्रमण का कोई खतरा नहीं है। गोरखपुर में 100 पीडि़त, आम लोगों के बीच रहकर काम कर रहे हैं। भेदभाव व छुआछूत की धारणा बदलनी होगी। एड्स पीडि़तों को समाज की सहानुभूति की जरूरत है।

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