नेपाल में हुई बारिश से खतरे में सोहगीबरवा के वन्यजीव
करीब 43 हजार हेक्टेयर में फैला यह संरक्षित वन्य क्षेत्र चारों तरफ से नेपाल से आने वाली नदियों से घिरा है। नेपाल में चार दिनों तक लगातार हुई बारिश के चलते सभी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। जिला प्रशासन के मुताबिक जिले की साढ़े 28 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि जलमग्न है। इनमें से आधे से अधिक भूमि वन क्षेत्र की है।
विश्वदीपक त्रिपाठी, महराजगंज: नेपाल में हुई बारिश का असर सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग पर भी पड़ा है। नेपाल से निकलकर भारत में प्रवेश करने वाली रोहिन, गंडक, महाव, चंदन, प्यास, झरही, सोनिया, बघेला नदी-नालों का पानी जंगल के चारों तरफ फैल कर वन्यजीवों के लिए खतरा बन गया है। मधवलिया, चौक उत्तरी व शिवपुर रेंज सर्वाधिक प्रभावित है। जानवर सुरक्षित ठौर के लिए जंगल के आसपास के गांवों की तरफ बढ़ रहे हैं।
करीब 43 हजार हेक्टेयर में फैला यह संरक्षित वन्य क्षेत्र चारों तरफ से नेपाल से आने वाली नदियों से घिरा है। नेपाल में चार दिनों तक लगातार हुई बारिश के चलते सभी नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। जिला प्रशासन के मुताबिक जिले की साढ़े 28 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि जलमग्न है। इनमें से आधे से अधिक भूमि वन क्षेत्र की है। दलदल में फंस रहे वन्यजीव
16 जून को महाव नाले का तटबंध टूट गया था। उसका पानी सैकड़ों एकड़ खेतों के साथ जंगल में फैल गया। पानी के साथ आई रेत से पूरा क्षेत्र दलदल में तब्दील हो गया है। भागते हुए वन्यजीव दलदली भूमि में फंस जा रहे हैं। वन कर्मी भी इन क्षेत्रों में नहीं जा पा रहे हैं। बाढ़ का फायदा उठा रहे शिकारी
जंगल में पानी भरने का फायदा शिकारी उठा रहे हैं। वह जंगल के किनारे जाल व क्लच वायर का फंदा लगा रहे हैं, जिसमें हिरण, जंगली सुअर फंस जा रहे हैं। सोहगीबरवा जंगल, बिहार का बाल्मीकि नगर व नेपाल के रायल चितवन नेशनल पार्क के आपस में जुड़े होने के कारण नेपाल व बिहार के शिकारी भी सोहगीबरवा क्षेत्र में सक्रिय हैं। गांवों में आ रहे वन्यजीव
सोहगीबरवा के शिवपुर रेंज के एक गांव में 11 जून को तेंदुआ स्कूल में घुस गया था। उसे इलाज के लिए गोरखपुर स्थित चिडि़याघर ले जाया गया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार क्लच वायर में फंसने के चलते उसकी जान गई थी। 16 जून को भी कुशीनगर की सीमा से सटे जंगल से निकले एक तेंदुए को वनकर्मियों ने पकड़ा था। उसके पैर में चोट लगी थी। बाढ़ के पानी से वन्यजीवों को बचाने के लिए पहले से ऊंचे स्थान बनाए गए हैं। वनकर्मियों को नियमित गश्त के निर्देश दिए गए हैं। शिकारियों की गतिविधियों पर भी अंकुश लगाया जाएगा।
-पुष्प कुमार के, डीएफओ, सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग