तो इसलिए पचास फीसद तक गलत आ रही कोरोना की जांच रिपोर्ट

बाबा राघवदास मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग में आरटी-पीसीआर जांच का इतना ज्यादा दबाव है कि कोरोना जांच में सायकल थ्रेशहोल्ड यानी सीटी वैल्यू की जानकारी नहीं दी जा पा रही है। एंटीजन जांच 50 फीसद और आरटी-पीसीआर जांच की रिपोर्ट 70 फीसद तक सही मानी जाती है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 12:20 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 08:04 AM (IST)
तो इसलिए पचास फीसद तक गलत आ रही कोरोना की जांच रिपोर्ट
कोरोना की एंटीजन जांच 50 और आरटी-पीसीआर जांच रिपोर्ट 70 फीसद तक सही आ रही है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश करने के साथ ही जीभ के पिछले हिस्से यानी तालु में छिपकर बैठ जा रहा है। कोरोना वायरस की शरीर में मौजूदगी की जांच के लिए हो रही रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पालीमर्स चेन रिएक्शन यानी आरटी-पीसीआर जांच के लिए नमूना लेने वाले टेक्निशियन जल्दबाजी में जीभ से नमूने ले रहे हैं। इस कारण सभी जांच रिपोर्ट सही नहीं आ रही है। कोविड प्रोटोकाल के तहत जांच की बनाई व्यवस्था में साफ कहा गया है कि नाक और जीभ के पिछले हिस्से का नमूना एक साथ मिलाकर आरटी-पीसीआर जांच कराई जानी चाहिए। एंटीजन जांच के लिए सिर्फ नाक के पिछले हिस्से का नमूना लिया जाता है।

70 फीसद तक सही होती है रिपोर्ट

एंटीजन जांच की रिपोर्ट 50 फीसद तक सही मानी जाती है। आरटी-पीसीआर जांच की रिपोर्ट 70 फीसद तक सही मानी जाती है।

बीआरडी में अभी नहीं मिल पा रही सीटी वैल्यू

बाबा राघवदास मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग में आरटी-पीसीआर जांच का इतना ज्यादा दबाव है कि कोरोना जांच में सायकल थ्रेशहोल्ड यानी सीटी वैल्यू की जानकारी नहीं दी जा पा रही है। सीटी वैल्यू के आधार पर कोरोना वायरस की क्षमता का आंकलन किया जाता है। यदि सीटी वैल्यू 25 से कम है तो माना जाता है कि संक्रमण ज्यादा है और संक्रमित व्यक्ति दूसरों को भी संक्रमित कर सकता है। माइक्रोबाइयोलाजी विभाग में वर्तमान में 3500 से ज्यादा जांच हो रही है। यहां रोजाना तकरीबन छह हजार नमूने पहुंच रहे हैं।

25 से कम आ रही सीटी वैल्यू

बेतियाहाता स्थित लाइफ पैथोलाजी के डा. अमित गोयल कहते हैं कि उनके यहां हो रही आरटी-पीसीआर जांच में ज्यादातर मरीजों की सीटी वैल्यू 25 से कम आ रही है। यह स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है। यही वजह है कि इस बार एक व्यक्ति के संक्रमित होने पर पूरे परिवार के संक्रमित होने का खतरा मंडराने लग रहा है। संक्रमण की सही स्थिति जानने के लिए आरटी-पीसीआर जांच जरूरी है।

नाक और गले के पिछले हिस्से से स्वाब लेकर आरटी-पीसीआर जांच होनी चाहिए। इससे परिणाम बेहतर मिलते हैं। गलत तरीके से नमूना लेने से परिणाम ठीक नहीं मिलते हैं। कई मामलों में ऐसा देखने को मिल रहा है। रिपोर्ट कई बार गड़बड़ आ जा रही है। नाक और जीभ के पिछले हिस्से से स्वाब न लेने के कारण ऐसा हो रहा है। - डा. अमरेश सिंह, विभागाध्यक्ष, माइक्रोबायोलाजी, बाबा राघवदास मेडिकल कालेज, गोरखपुर।

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