महराजगंज जिला अस्पताल में बढ़ेगा एसएनसीयू का बेड, शासन को भेजा गया प्रस्ताव

जनपद के सबसे बड़े जिला अस्पताल में शिशु मृत्युदर के रोकथाम एवं शिशुओं की सुरक्षा के लिए लाखों रुपये खर्च कर एक दशक पहले एसएनसीयू का निर्माण कराया गया। इसमें 20 बेड की व्यवस्था की गई। लेकिन आबादी बढ़ने के साथ संसाधन नहीं बढ़ सके।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 06:10 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 06:10 AM (IST)
महराजगंज जिला अस्पताल में बढ़ेगा एसएनसीयू का बेड, शासन को भेजा गया प्रस्ताव
महराजगंज जिला अस्पताल में बढ़ेगा एसएनसीयू का बेड, शासन को भेजा गया प्रस्ताव

महराजगंज: जिला संयुक्त अस्पताल के सिक एंड न्यू बार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में बेड के अभाव में अव्यवस्था झेल रह नवजातों की मुश्किलें अब शीघ्र दूर होने उम्मीद हैं। अलग से एक और वार्ड बनाकर बेड बढ़ाएं जाएंगे। इसके लिए अस्पताल प्रशासन ने शासन को प्रस्ताव भेजा है।

जनपद के सबसे बड़े जिला अस्पताल में शिशु मृत्युदर के रोकथाम एवं शिशुओं की सुरक्षा के लिए लाखों रुपये खर्च कर एक दशक पहले एसएनसीयू का निर्माण कराया गया। इसमें 20 बेड की व्यवस्था की गई। लेकिन आबादी बढ़ने के साथ संसाधन नहीं बढ़ सके। इसलिए नवजात शिशुओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक बेड पर तीन से चार बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। लगभग दो माह से वार्ड फुल चल रहा है। वार्ड में 20 बेड पर 50 से 60 बच्चों को भर्ती किया जा रहा है। जिससे एक-दूसरे बच्चों में संक्रमण फैलने का खतरा बना हुआ है। यही हाल इंसेफ्लाइटिस वार्ड का भी हैं। यहां भी 15 बेड पर 30 बच्चे भर्ती हैं। बेड की कमी के कारण तीमारदार संग स्टाफ नर्स भी परेशान हैं। लेकिन बच्चों की बढ़ती संख्या के आगे वह बेबस हैं। इस अव्यवस्था को दैनिक जागरण द्वारा अभियान के तहत प्रकाशित किया गया है। इसके बाद अस्पताल प्रशासन हरकत में आया और इंफ्रास्ट्रेक्चर बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एके राय ने बताया कि एसएनसीयू वार्ड के बगल में एक और कमरे को वार्ड के रूप में लिया जाएगा। इसमें कम से कम आठ बेड और बढ़ जाएंगे। इसके लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। इस प्रकार कुल बेड की संख्या 28 तक हो जाएगी। बेड बढ़ने से नवजातों को और बेहतर चिकित्सकीय सुविधा मिल सकेगी। इन नवजात का यहां होता है इलाज

एसएनसीयू में जन्म लेने के साथ सांस, जांडिस, दूध नहीं पीने, निर्धारित वजन से कम, नौ माह के पहले जन्म, अविकसित शिशुओं का गंभीर स्थित में इलाज किया जाता है।

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