बताएगी स्मार्ट डस्टबिन, मैं भर चुकी हूं, मामूली खर्च में हो जाएगी व्यवस्था
सत्यव्रत गाजियाबाद के एक कालेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने अल्ट्रासोनिक सेंसर की मदद से एक ऐसा स्मार्ट डस्बबिन तैयार किया है। अल्ट्रासोनिक सेंसर के जरिये करीब पांच मीटर तक आयतन क्षेत्र का मापन किया जा सकता है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। पिपरौली विकास खंड के हरदिया पिछौरा गांव निवासी इंजीनियरिंग तृतीय वर्ष के छात्र सत्यव्रत त्रिपाठी ने एक ऐसा स्मार्ट डस्टबिन तैयार किया है, जो खुद बताएगी कि वह भर चुकी है। इंटरनेट के जरिये लोगों को इसकी सूचना लोगों को कहीं से भी मिल सकती है। इससे कचरा ओवरफ्लो होकर नीचे नहीं बिखरेगा। साफ-सफाई बेहतर रहेगी तो लोग संक्रामक रोगों से भी बचे रहेंगे।
मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे सत्यव्रत
सत्यव्रत गाजियाबाद के एक कालेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने अल्ट्रासोनिक सेंसर की मदद से एक ऐसा स्मार्ट डस्बबिन तैयार किया है। अल्ट्रासोनिक सेंसर के जरिये करीब पांच मीटर तक आयतन क्षेत्र का मापन किया जा सकता है। सत्यव्रत का कहना है कि डस्टबिन(कचरा पेटी) के आयतन की फीडिंग उन्होंने कंप्यूटर में कर रखी है। डस्टबिन जैसे ही कोई वस्तु डाली जाती है वह सेंसर के जरिये कंप्यूटर पर बताएगी कि वह कितनी फीसद भरी है। उनका कहना है रेलवे स्टेशन, माल, हास्पिटलों में वाइफाई के वहां की डस्टबिन को कनेक्ट किया जा सकता है और उसके बाद कहीं से भी वेब चैनल पर जाकर देखा जा सकता है कि कौन डस्टबिन कितनी भरी हुई है। ओवरफ्लो होने से पूर्व ही डस्टबिन की सफाई हो जाएगी।
सिर्फ 650 रुपये आएगा खर्च
सत्यव्रत का कहना है कि यह प्रयोग नगरनिगम में भी किया जा सकता है, लेकिन पूरा शहर वाई-फाई से नहीं जुड़ा है, इसलिए थोड़ी कठिनाई आएगी, लेकिन रेलवे स्टेशन, हास्पिटल व माल में यह आसानी से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनका यह डिवाइस महंगा भी नहीं है। साढ़े छह सौ रुपये खर्च में डस्टबिन को अल्ट्रासोनिक सेंसर, नो डैम सीयू (वाईफाई कनेक्टिविटी के लिए) व बैट्री से जोड़कर उसे स्मार्ट बनाया जा सकता है।
यहां से मिली प्रेरणा
सत्यव्रत कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति के स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता का बेहद अहम रोल है, लेकिन अधिकांश स्थानों पर देखने को यही मिलता है कि कचरा पेटी भर चुकी है और कचरा नीचे गिर रहा है। कचना नीचे बिखरा होना संक्रामक बीमारियों का कारक बनता है। ऐसे में जब यह पता चलेगा कि कौन सी कचरा पेटी कितनी भरी हुई है तो उसकी समय से साफ-सफाई हो जाएगी। सत्यव्रत ने कहा कि एक साथ कई डस्टबिन को जोड़ने के लिए उन्होंने अपना एक वेब चैनल तैयार किया है, जिस पर डस्टबिन की पूरी रिपोर्ट रहेगी।