गोरखपुर में कोरोना की दवाओं की भारी कमी, 12 सौ रुपये में मिल रहा चार सौ रुपये का पल्स आक्सीमीटर

गोरखपुर में कोरोना की दवाओं की भारी कमी है। कोरोना की पहली लहर में पिछले साल तकरीबन तीन से चार सौ रुपये में मिलने वाला चाइनीज पल्स आक्सीमीटर अब 12 सौ रुपये में थोक दवा मंडी में मिल रहा है।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 10:52 AM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 12:51 PM (IST)
गोरखपुर में कोरोना की दवाओं की भारी कमी, 12 सौ रुपये में मिल रहा चार सौ रुपये का पल्स आक्सीमीटर
गोरखपुर में कोरोना की दवाओं की भारी कमी है। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जेएनएन। कोलकाता और दिल्ली के रास्ते बाजार में चाइनीज पल्स आक्सीमीटर की उपलब्धता बढ़ी है। कोरोना की पहली लहर में पिछले साल तकरीबन तीन से चार सौ रुपये में मिलने वाला चाइनीज पल्स आक्सीमीटर अब 12 सौ रुपये में थोक दवा मंडी में मिल रहा है। हालांकि दवा व्यापारी इन आक्सीमीटर की कोई वारंटी नहीं दे रहे हैं। वहीं देश में निर्मित पल्स आक्सीमीटर की कीमत दो हजार रुपये से ज्यादा है। इसकी वारंटी दी जा रही है। इधर, बाजार में कोरोना संक्रमण की आवश्‍यक दवाओं की कमी बनी हुई है।

कोरोना की दूसरी लहर में पल्स आक्सीमीटर का इस्तेमाल अब तकरीबन हर घर में हो रहा है। कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखते ही डाक्टर लगातार शरीर में आक्सीजन के स्तर की जांच के लिए कह रहे हैं। जागरूकता बढ़ने का ही परिणाम है कि आक्सीजन का स्तर कम होते ही लोग कोविड अस्पतालों में पहुंच रहे हैं और इलाज शुरू करा रहे हैं। लेकिन अचानक मांग बढ़ने के कारण इसकी उपलब्धता काफी कम हो गई है।

530 से 550 में पांच लीटर सैनिटाइजर

पिछले महीने सैनिटाइजर की कमी के कारण कीमतें आसमान पर पहुंच गई थीं। अब सैनिटाइजर की पर्याप्त उपलब्धता बाजार मेें हो गई है। थोक दवा मंडी भालोटिया मार्केट में पांच लीटर का सैनिटाइजर 530 से 550 रुपये में उपलब्ध हो रहा है। यही हाल शरीर का तापमान जानने के लिए इस्तेमाल होने वाले थर्मामीटर और भाप लेने वाली मशीन का है। थर्मामीटर और भाप लेने वाली मशीन की भी बाजार में उपलब्धता बढ़ती जा रही है। पिछले महीने पांच सौ रुपये में फुटकर बाजार में बिकने वाली भाप लेने वाली मशीन वर्तमान में 250 से 300 रुपये में मिल जा रही है।

सड़क किनारे बिक्री से बढ़ी मुश्किल

थोक दवा मंडी में सैनिटाइजर, सोडियम हाइपो क्लोराइट, मास्क आदि की उपलब्धता बढ़ने के साथ ही कुछ दुकानदार इसे सड़क किनारे रखकर बेच रहे हैं। इस कारण लोगों की भीड़ ज्यादा बढ़ जा रही है। डीएम के. विजयेंद्र पाण्डियन ने दुकानों के सामने दवाओं का गत्ता भी न रखने के निर्देश दिए थे पर दुकानदार दवा भी बेच रहे हैं। कोविड प्रोटोकाल का पालन कराने के लिए बाजार में पुलिसकर्मियों की तैनाती है लेकिन वह कुछ नहीं कर पा रहे हैं।

बाजार में सैनिटाइजर, सोडियम हाइपोक्लोराइट, मास्क, थर्मामीटर आदि की उपलब्धता बढ़ी है। कंपनियों से लगातार बात कर इसकी उपलब्धता और बढ़ाई जा रही है। आने वाले दिनों में कीमतें और कम होंगी। दुकानदार कोविड प्रोटोकाल के साथ ही प्रशासन के निर्देशों का पूरी तरह पालन कर रहे हैं। - योगेंद्र नाथ दुबे, अध्यक्ष, दवा विक्रेता समिति

स्टाकिस्टों से सभी डीलरों को नहीं मिल पा रही दवाएं

थोक दवा मंडी भालोटिया मार्केट के स्टाकिस्टों के पास कोरोना संक्रमण से बचाव में खाने वाली दवाएं पर्याप्त मात्रा में आ रही हैं। लेकिन सभी डीलरों को दवाएं न मिलने के कारण दवा की फुटकर दुकानों पर इनकी कमी हो रही है। कोरोना संक्रमण से बचाव से जुड़ी दवाओं की इन दिनों सबसे ज्यादा खपत है। शुरुआती कमियों के बाद दवा कंपनियों ने अपना उत्पादन काफी बढ़ा दिया है। इस कारण स्टाकिस्टों तक दवाएं पहुंचनी शुरू भी हो गई हैं लेकिन इसके आगे डीलर तक दवाएं न पहुंचने के कारण फुटकर व्यापारियों की दुकानों पर कमी अब भी बरकरार है।

इन दवाओं की ज्यादा मांग

फेविपिराविर : कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखने पर डाक्टर की सलाह पर होता है इस्तेमाल।

कोविड प्रोटोकाल की दवाएं : आइवरमैक्टिन, एजिथ्रोमाइसिन, डाक्सीसाइक्लिन, विटामिन सी, जिंक, विटामिन डी3, मांटेलुकास्ट व लीवोसेट्रिजिन, पैरासीटामाल, पेंटाप्रोजोल।

मेथाइलप्रेडनिसोलोन : संक्रमण ज्यादा बढ़ने पर इस ग्रुप की स्टेरायड का इस्तेमाल किया जाता है।

थोक दवा मंडी में एमआरपी पर दवा थोक दवा मंडी भालोटिया मार्केट में सीधे मरीज को दवाएं नहीं दी जा सकती हैं। थोक दवा व्यापारी ड्रग लाइसेंस वाले दुकानदारों को उनके लाइसेंस पर जीएसटी वाले बिल पर ही दवाएं बेच सकते हैं लेकिन मंडी में इन दिनों मरीजों को सीधे दवाएं बेची जा रही हैं। मंडी में पहुंचने वाले मरीजों को दुकानदार एमआरपी पर दवा दे रहे हैं। बाजार में दवा उपलब्ध न होने के कारण मरीजों को मंडी में पहुंचना पड़ रहा है।

अब भालोटिया मार्केट में नहीं मिलेगी फेवीफ्लू

कोरोना संक्रमण के रोकथाम में इस्तेमाल की जाने वाली फेविपिराविर ब्रांड नाम फेवीफ्लू अब भालोटिया मार्केट में मरीजों के स्वजन को सीधे नहीं दी जाएगी। दवा की पर्याप्त उपलब्धता के बाद औषधि प्रशासन विभाग ने सभी व्यापारियों को निर्देश दिए हैं कि वह सीधे मरीज के स्वजन को किसी हाल में दवा न दें। फेविपिराविर मालीक्यूल की सभी दवाएं अब दवा की फुटकर दुकानों से डाक्टर के पर्चे पर ही बेची जाएंगी।

अगले हफ्ते से निजी अस्पतालों में मिलेगी रेमडेसिविर

प्रशासन के नियंत्रण में आने के बाद कोरोना संक्रमण रोकने में इस्तेमाल होने वाली रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मारामारी कम हो गई है। डाक्टर का पर्चा, डीएम का प्रोफार्मा, मरीज के आधारकार्ड व स्वजन के आधारकार्ड की फोटोकापी के आधार पर कलेक्ट्रेट स्थित आपदा कार्यालय से रेमडेसिविर दी जा रही है। ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया कि अभी सुबह मरीज के स्वजन जरूरी कागजात जमा कर रहे हैं। उन्हें टोकन देकर इंजेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। अगले सप्ताह से इसकी उपलब्धता काफी हो जाएगी। तब इंजेक्शन सभी कोविड अस्पतालों में उपलब्ध करा दी जाएगी। इससे मरीजों को वहीं से इंजेक्शन दे दी जाएगी। औषधि प्रशासन विभाग उपलब्धता पर नजर रखेगा।

ब्रांड नाम से न हों परेशान

ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने कहा कि बाजार में दवाओं की कोई कमी नहीं है। कंपनियों के साथ ही सीएंडएफ से लगातार बात चल रही है। स्टाकिस्ट के स्तर पर यदि दवाएं रोकी जा रही हैं तो यह गलत है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मरीज के स्वजन कोविड प्रोटोकाल की दवाएं ब्रांड नाम से न मिले तो परेशान न हों, किसी भी कंपनी की उसी मालीक्यूल की दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं। दवा मिलने में कोई दिक्कत हो तो औषधि प्रशासन विभाग से शिकायत करें।

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