भारत-नेपाल सीमा बंद होने से भुखमरी के कगार पर व्यापारी
इतने लंबे समय तक नेपाल बॉर्डर इसके पहले कभी बंद नहीं हुआ था। पिछले एक डेढ़ महीने से पैदल आने-जाने दिया जा रहा है लेकिन बीच-बीच में उसे भी रोक दिया जाता है। दोनों देशों के लोगों को सीमा पार कर सामान खरीदने पर पाबंदी है।
गोरखपुर, जेएनएन। भारत-नेपाल सीमा बंद हुए सात महीने पूरे होने जा रहे हैं। पिछले दिनों नेपाली कैबिनेट ने एक महीने के लिए बंदी की अवधि फिर बढ़ा दी है। इतने लंबे समय तक सीमा बंद होने के कारण दोनों देशों के सीमावर्ती क़स्बों व गांवों के व्यापारियों का कारोबार व दुकानदारी चौपट हो गया है। व्यापारी भुखमरी के कगार पर आ गए हैं और पलायन करने को मजबूर हैं।
कोरोना के कारण भारत-नेपाल का महेशपुर मार्ग 24 मार्च से बंद है। बॉर्डर बंद हुए सात महीने पूरे होने जा रहे हैं। नेपाली कैबिनेट ने 15 नवंबर तक एक महीने के लिए बॉर्डर बंदी की अवधि एक बार फिर बढ़ा दी है। इतने लंबे समय तक नेपाल बॉर्डर इसके पहले कभी बंद नहीं हुआ था। पिछले एक डेढ़ महीने से पैदल आने-जाने दिया जा रहा है , लेकिन बीच-बीच में उसे भी रोक दिया जाता है। दोनों देशों के लोगों को सीमा पार कर सामान खरीदने पर पाबंदी है।
ठूठीबारी में खुली हैं करीब पांच सौ दुकानें
भारत नेपाल सीमा के महेशपुर मार्ग पर महराजगंज जनपद का ठूठीबारी एक बड़ा व्यावसायिक केंद्र माना जाता है। जहां छोटी बड़ी करीब पांच सौ दुकानें संचालित होती हैं। ठूठीबारी का 80 फीसद कारोबार नेपाल के ग्राहकों से चलता है। लेकिन सीमा सील होने के कारण व्यापार में भारी गिरावट आई है। क्षेत्र के ठूठीबारी, लक्ष्मीपुर व झुलनीपुर से बड़ी संख्या में दोनों देशों के लोगों की आवजाही होती है। लेकिन इन दिनों वहां सन्नाटा पसरा है।
आर्थिक रूप से कमजोर हुए हैं खुदरा व्यापारी
भारत-नेपाल दोनों देशों के सीमाक्षेत्र में व्यापार करने वाले खुदरा दुकानदार सीमा बंद होने से आर्थिक रूप से टूट गए हैं। सीमावर्ती लोगों को उम्मीद थी कि दशहरे के त्योहार में नेपाल सरकार बंद सीमा को खोल देगा। क्योंकि नेपाल में यह बड़ा त्योहार होता है , लेकिन नेपाल ने 16 अक्टूबर से 15 नवंबर तक एक महीने के लिए सीमाबंदी और बढ़ा दी है। ऐसे में स्थानीय लोगों सहित व्यापारियों में मायूसी छाई हुई है।
व्यापारियों ने किया है सीमा खोलने की मांग
आर्थिक रूप से टूट चुके व्यापारियों ने ठूठीबारी व्यापार मंडल के अध्यक्ष भवन प्रसाद गुप्त के नेतृत्व में 28 सितंबर को जिलाधिकारी से मुलाकात कर ज्ञापन देकर सीमा खोलने की मांग किया था। जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन देकर प्रधानमंत्री से गुहार लगाई थी । जल्दी सीमा को खोलते हुए व्यापारियों को सुविधा उपलब्ध कराई जाए। लेकिन सीमावर्ती व्यापारियों के गुहार का कोई असर नहीं हुआ।