बारिश से फिराक गोरखपुरी का मकान ढहा Gorakhpur News
लंबे समय से फिराक के इस धरोहर को बचाने की मांग सरकार से चल रही है। मकान गिरने से क्षेत्र के लोगों में निराशा है।
गोरखपुर, जेएनएन। लगातार बारिश से शनिवार देर रात प्रख्यात शायर रघुपति सहाय 'फिराक गोरखपुरी के बनवारपार गांव स्थित पुश्तैनी खपरैल के मकान का कुछ हिस्सा गिर गया। लंबे समय से फिराक के इस धरोहर को बचाने की मांग सरकार से चल रही है। मकान गिरने से क्षेत्र के लोगों में निराशा है। समय रहते यदि मरम्मत करा दी गई होती तो शायद यह धरोहर संरक्षित रहती।
फिराक गोरखपुरी की यहीं पर हुई थी प्रारंभिक शिक्षा
28 अगस्त 1896 को जन्मे फिराक गोरखपुरी की प्रारंभिक शिक्षा धुरियापार क्षेत्र के बनवारपार स्थित पैतृक मकान में रहकर हुई। वर्तमान में पचास डिसमिल में खाली जमीन तथा खपरैल का मकान बचा था। आजादी के बाद फिराक 1952 में गांव आकर किसान मजदूर प्रजा पार्टी के बैनर तले बांसगांव लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे। शिक्षा जगत से जुड़ा ऐसा कोई भी शख्त नहीं है जो फिराक गोरखपुरी को न जानता हो। साहित्य के क्षेत्र में वैश्विक फलक पर ख्याति अर्जित करने वाले फिराक का निधन तीन मार्च 1982 को हुआ था। वर्तमान में हालात ऐसी है कि उनका मकान भी ध्वस्त हो गया। उन्हें जानने वाले कुछ लोग हैं जो समय-समय पर मीडिया के माध्यम से उनके घर, जमीन और स्मारक के बारे में आवाज उठाते रहते हैं। बहरहाल, अब तो उनका मकान भी ढह गया।
उपेक्षित है फिराक स्थली
फिराक सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. छोटेलाल यादव ने कहा कि फिराक से जुड़ी स्मृतियों को सहेजने में शासन-प्रशासन की दिलचस्पी नहीं है। शासन से एक कम्युनिटी हाल बनाने की बात चल रही थी, वह भी मूर्त रूप नहीं ले पाई। फिराक स्थली शासन-प्रशासन की उपेक्षा का शिकार है।
अतिक्रमण खाली कराया जाएगा
एसडीएम गोला, राजेंद्र बहादुर ने बताया कि फिराक गोरखपुरी की स्मृतियों के रख-रखाव की जिम्मेदारी फिराक सेवा संस्थान की है। तहसील प्रशासन उसमें कुछ नहीं कर सकता। फिराक की जमीन पर अतिक्रमण हुआ है तो उसे तहसील प्रशासन जांच कर खाली कराएगा। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी रविंद्र मिश्र का कहना है कि फिराक के गांव को विकसित करने के लिए विभाग को इस्टीमेट भेजा गया है। स्वीकृति के बाद धन मिलने पर काम कराया जाएगा।