गोरखपुर में निराश्रित बच्‍चों के पालन पोषण को तैयार हैं आश्रयगृह

यहां छह आश्रय गृह ऐसे हैं जहां सभी तरह के बच्‍चों को रखा जा सकता है। पहले से भी कई निराश्रित या भटक कर आए बच्‍चे वहां रखे जा रहे हैं। यहां शून्य से 10 एवं 10 से 18 वर्ष आयुवर्ग के बच्‍चों को रखा जा सकता है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 04:16 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 04:16 PM (IST)
गोरखपुर में निराश्रित बच्‍चों के पालन पोषण को तैयार हैं आश्रयगृह
बच्‍चों के संबंध में फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। कोरोना से निराश्रित होने वाले ब'चों को यदि अभिभावकों का सहारा नहीं मिला तो जिले के आश्रय गृहों में उनके लिए पर्याप्त जगह है। अब तक चिन्हित 216 निराश्रित ब'चों में से छह के माता एवं पिता, दोनों का निधन हो चुका है जबकि अन्य ब'चों के माता या पिता में से किसी एक का निधन हुआ है। अच्‍छी बात यह है कि अब तक ऐसा कोई बच्‍चा नहीं मिला, जिसकी जिम्मेदारी लेने वाला कोई न हो। जितने बच्‍चे मिले हैं, सभी किसी न किसी अभिभावक के साथ रह रहे हैं और उनकी देखभाल के लिए सरकार की ओर से हर महीने चार हजार रुपये भी दिए जा रहे हैं। भविष्य में यदि कोरोना के कारण निराश्रित हुए ब'चे को आश्रय गृह में रखने की नौबत आती है तो जिले में स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से संचालित छह आश्रय गृह उनके पालन पोषण को तैयार हैं।

स्वयंसेवी संस्थाओं की तैयारी

कोरोना के चलते निराश्रित हुए बच्‍चों की मदद के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथ बढ़ाया है। उन्होंने कहा था कि हर निराश्रित बच्‍चे के साथ सरकार खड़ी है। जिन बच्‍चों के अभिभावक भी नहीं होंगे, उन्हें बाल शिशु आश्रय गृहों में रखा जाएगा। मुख्यमंत्री की इस घोषणा को लेकर भी गोरखपुर तैयार है। यहां छह आश्रय गृह ऐसे हैं, जहां सभी तरह के बच्‍चों को रखा जा सकता है। पहले से भी कई निराश्रित या भटक कर आए बच्‍चे वहां रखे जा रहे हैं। यहां शून्य से 10 एवं 10 से 18 वर्ष आयुवर्ग के बच्‍चों को रखा जा सकता है। बालिकाओं तथा विशेष जरूरत वाले बच्‍चों के लिए अलग आश्रय गृह हैं। इन आश्रय गृहों में करीब 200 बच्‍चों को रखने की क्षमता है और कहीं भी क्षमता से अधिक बच्‍चे नहीं हैं। यहां अभी भी नए बच्‍चों को रखने की गुंजाइश है।

नहीं है सरकारी बाल शिशु आश्रय गृह, बनाने का प्रस्ताव

जिले में सरकार की ओर से संचालित कोई बाल शिशु आश्रय गृह नहीं है। यहां निराश्रित ब'चों के लिए आश्रय गृह बनाने का प्रस्ताव है। इसके लिए चरगांवा में जमीन चिन्हित भी की गई है। यहां बनने वाला आश्रय गृह शून्य से 10 एवं 10 से 18 वर्ष आयु वर्ग के ब'चों के लिए होगा।

व्यवस्था देख गर्व जता चुके हैं मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जेल रोड स्थित एशियन सहयोगी संस्था के बाल शिशु आश्रय गृह का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान यहां की व्यवस्था व ब'चों की देखभाल देखकर वह काफी प्रभावित हुए थे। मुख्यमंत्री ने कहा था कि उन्हें गर्व है कि इस तरह की संस्था उनके प्रदेश में है। जिले के अन्य आश्रय स्थलों की व्यवस्था भी दुरुस्त है।

जिले में संचालित हैं ये आश्रय गृह

एशियन सहयोगी संस्था जेल रोड की ओर से संचालित बाल शिशु गृह में शून्य से 10 वर्ष आयु वर्ग के 50 बच्‍चों को रखने की क्षमता है।

पादरी बाजार में स्थित खुला आश्रय गृह स्नेहालय में 10 से 18 वर्ष आयु वर्ग के 25 बच्‍चे रह सकते हैं।

10 से 18 वर्ष आयु वर्ग की बालिकाओं के लिए प्रतीक्षा बाल गृह बालिका आश्रय गृह खोराबार। यहां 25 बालिकाओं को रखने की क्षमता है।

विशेष जरूरत वाले बच्‍चों के लिए जंगल एकला नंबर दो गुलरिहा में एलएसडीपी नाम से आश्रय गृह है। यहां शून्य से 10 एवं 10 से 18 वर्ष आयु वर्ग के 25-25 बच्‍चे रह सकते हैं।

विशेष जरूरत वाले बच्‍चों के लिए ही कैंपियरगंज में आसरा विशेष स्कूल है। यहां 25 बच्‍चों को रखा जा सकता है।

जिला प्रोबेशन अधिकारी सर्वजीत सिंह का कहना है कि कोरोना से निराश्रित किसी बच्‍चे को अभी आश्रय गृह में रखने की नौबत नहीं आई है। यदि ऐसी स्थिति आई तो यहां संचालित स्वयंसेवी संस्थाओं के आश्रय गृह में उन्हें रखा जा सकता है। सभी आश्रय गृहों में स्थान है। यहां बच्‍चों की देखरेख भी बेहतर तरीके से होती है। किसी भी बच्‍चे को परेशानी नहीं होने दी जाएगी।

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