कोरोना संक्रमण से बचकर रहें हीमोफीलिया के गंभीर मरीज Gorakhpur News

आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल एक भी हीमोफीलिया के मरीज में कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था। इस बार चार बचों में संक्रमण की पुष्टि हुई है लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं थे। वे 10 दिन में पूरी तरह ठीक हो गए।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 05:09 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 06:03 PM (IST)
कोरोना संक्रमण से बचकर रहें हीमोफीलिया के गंभीर मरीज Gorakhpur News
हीमोफीलिया के संबंध में प्रतीकात्‍मक फाइल फोटो, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना गंभीर मरीजों के लिए खतरनाक है। अभी तक इस बीमारी से जितनी मौतें हुई हैं, उनमें से ज्यादातर लोग पूर्व से ही अन्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त थे। हीमोफीलिया भी एक गंभीर रोग हैं। इसमें ऐसे मरीजों के लिए संक्रमण ज्यादा खतरनाक है, जिन्हें बिना चोट लगे खून बहने लगता है। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि हीमोफीलिया के मरीज पूरी सतर्कता बरतें। मां-बाप ब'चों को बचाकर रखें। घर से बाहर न निकलने दें।

शनिवार को विश्व हीमोफीलिया दिवस है। लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। लेकिन इस बार विशेषज्ञ इस बीमारी के साथ ही मरीजों को कोरोना से भी सावधान कर रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल एक भी हीमोफीलिया के मरीज में कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था। इस बार चार ब'चों में संक्रमण की पुष्टि हुई है लेकिन उनमें कोई लक्षण नहीं थे। वे 10 दिन में पूरी तरह ठीक हो गए। लेकिन बड़े लोगों में लक्षण आ सकते हैं और संक्रमण गंभीर हो सकता है।

पंजीकृत हैं 229 मरीज

बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कालेज में 229 मरीज पंजीकृत हैं। वहां 10 बेड का वार्ड है लेकिन इसकी दवा (फैक्टर) हमेशा उपलब्ध नहीं रहती है। मरीजों को जरूरत पडऩे पर अक्सर बनारस या लखनऊ जाना होता है। ऐसे में खून काफी बह जाता है और उन्हें खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। इस बीमारी में फैक्टर सात, आठ व नौ का इस्तेमाल किया जाता है। बाजार में यह दवा तीन से 12 हजार रुपये में मिलती है। फैक्टर सात की कीमत लगभग 12 हजार, नौ की आठ हजार व फैक्टर आठ की कीमत लगभग तीन हजार रुपये है।

क्‍या हैं लक्षण

शरीर के जोड़ों, घुटनों, एड़ी, कोहनी में सूजन होता है। बच्‍चों में चिड़चिड़ापन, धुंधला दिखाई पड़ने लगता है। नाक से खून का बहना, आंख व पेशाब के साथ खून आने लगता है। चोट लगने पर लंबे समय तक खून बहना

और बिना चोट लगे भी खून बहना भी इसके लक्षणों में आता है। इसके अलावा शरीर के किसी भी भाग पर बार-बार नीले चकत्ते पड जाते हैं। बीआरडी मेडिकल कालेज में बाल रोग विभाग की अध्‍यक्ष डा. अनिता मेहता का कहना है कि हीमोफीलिया के बाल रोगियों में अभी तक कोरोना से कोई दिक्कत नहीं हुई। लेकिन बड़े मरीजों खासकर उनमें जिन्हें बिना चोट के खून बहने लगता है, संक्रमण से दिक्कत हो सकती है। ऐसे मरीजों को कोरोना से बचाव के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। मां-बाप को चाहिए ब'चों को भी घर के अंदर रखें। उन्हें कहीं चोट न लगने पाए। साथ ही संक्रमण से पूरी तरह उन्हें बचाएं। 

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