गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में होगी संत कबीर पीठ की स्थापना

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (दीदउ गोविवि) के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा है कि विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में संत कबीर पीठ की स्थापना की जाएगी। इसका मकसद विद्यार्थियों को कबीर के जीवन दर्शन से रूबरू करना होगा।

By Satish chand shuklaEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 06:30 PM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 07:12 PM (IST)
गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में होगी संत कबीर पीठ की स्थापना
संगोष्ठी में उपस्थित कुलपति प्रो. राजेश कुमार सिंह । साथ में प्रो. नंदिता सिंह।

गोरखपुर, जेएनएन। संत कबीर आम लोगों की बात करते थे। गुरु गोरखनाथ की पावन जमीन से उनका गहरा नाता रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में संत कबीर पीठ की स्थापना की जाएगी। इसका मकसद विद्यार्थियों को कबीर के जीवन दर्शन से रूबरू करना होगा। इसके साथ ही साथ गुरु गोरखनाथ, संत रैदास और कबीरदास के जीवन दर्शन पर आधारित वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन भी किया जाएगा।

यह बातें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (दीदउ गोविवि) के कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कही। वह विश्वविद्यालय के संवाद भवन में संत कबीर के महापरिनिर्वाण दिवस के उपलक्ष्‍य पर आयोजित संत कबीर और भारतीय संत परंपरा विषयक संगोष्ठी सह वेबिनार को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम संत कबीर अकादमी एवं गोरखपुर विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित था। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन की कोशिश होगी की महापुरुषों के विचारों को विवि के साथ-साथ संबंधित कालेज के विद्यार्थियों तक पहुंचाया जाए। इसके लिए निबंध, वाद विवाद, प्रश्नोत्तरी और पोस्टर प्रतियोगिताओं का भी आयोजन आगे चलकर किया जाएगा।

कबीर ने आध्यात्मिक पक्ष पर अधिक बल दिया

प्रमुख वक्ता पूर्व निदेशक, केंद्रीय हिंदी संस्थान आगरा के प्रो. नंद किशोर पांडेय ने कहा कि कबीर का मूल्यांकन बाह्याडंबर के विरोध पक्ष को आधार बनाकर किया जाता रहा है। जबकि उन्होंने अपने पदों और वाणियों में आध्यात्मिक पक्ष पर अधिक बल दिया है। नेपाल के त्रिभुवन विश्वविद्यालय की पूर्व प्रमुख डा. श्वेता दीप्ति ने कहा कि कबीर ने अपनी कविताओं से न केवल आध्यात्मिक उपदेश दिया बल्कि सामाजिक सद्भाव के लिए भी समाज को प्रेरित किया। हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनिल राय ने कहा कि कबीर अपने साहित्य में एक आध्यात्मिक समाजशास्त्री के रूप में उपस्थित दिखते हैं। इसके पूर्व संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने संत कबीर, गुरु गोरखनाथ और संत रैदास के पदों की संगीतमय प्रस्तुति की। संत कबीर पर तैयार डाक्यूमेंट्री का प्रदर्शन किया गया। प्रस्तुति में प्रो. उषा ङ्क्षसह व डा. शुभंकर डे का सहयोग रहा। संत कबीर अकादमी के नोडल अधिकारी प्रो. दीपक त्यागी ने अतिथियों का स्वागत व संचालन डा. राम नरेश राम ने किया। 

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