गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में संत कबीर चेयर की होगी स्थापना, विचारों पर होगा शोध Gorakhpur News

कुुुुुुलपित प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में भारतीय संत परंपरा के अध्ययन एवं शोध के लिए प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है। इसी क्रम में संत कबीर पर अध्ययन शोध के लिए संत कबीर चेयर की स्थापना को विश्वविद्यालय अग्रसर हैं।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 02:23 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 06:43 PM (IST)
गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में संत कबीर चेयर की होगी स्थापना, विचारों पर होगा शोध Gorakhpur News
गोरखपुर विश्‍वविद्यालय भवन का फाइल फोटो, जागरण।

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में बहुत जल्द संत कबीर पर अध्ययन के लिए संत कबीर चेयर की स्थापना होगी। वह चेयर संत के विचारों पर शोध करेगी। यह जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेश सिंह ने दी। वह कबीर एकेडमी नोडल केंद्र की तरफ से संत कबीर की जयंती पर आयोजित आनलाइन व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे।

भारतीय संत परंपरा के अध्ययन एवं शोध के लिए तैयार हो रहा प्लेटफार्म

कुलपति ने बताया कि संत कबीर का विचार गुरु गोरक्षनाथ के विचारों का विस्तार है। ऐसे में गोरक्षनाथ के विचारों को समझकर ही संत कबीर के विचारों का समझा जा सकता है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में भारतीय संत परंपरा के अध्ययन एवं शोध के लिए प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है। इसी क्रम में संत कबीर पर अध्ययन, शोध के लिए संत कबीर चेयर की स्थापना को विश्वविद्यालय अग्रसर हैं। कुलपति ने कहा कि संतों का जीवन एवं उनका कर्म आज भी हमारे लिए प्रासंगिक है, क्योंकि उनकी वाणी में पूरी मनुष्यता के कल्याण का बीज छिपा है। उन्होंने कहा कि काशी एवं मगहर सिर्फ शहरों के नाम नहीं हैं, बल्कि भारत को, उसके धर्म को, संस्कृति को जानना हो तो काशी व मगहर यानी गोरखपुर को भी जानना होगा।

संपूर्ण साहित्य में कबीर की वाणियों का विशेष महत्व

मुख्य अतिथि हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के कुलाधिपति प्रो.हरमोहिंदर सिंह बेदी ने कहा कि पंजाबी साहित्य ही नहीं बल्कि संपूर्ण साहित्य में कबीर की वाणियों का विशेष महत्व है। उनके यहां समग्र भारतीय दर्शन का सार तत्व है। कबीर वाणी का प्रभाव संपूर्ण पंजाबी साहित्य पर इस अर्थ में है कि पंजाबी साहित्य को वह एक नई चेतना देती है। प्रो.सदानंद शाही ने कहा कि संत कबीर खुली आंखों से देखने का प्रस्ताव करते हैं। संत कबीर पोथियों और प्रचलित रीति, रिवाजों की आलोचना करते हैं। उसे ध्यान से देखने की जरूरत है। आभार ज्ञापन हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो.अनिल राय और स्वागत प्रो.दीपक त्यागी ने किया। आनलाइन आयोजन से विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा.ओमप्रकाश, प्रो.राजवंत राव, प्रो.शीतला प्रसाद सहित बहुत से शोधार्थी भी जुड़े।

यूजीसी के नामित सदस्य बने प्रो. विनोद सिंह

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में रक्षा अध्ययन विभाग के आचार्य प्रो. विनोद कुमार सिंह को महाराष्ट्र के पुणे स्थित आबिदा इनामदार सीनियर कालेज आफ आर्ट, साइंस और कामर्स के गवर्निंग बाडी में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का नामित सदस्य बनाया गया है। बतौर सदस्य उनका कार्यकाल पांच वर्ष होगा। प्रो. सिंह गोरखपुर विवि स्थित इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के समन्वयक भी हैं।

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