यहां उजड़ रहे जंगल, बरामदगी तक सिमटे पुलिस व वन विभाग के हाथ Gorakhpur News
आश्चर्यजनक बात यह है कि यहां मानव प्रवेश वर्जित है। फिर सवाल यह है कि तब यहां से कीमती लकडिय़ां जा कैसे रही हैं। तस्करों के हाथ यहां आसानी से पहुंच कैसे रहे हैं।
गोरखपुर, जेएनएन। संरक्षित सोहगीबरवा वन क्षेत्र लुट रहा है। बरामदगी के नाम पर रखवाले (वन विभाग) मंगल गा रहे हैं। यहां मानव प्रवेश वर्जित है। फिर सवाल यह है कि तब यहां से कीमती लकडिय़ां जा कैसे रही हैं। तस्करों के हाथ यहां आसानी से पहुंच कैसे रहे हैं।
इस साल यह रही बरामदगी
नारायणी नदी में नाव पर लदी आठ बोटा लकड़ी 11 जनवरी को बरामद हुआ था। उसके बाद 21 जनवरी को कोठीभार थाना क्षेत्र के रायपुर में 22 बोटा साखू बरामद हुआ। फिर 22 फरवरी को भारत नेपाल की सीमा झुलनीपुर में छह बोटा साखू बरामद किया गया। 14 अगस्त को बड़हरा रानी में पिकअप पर लदा सात बोटा साखू बरामद हुआ। उसके बाद 28 अक्टूबर को पकड़ी रेंज में पिकअप पर लदा सात बोटा साखू बरामद हुआ।
साखू पर है लकड़ी तस्करों निशाना
ये आंकड़े बता रहे हैं कि संरक्षित सोहगीबरवा वन क्षेत्र लुट रहा है। ज्यादातर साखू ही बरामद हो रहा है। बरामदगी के नाम पर रखवाले (वन विभाग) मंगल गा रहे हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि यहां मानव प्रवेश वर्जित है। फिर सवाल यह है कि तब यहां से कीमती लकडिय़ां जा कैसे रही हैं। तस्करों के हाथ यहां आसानी से पहुंच कैसे रहे हैं।
यहां पर है लकड़ी तस्करों का दखल
पड़ोसी देश नेपाल व बिहार प्रांत से सटे वन्य क्षेत्र के निचलौल रेंज, लक्ष्मीपुर व मधवलिया सहित मुख्यालय से सटे पकड़ी रेंज के जंगलों में तस्करों की दखल, चिंताजनक है। यहां मिले कटान के बूट व लग्जरी वाहनों में पकड़ी जाने वाली कीमती लकडिय़ां, तस्करी व जंगल के कनेक्शन को बखूबी बता रही हैं।
गश्त का रूट मैप तक नहीं
अधिकारियों द्वारा जंगल में वनकर्मियों के लिए बीट का निर्धारण तो कर दिया गया है, लेकिन गश्त का कोई रूट मैप नहीं तैयार किया गया है। नारायणी नदी के रास्ते तस्कर लकडिय़ों को नेपाल व बिहार तक पहुंचा रहे हैं।
बोले डीएफओ
महराजगंज के डीएफओ पुष्प कुमार का कहना है कि जंगलों में कटान को रोकने के लिए वनकर्मियों को निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए विभाग सदैव तत्पर है।