सिद्धार्थनगर में सड़क का एप्रोच भी राप्ती नदी में हुआ समाहित, रोका गया वाहनों का आवागमन

सिद्धार्थनगर जिले में सिंगारजोत पुल के एप्रोच के शेष भाग को बचाने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग बलरामपुर जुटा हुआ है परंतु उसका प्रयास सफलता होता नहीं दिखाई दे रहा है। एप्रोच पर जहां सड़क पर दरार पड़ी थी वह हिस्सा भी नदी में समां गया।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 12:15 PM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 12:15 PM (IST)
सिद्धार्थनगर में सड़क का एप्रोच भी राप्ती नदी में हुआ समाहित, रोका गया वाहनों का आवागमन
सिंगारजोत पुल के पास नदी में समाता एप्रोच। जागरण

गोरखपुर, जागरण संवाददाता : सिद्धार्थनगर जिले में सिंगारजोत पुल के एप्रोच के शेष भाग को बचाने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग बलरामपुर जुटा हुआ है, परंतु उसका प्रयास सफलता होता नहीं दिखाई दे रहा है। एप्रोच पर जहां सड़क पर दरार पड़ी थी, वह हिस्सा भी नदी में समां गया। अब पूरा एप्रोच बह जाने का खतरा मंडराने लगा है। करीब एक सप्ताह पहले पुल के एप्रोच का कुछ हिस्सा नदी में समाहित हो गया। इसके बाद यहां भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया। देर से ही सही लेकिन विभाग की ओर से शेष बचे एप्रोच को बचाने के लिए दिन-रात काम कराया जा रहा है, परंतु इसमें सफलता मिलती नहीं दिख रही है, क्योंकि नदी लगातार कटान तेज किए हुए है।

सुरक्षा के कार्यों के बाद भी एप्रोच का कुछ और हिस्सा समां गया नदी में

यही वजह है कि सुरक्षा की द्ष्टि से कराए गए कार्यों के बाद भी एप्रोच का कुछ और हिस्सा नदी में समा गया। अब पुल के अस्तिस्त्व पर खतरा मंडराने लगा है। यदि कटान की स्थिति यही रही तो पूरा पुल नदी में समां जाएगा, क्योंकि पूरा एप्रोच कटने के बाद नदी की धारा सीधे पुल से ही टकराएगी। पुल पर आवागमन बंद होने से पड़ोसी जनपद बलरामपुर, गोंडा, अयोध्या, लखनऊ का आवागमन बंद हो गया है। लोग दूसरी रास्ते का सहारा ले रहे हैं, जहां 40-50 किमी अतिरिक्त दूरी लग रही है।

हर संभव कोशिश कर रहा है विभाग

अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी विनोद कुमार त्रिपाठी ने कहा कि विभाग अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रहा है। चूंकि नदी की धारा तेज है, इसलिए दिक्कतें आ रही हैं। फिलहाल सुरक्षा की द्ष्टि से जो संभव कदम हैं, वह उठाए जा रहे हैं।

धान की फसल में हल्दिया रोग का प्रकोप, किसान चिंतित

किसानों की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं। कहीं बाढ़ ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया तो जहां सैलाब का प्रभाव नहीं रहा, वहां धान की फसल में लग रहे हल्दिया रोग के प्रकोप ने किसानों को चिंतित कर दिया। कृषि विज्ञानियों के अनुसार रोग से काफी नुकसान होता है, समय रहते इस पर नियंत्रण होता है तो 90 फीसद तक उत्पादन में गिरावट आ जाती है। इधर कई वर्षों से इस क्षेत्र में हल्दिया रोग प्रकोप का देखा जा रहा है। इधर फिर कुछ क्षेत्रों में फसल में ये रोग लगना शुरू हो गया है। कृषि विज्ञानी डा. मारकण्डेय सिंह का कहना है कि यह मौसम रोग फैलने के लिए अनुकूल माना जाता है, इसलिए किसानों को समय रहते सचेत रहने की आवश्यकता है।

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