पढ़ाई और रहन-सहन के आधार पर होगा मानसिक रोगियों पर शोध, शुरू हुई तैयारी

जिला अस्पताल गोरखपुर में आ रहे मानसिक रोगियों को चार श्रेणियों में बांटकर अध्ययन किया जाएगा। पता किया जाएगा कि किस श्रेणी के लोग किस प्रकार के मानसिक रोगों से ज्यादा पीड़ित हैं। उनके रहन-सहन पारिवारिक आर्थिक व सामाजिक माहौल व खान-पान का अध्ययन कर कारणों की तलाश की जाएगी।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 10:02 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 10:02 AM (IST)
पढ़ाई और रहन-सहन के आधार पर होगा मानसिक रोगियों पर शोध, शुरू हुई तैयारी
अब रहन सहन के आधार पर मानस‍िक रोग‍ियों पर शोध होगा। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, गजाधर द्विवेदी। मानसिक रोगियों पर शोध की तैयारी जिला अस्पताल ने शुरू कर दी है। अनपढ़, प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा के अनुसार मरीजों की चार श्रेणियां बनाई जाएंगी। एक साल तक उनका डाटा तैयार किया जाएगा। उसके बाद रहन-सहन, बीमारी, आर्थिक, पारिवारिक व सामाजिक माहौल का अध्ययन कर मानसिक रोगों की रोकथाम की योजना बनाई जाएगी।

रोगियों को चार श्रेणियों में बांटकर किया जाएगा अध्ययन

जिला अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में आ रहे मानसिक रोगियों को चार श्रेणियों में बांटकर अध्ययन किया जाएगा। किस श्रेणी में कितने मरीज किस बीमारी के आ रहे हैं, इस पर अध्ययन कर पता किया जाएगा कि किस श्रेणी के लोग किस प्रकार के मानसिक रोगों से ज्यादा पीड़ित हैं। उनके रहन-सहन, पारिवारिक, आर्थिक व सामाजिक माहौल व खान-पान का अध्ययन कर कारणों की तलाश की जाएगी। अध्ययन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

रोगियों को चार श्रेणियों में बांटकर किया जाएगा अध्ययन

सभी मरीजों की शिक्षा, उम्र व निवास स्थान पूछकर नोट किया जा रहा है। एक साल तक डाटा एकत्र किया जाएगा, उसके बाद अध्ययन शुरू होगा। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार लगभग 30 फीसद अनपढ़, 30 फीसद प्राथमिक, 20-20 फीसद माध्यमिक व उच्च शिक्षा ग्रहण किए मरीज ओपीडी में पहुंच रहे हैं।

ज्यादातर मरीज गांवों के

मरीजों में सर्वाधिक संख्या अनपढ़ व प्राथमिक शिक्षा वालों की है। इनमें 90 फीसद गांवों में रहते हैं। माध्यमिक शिक्षा वाले भी लगभग 70 फीसद मरीज गांवों के ही हैं। उच्च शिक्षा वाले मरीजों में सात-आठ फीसद ही गांवों से आते हैं। इसलिए शोध में गांवों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

शोध की तैयारी शुरू हो गई है। सभी मरीजों का नाम, पता, उम्र, निवास स्थान, बीमारी के लक्षण व शिक्षा के बारे में पूछकर डाटा तैयार किया जा रहा है। अभी गांवों से ज्यादा मरीज ओपीडी में पहुंच रहे हैं। डाटा तैयार करने का सिलसिला कम से कम एक साल चलने के बाद ही शोध शुरू किया जाएगा। एक दिन में 60-70 मरीज आते हैं। एक साल में लगभग 25 हजार लोगों का डाटा हमारे पास एकत्र हो जाएगा। - डा. अमित कुमार शाही, मानसिक रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल, गोरखपुर।

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