जीवनरक्षक नहीं मात्र एंटीवायरल दवा है रेमडेसिविर, इससे ज्यादा कारगर है डेक्सामेथासोन
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आइएमए के सचिव और वरिष्ठ चेस्ट फिजिशियन डा. वीएन अग्रवाल के अनुसार आक्सीजन का स्तर कम होने फेफड़े में ज्यादा संक्रमण होने और वायरस के प्रभाव को कम करने में डेक्सामेथासोन से ज्यादा प्रभावशाली रेमडेसिविर नहीं है।
गोरखपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के बीच रेमडेसिविर को लेकर मची मारामारी से डाक्टर भी परेशान हो गए हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आइएमए के सचिव और वरिष्ठ चेस्ट फिजिशियन डा. वीएन अग्रवाल साफ शब्दों में कहते हैं कि आक्सीजन का स्तर कम होने, फेफड़े में ज्यादा संक्रमण होने और वायरस के प्रभाव को कम करने में डेक्सामेथासोन से ज्यादा प्रभावशाली रेमडेसिविर नहीं है। रेमडेसिविर एंटीवायरल दवा है, जीवनरक्षक नहीं है।
बढ़ गई रेमडेसिविर की मांग
कोरोना संक्रमण बढ़ने के साथ ही जैसे-जैसे मरीजों की स्थिति बिगड़ रही है, रेमडेसिविर की मांग भी बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि प्रशासन को अपनी मौजूदगी में दवा की थोक दुकानों से रेमडेसिविर उपलब्ध करानी पड़ रही है। कई लोग ऐसे हैं जो होम आइसोलेशन में होने के बाद भी रेमडेसिविर की तलाश में भटक रहे हैं। वह घर पर ही इस इंजेक्शन को लगवाना चाहते हैं। डाक्टरों का कहना है कि रेमडेसिविर के बहुत ज्यादा साइड इफेक्ट भी हैं।
नौ दिन होती है वायरस की उम्र
डा. वीएन अग्रवाल कहते हैं कि वायरस की उम्र नौ दिन होती है। वायरस हमारे शरीर में आने के साथ ही अपनी संख्या बढ़ाने लगता है। इसकी संख्या करोड़ों में हो जाती है। यदि इलाज न मिले तो शरीर में नौ दिन में ही वायरस इतना नुकसान पहुंचा देता है कि फेफड़े में संक्रमण बढ़ जाता है, खून के साथ ही शरीर के कई अंगों पर असर पड़ता है। इससे आक्सीजन कम होने लगती है। इस कमी को डेक्सामेथासोन पूरा करता है। रेमडेसिविर वायरस की संख्या बढ़ने की गति को कम कर देता है लेकिन यह जीवनरक्षक नहीं है।
बाजार में कम होने लगी डेक्सामेथासोन
रेमडेसिविर से ज्यादा डेक्सामेथासोन के कारगर होने की जानकारी आम होने के बाद बुधवार को भालोटिया मार्केट में डेक्सामेथासोन की कमी होने लगी है। राजेश फार्मा के राजेश ने बताया कि डेक्सामेथासोन की कमी होने लगी है।
यह करें, कोरोना से जीत होगी आसान
बादाम में विटामिन ई के साथ वसा भी मिलती है। यह वसा शरीर के लिए फायदेमंद होती है। जुकाम से बचाव के लिए शरीर में विटामिन ई का होना बहुत जरूरी होता है। यही वजह है कि डाक्टर बादाम खाने की सलाह देते हैं। रात में पानी में कम से कम पांच बादाम भिगोएं, सुबह बादाम का छिलका उतारकर इसका सेवन करें। आराम से चबाकर खाएं।
बुखार और सिर में दर्द शुरू होते ही होम्योपैथ की दवाएं लेना शुरू कर दें तो बीमारी आगे नहीं बढ़ पाती है। बेलाडोना 200 मिलीग्राम के सेवन से ज्यादा फायदा होता है। इसके अलावा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आर्सेनिक एलबम 30 मिलीग्राम का सेवन करें। खुद को भीड़ से दूर रखें, सुबह-शाम गुनगुने पानी से गलाला करें। मास्क लगाना सबसे बड़ा बचाव है। इसे सभी को लगाना चाहिए। - डा. प्रभाकर राय, वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक।
कोरोना शरीर को ज्यादा संक्रमित न करें इसके लिए शुरुआती दौर में ही लोग मास्क, गरम पानी, आयुष काढा़ का सेवन करें। गोल मिर्च, तुलसी, दालचीनी का काढा़ बनाकर सेवन करें। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। कोरोना का लक्षण मिलने पर आयुष काढा़, महासुदर्शन व धनबधी का शुरुआती दौर में सेवन संक्रमित व्यक्ति करता है तो निश्चित ही कोरोना पर विजय पा सकता है। मास्क जरूर लगाएं, भीड़भाड़ से बचें व हाथ को धोते रहें, इससे कोरोना से बच सकते हैं। - डा. एसएन सिंह, अधीक्षक, गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेस सोनबरसा बालापार।