धर्म परिवर्तन तो नहीं हुआ, चर्चाओं से बिगड़ता रहा माहौल Gorakhpur News
गोरखपुर में धर्म परिवर्तन तो नहीं हुआ पर धर्मांतरण कराने के कथित प्रयास को लेकर माहौल कई बार बिगड़ता रहा है। दो दशक से गोरखपुर जिले में इस तरह के किसी मामले में कोई मुकदमा भी नहीं है।
गोरखपुर, जेएनएन। गोरखनाथ मंदिर और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रभाव वाले इस क्षेत्र में योजनाबद्ध ढंग से साजिश रचकर धर्म परिवर्तन की कोई कोशिश कभी सामने तो नहीं आई, लेकिन कुछ इलाकों में गरीब तबके के लोगों का धर्मांतरण कराने के कथित प्रयास को लेकर माहौल कई बार बिगड़ता रहा है। प्रार्थना सभा आयोजित कर धर्म परिवर्तन कराने की कोशिश के आरोप को लेकर हंगामा भी खड़ा होता रहा है, लेकिन दो दशक से जिले में इस तरह के किसी मामले में कोई मुकदमा नहीं है। धर्मांतरण अध्यादेश लागू होने के बाद धर्म परिर्वतन कराने की ढंकी-छुपी कोशिशों पर भी प्रशासन प्रभावी रोक लगाने में सक्षम होगा।
गोला क्षेत्र के पड़ौली गांव की दलित बस्ती में बीते तीन नवंबर को दो युवकों ने प्रार्थना सभा आयोजित की थी। युवक एक ईसाई मिशनरी से जुड़े थे। गांव के लोगों को शक हुआ तो हंगामा शुरू कर दिया। पुलिस युवकों को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल खोलना चाह रहे हैं। इसी संबंध में लोगों से विचार-विमर्श कर रहे थे। किसी तरह की प्रार्थना सभा आयोजित करने से इन्कार किया था। हालांकि स्थानीय लोग उन पर प्रार्थना सभा की आड़ में धर्मांतरण कराने की कोशिश के आरोप पर अड़े रहे, लेकिन किसी की तरफ से तहरीर न देने की वजह से मुकदमा नहीं दर्ज हो सका। चिलुआताल इलाके के करीम नगर में जनवरी 2017 में एक व्यक्ति के लंबे समय से प्रार्थना सभा आयोजित करने की बात सामने आई थी। चर्चा आम होने पर स्थानीय लोगों ने प्रार्थना सभा आयोजित करने वाले पर धर्मांतरण की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए हंगामा भी किया था। पुलिस ने मामला शांत कराया था। किसी ने मुकदमा नहीं दर्ज कराया।
क्या है धर्मांतरण अध्यादेश
अनुसूचित जाति-जनजाति की महिला को धोखे में रखकर और नाबालिग का धर्मांतरण कराना अवैध होगा। आरोप सिद्ध होने पर दोषी को को तीन साल से लेकर 10 साल की जेल और 25 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किए जाने का प्रविधान है। सामूहिक धर्मांतरण होने पर जुर्माने की राशि बढ़कर 50 हजार हो जाएगी। धर्मांतरण कराने वाली संस्था का पंजीकरण कैंसिल कर दिया जाएगा। धर्मांतरण जबरन और छल से नहीं कराया गया है, शादी करने के लिए नहीं किया गया है, यह साबित करने की जिम्मेदारी धर्मांतरण करने और कराने वाले पर होगी। यदि कोई स्वे'छा से धर्मांतरण करना चाहता है तो दो माह पहले जिलाधिकारी को इसकी सूचना देनी होगी। इस निर्देश का उल्लंघन करने पर छह माह से तीन साल तक की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है।
धर्मांतरण अध्यादेश को लेकर यह है अधिवक्ताओं की राय
अधिवक्ता हरि प्रकाश मिश्र का कहना है कि धर्मांतरण अध्यादेश के पीछे महिलाओं को धोखे और शोषण से बचाने का उद्देश्य निहित है। एक समुदाय के लोगों के नाम बदलकर महिलाओं को अपने जाल में फंसाने के मामले आते रहे हैं। इस अध्यादेश के आने से इस पर प्रभावी रोक लगेगी। स्वे'छा से धर्मांतरण करने पर न तो कभी रोक थी और न ही इस अध्यादेश में रोक लगाई गई है। अधिवक्ता राम नारायण द्विवेदी का कहना है कि धर्मांतरण अध्यादेश लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को बाधित करने वाला है। यदि कोई धर्म परिवर्तन कर जीवन साथी चुनना चाहता है तो इस अध्यादेश की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाएगा। इस कानून की आड़ में एक समुदाय के लोगों के उत्पीडऩ की आशंका बढ़ जाएगी।