यूपी के इस जिले में बागी बने भाजपा की सियासी राह में रोड़ा, बिगाड़ दी सारी रणनीति Gorakhpur News

पडरौना में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को विधानसभा 2022 का सेमीफाइनल बताने वाले भाजपा के रणनीतिकारों की एक नहीं चली। सर्वाधिक सीट जीतने की उनकी योजना धरी रह गई। बागी कार्यकर्ता पार्टी की सियासी राह में रोड़ा बन गए।

By Rahul SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 02:10 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 02:10 PM (IST)
यूपी के इस जिले में बागी बने भाजपा की सियासी राह में रोड़ा, बिगाड़ दी सारी रणनीति Gorakhpur News
भाजपा की सियासी राह में रोड़ा बने बागी। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

मुन्ना सिंह, गोरखपुर : पडरौना में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को विधानसभा 2022 का सेमीफाइनल बताने वाले भाजपा के रणनीतिकारों की एक नहीं चली। सर्वाधिक सीट जीतने की उनकी योजना धरी रह गई। बागी कार्यकर्ता पार्टी की सियासी राह में रोड़ा बन गए। यही वजह रही कि कुशीनगर के 61 जिला पंचायत सदस्यों की सीटों में से भाजपा को सहयोगियों समेत 18 पर सिमटना पड़ा। यह दावा भी भाजपा ही कर रही है। अधिकांश सीटों पर बागी कार्यकर्ताओं के चुनाव लड़ने से पार्टी की रणनीति बिगड़ गई। काफी संख्या में निर्दल प्रत्याशी चुनाव जीत गए और भाजपा समर्थित प्रत्याशी पिछड़ गए।

रणनीति को अमलीजामा पहनाने में खूब बहाया पसीना

शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर जिला पंचायत सदस्य के चुनाव के लिए रणनीति बना पदाधिकारियों ने उसे अमलीजामा पहनाने में खूब पसीना बहाया। जिला से लेकर मंडल स्तर तक प्रभारी नियुक्त किए गए। कार्यकर्ताओं से रायशुमारी कर प्रत्याशियों का चयन किया गया।

बागी बन ठोकने लगे दमखम

बीडीसी व ग्राम प्रधान पद के लिए तो कार्यकर्ताओं को आजाद कर दिया गया, लेकिन जिला पंचायत सदस्य की सभी सीटों पर समर्थित उम्मीदवार उतारे गए। समर्थित उम्मीदवारों की घोषणा के बाद अधिकांश सीटों पर भाजपा के अपने कार्यकर्ता ही बागी बन दमखम ठोकने लगे। पूरी दमदारी के साथ बागियों ने चुनाव भी लड़ा। भाजयुमो के जिलाध्यक्ष रहे नीतीश कुमार यादव समेत छह बागी चुनाव जीत गए। इन्हें पार्टी के पदाधिकारी अपना सहयोगी मान रहे हैं। मूल रूप से भाजपा के 12 समर्थित प्रत्याशी ही चुनाव जीत पाए हैं।

भाजपा कार्यकर्ता ही बनेगा जिला पंचायत अध्यक्ष

पार्टी के जिलाध्यक्ष प्रेमचंद मिश्र कहते हैं कि शीर्ष नेतृत्व की संस्तुति से ही समर्थित प्रत्याशियों का चयन किया गया था। कुछ कार्यकर्ता व पदाधिकारी बागी बनकर चुनाव लड़ गए। उनकी वजह से कुछ सीटें प्रभावित हुई हैं। निर्दल चुनाव जीतने वाले अधिकांश सदस्य हमारे संपर्क में है। उनके सहयोग से पार्टी के कार्यकर्ता को अध्यक्ष बनाया जाएगा।

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