आरबीएसके के प्रयासों से बदल गई 32 बच्चों की जिदगी

जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) बचों को नया जीवन देने में जुटा है। पिछले छह माह में अलग-अलग परेशानियों से जूझ रहे 32 मरीजों की सर्जरी कराकर जीवन बदल दी। मरीज के स्वजन को इलाज के लिए कोई पैसा खर्च करना पड़ा।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 06:15 AM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 06:15 AM (IST)
आरबीएसके के प्रयासों से बदल गई 32 बच्चों की जिदगी
आरबीएसके के प्रयासों से बदल गई 32 बच्चों की जिदगी

सिद्धार्थनगर: जिले में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) बच्चों को नया जीवन देने में जुटा है। पिछले छह माह में अलग-अलग परेशानियों से जूझ रहे 32 मरीजों की सर्जरी कराकर जीवन बदल दी। मरीज के स्वजन को इलाज के लिए कोई पैसा खर्च करना पड़ा। जन्म से 18 वर्ष तक के बच्चों में किसी भी प्रकार के विकार, बीमारी, दिव्यांगता व शारीरिक विकास में रूकावट होने की जांच कराकर उपचार कराया जा रहा है। अप्रैल 2021 से जुलाई 2021 तक चिकित्सकीय परामर्श के बाद सभी के आपरेशन किए गए। कुछ बाल मरीजों का अभी भी उपचार किया जा रहा है। योजना के डीइआइसी मैनेजर अनंत प्रकाश ने बताया कि ब्लाक स्तर पर कार्य रही टीम के माध्यम से कैंप लगाकर बाल मरीजों को चिह्नित किया जाता है। आशा कार्यकर्ता के सूचना देने पर भी टीम पीड़ित के घर पहुंच कर स्थिति को देख उपचार के लिए प्रेरित करती हैं। मरीजों को शासन की ओर से नामित अस्पतालों से संपर्क कर इलाज कराया जाता है। इसमें गोरखपुर, कानपुर और लखनऊ के सरकारी अस्पतालों के अलावा निजी अस्पताल भी शामिल हैं।

केस-एक : खेसरहा के कैथवलिया गांव निवासी दुर्गादीन की दो वर्षीय पुत्री दीपांजली का जन्म से ही होंठ कटा होने के साथ मुख के अंदर तालू भी कटा था। उसे दूध पीने में दिक्कतें हो रही थी। परेशान स्वजन ने स्वास्थ्य विभाग से संपर्क किया। इसका निश्शुल्क सर्जरी कराकर समस्या को दूर किया गया। दुर्गादीन ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने निश्शुल्क उपचार कराकर परिवार की मदद की है।

केस- दो : नौगढ़ क्षेत्र के पटनी जंगल निवासी एक वर्षीय हिमांशु पुत्र प्रदीप का जन्म से ही होंठ कटा था। जिसकी वजह से कुछ भी खाने में दिक्कतें हो रही थी। स्वास्थ्य विभाग ने फरवरी 2021 में होंठ की सर्जरी कराकर हिमांशु को नया जीवन दिया है। पिता ने बताया कि खुद के खर्चे पर उपचार करा पाना संभव नहीं था।

अप्रैल से जुलाई तक हुए इलाज

उपचार उपचारित संख्या

टेढ़े-मेढ़े पैर 18

कटे होंठ-तालू 10

मूकबधिर 02

जन्म से हृदय रोग से ग्रसित 02

नोडल अधिकारी (आरबीएसके) डा. शेषभान गौतम ने कहा कि बच्चों का इलाज कराकर नया जीवन देने का लगातार कार्य किया जा रहा है। अब तक 32 बच्चों की अलग-अलग बीमारियों की सर्जरी कराई गई है। कई मरीजों का अभी भी उपचार चल रहा है।

chat bot
आपका साथी