बेजुबानों के लिए वरदान साबित हो रहा राजमंदिर ताल

कप्तानगंज ब्लाक के पचार से मेहड़ा गांव तक करीब सात किमी क्षेत्रफल में यह ताल फैला हुआ था। प्रशासनिक उपेक्षा की वजह से यह ताल सिमटता जा रहा है। मौजूदा समय में पिपरा माफी व राजमंदिर गांव के बीच यह ताल बड़े तालाब की शक्ल में अपना वजूद बचाए हुए है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 11:27 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 11:27 PM (IST)
बेजुबानों के लिए वरदान साबित हो रहा राजमंदिर ताल
बेजुबानों के लिए वरदान साबित हो रहा राजमंदिर ताल

कुशीनगर: प्रचंड गर्मी की वजह से ग्रामीण इलाकों के ताल, तालाब व पोखरे सूख रहे हैं। ऐसे समय में प्राचीन राजमंदिर ताल बेजुबानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। क्षेत्र के जंगली जानवर और पशु-पक्षी यहां अपनी प्यास बुझाते हैं। हालांकि प्रशासनिक उपेक्षा से यह ताल सिमटता जा रहा है। अगर इसकी खोदाई करा दी जाए तो जल संरक्षण का बेहतर स्त्रोत साबित हो सकता है।

कप्तानगंज ब्लाक के पचार से मेहड़ा गांव तक करीब सात किमी क्षेत्रफल में यह ताल फैला हुआ था। प्रशासनिक उपेक्षा की वजह से यह ताल सिमटता जा रहा है। मौजूदा समय में पिपरा माफी व राजमंदिर गांव के बीच यह ताल बड़े तालाब की शक्ल में अपना वजूद बचाए हुए है। इसके किनारे कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। बारिश के पानी के साथ आने वाली मिट्टी से यह ताल धीरे-धीरे भरता चला गया। इससे ताल की चौड़ाई व गहराई भी कम हो गई है। इसके बावजूद इसमें साल भर पानी रहता है, यहां बेजुबान अपनी प्यास बुझाते हैं। पिपरा, पचार व राजमंदिर आदि गांवों के पशुपालक इसमें अपने पशुओं को नहलाते हैं। ताल के उत्तरी किनारे पर भगवान विष्णु का मंदिर है। ग्रामीण यहां सुबह शाम टहलते हैं और शुद्ध हवा का आनंद लेते हैं। लोगों का कहना है कि चार गांवों के बीच स्थित इस ताल का अगर प्रशासन जीर्णोद्धार करा दे तो बेहतर जल संरक्षण हो सकता है। आसपास के गांवों का जलस्तर ऊपर उठ जाएगा। बीडीओ विनय द्विवेदी ने कहा कि कि ताल के कायाकल्प के लिए पंचायत चुनाव के बाद प्रस्ताव किया जाएगा। ताल को पुराने स्वरूप में लाने के लिए सकारात्मक प्रयास किया जाएगा।

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