राजधानी एक्सप्रेस के एक कदम और करीब पहुंचा गोरखपुर, रेलवे प्रशासन ने भी बताई राजधानी व वंदे भारत की जरूरत
दैनिक जागरण के मुहिम हमें चाहिए राजधानी को भी बल मिला। पूर्वांचल के प्रमुख धार्मिक ऐतिहासिक पर्यटन केंद्र और उभरती अर्थव्यवस्था वाले गोरखपुर से राजधानी सहित देश की प्रमुख ट्रेनों (वंदे भारत शताब्दी और दूरंतो) को चलाने की दैनिक जागरण की मुहिम को पंख लग गए।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। सड़क हो या रेलमार्ग। कोविडकाल में सारी व्यवस्थाएं पटरी से उतर गईं। इसके बाद भी न यातायात ठप हुआ और न विकास की गति धीमी पड़ी। पूर्वोत्तर रेलवे के बाराबंकी-गोरखपुर-छपरा करीब 425 किमी मुख्य रेलमार्ग 110 से 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार के लायक तैयार हो गया। दैनिक जागरण के मुहिम हमें चाहिए राजधानी को भी बल मिला। पूर्वांचल के प्रमुख धार्मिक, ऐतिहासिक पर्यटन केंद्र और उभरती अर्थव्यवस्था वाले गोरखपुर से राजधानी सहित देश की प्रमुख ट्रेनों (वंदे भारत, शताब्दी और दूरंतो) को चलाने की दैनिक जागरण की मुहिम को पंख लग गए। जन प्रतिनिधियों और रेलवे कर्मचारी संगठनों के बाद पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने भी दैनिक जागरण के मुहिम का समर्थन करते हुए रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा।
यात्रियों को नहीं मिला बेडरोल, पैसेंजर बनी स्पेशल
लाकडाउन के बाद एक जून 2020 से ट्रेनें स्पेशल के रूप में चलने लगीं। लेकिन वातानुकूलित बोगियों से बेडरोल और पर्दे गायब हो गए। एक्सप्रेस ट्रेनों से स्पेशल तो हट गया लेकिन पैसेंजर सवारी गाड़ी आज भी स्पेशल के रूप में चल रही हैं। यात्रियों को 15 की जगह न्यूनतम 30 रुपये किराया देने पड़ रहे हैं।
ट्रेनों में लगने लगी पेंट्रीकार, मिलने लगा कुक्ड फूड
कोविड की दूसरी लहर के बाद स्थिति सामान्य होने पर सभी नियमित ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया। ट्रेनों में पेंट्रीकार लगने लगी हैं। स्टेशन ही नहीं सफर के दौरान भी कुक्ड फूड (पका हुआ नाश्ता और भोजन) मिलने लगा है। हालांकि, स्टेशनों पर अभी भी वाटर वेंडिंग मशीनें बंद पड़ी है। यात्रियों के लिए कम दाम पर पीने के पानी का समुचित प्रबंध नहीं हो पाया है।
नई व्यवस्थाओं पर भड़के रेलकर्मी, चलता रहा धरना-प्रदर्शन
रेलकर्मियों का रात्रिकालीन यात्रा भत्ता बंद हो गया। एक सितंबर से रनिंग स्टाफ लोको पायलट और गार्ड की लाइन बाक्स की जगह ट्राली बैग अनिवार्य हो गया। इसको लेकर लोको पायलटों और गार्डों ने धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। जो अभी भी जारी है।
नेपाल तक इलेक्ट्रिक इंजन से दौड़ने लगीं ट्रेनें
पूर्वोत्तर रेलवे के 75 फीसद रेलमार्गों का विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया। गोरखपुर से नेपाल की सीमा नौतनवा तक इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया। आनंदनगर-बढ़नी रूट पर मार्च 2022 तक विद्युतीकरण का कार्य पूरा हो जाएगा।
रेलवे में लागू हुई नई व्यवस्थाएं
रेलवे अस्पतालों में लागू हुआ हास्पिटल मैनेजमेंट इंफार्मेशन सिस्टम।
रेलवे अस्पतालों में उम्मीद कार्ड पर शुरू हुईं स्वास्थ्य सेवाएं।
ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम से जारी होने लगे कर्मियों के सुविधा पास।
परिवहन विभाग और निगम के हिस्से कुछ खास नहीं
गीडा में शिफ्ट हुआ संभागीय परिवहन विभाग का कार्यालय।
चरगांवा स्थित डीटीआइ में बनने लगे ड्राइविंग लाइसेंस।
परिवहन निगम को राप्तीनगर में मिला नया वर्कशाप।