कम खर्च में बना दिया रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम

मुख्यालय के मालगोदाम रोड निवासी चार्टर एकाउंटेंट राजेश शर्मा जल संरक्षण को लेकर संजीदा हैं। उन्होंने अपने आवास परिसर में पेड़ पौधे लगाए हुए हैं। भूगर्भ जल को संरक्षित करने की भी पहल कर रहे हैं। बारिश के पानी का उपयोग यह एक टैंक में संचय करके सिचाई के लिए करते हैं। कम खर्च में ही इन्होंने यह सिस्टम बनाया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 06:15 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 06:15 AM (IST)
कम खर्च में बना दिया रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम
कम खर्च में बना दिया रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम

सिद्धार्थनगर : मुख्यालय के मालगोदाम रोड निवासी चार्टर एकाउंटेंट राजेश शर्मा जल संरक्षण को लेकर संजीदा हैं। उन्होंने अपने आवास परिसर में पेड़ पौधे लगाए हुए हैं। भूगर्भ जल को संरक्षित करने की भी पहल कर रहे हैं। बारिश के पानी का उपयोग यह एक टैंक में संचय करके सिचाई के लिए करते हैं। कम खर्च में ही इन्होंने यह सिस्टम बनाया है।

राजेश शर्मा बताते हैं कि बारिश का पानी संरक्षित नहीं हो पा रहा था। इस जल को भूगर्भ का स्त्रोत बनाने का प्रयास शुरू किया। इस संबंध में विशेषज्ञों से वार्ता की। उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम बनवाने की सलाह दी। वर्ष 2018 में तीन फीट लंबा और इतनी चौड़ाई का पहला टैंक बनवाया। इसके बाद दो और भी टैंक बनवाए। इसमें बारिश का पानी एकत्र होता है। छत का पानी पाइप के माध्यम से आता है। दो लेयर (परत) में टैंक की तलहटी बनाई गई है। तलहटी पर क्रंकीट व सीमेंट के घोल से लेपन किया गया है। सबसे पहले पानी इसमें आता है। पानी के साथ आने वाले मिट्टी इसकी तलहटी पर नीचे जम जाते हैं। वहीं पानी का स्तर ऊपर आने लगता, जो दूसरे लेयर के माध्यम से भूगर्भ में जाता है।

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35 हजार में तैयार हुआ टैंक

राजेश शर्मा ने बताया कि तीनों टैंक एक लाख रुपये में तैयार हुआ है। एक टैंक बनवाने में मजदूरी व निर्माण सामग्री समेत करीब 35 हजार रुपये का खर्च आया था। इसमें सीमेंट व क्रंकीट के घोल से तलहटी बनवाया गया था। जिसमें सीमेंट की मात्रा अधिक थी। एक टैंक में करीब एक हजार लीटर पानी एकत्र होता है। तापमान बढ़ने के साथ ही यह भूगर्भ में समाहित होता जाता है।

शिवपति पीजी कालेज, शोहरतगढ़ के प्राचार्य डा. अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि जल संरक्षण प्राचीन परंपरा है। रेन वाटर हार्वेस्टिग आवश्यक है। कुंआ की खोदाई भूगर्भ जल संरक्षण से प्राप्त पानी है। धरती का जल एक गुल्लक के समान है। ऊपर का पानी भूगर्भ में जाता है। वहीं पानी ही दोबारा निकाला जाता है। समय के साथ नगरीयकरण होने के बाद भूगर्भ जल में कमी आने लगी है। पानी धरती के अंदर नहीं जा पा रहा है। मेड़बंदी करके भी जल का संरक्षण किया जा सकता है। नदी व नालों के तलहटी को गहरा करके भी पानी का संचय संभव है।

जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि भूगर्भ जल संरक्षण के लिए सभी वर्ग को आगे आना होगा। भूगर्भ जल में दिनोंदिन कमी आती जा रही है। इसे लेकर अभी से सचेत होना होगा। अगर जागरूक नहीं हुए तो एक दिन पानी की कमी से सभी को जूझना होगा। सभी लोगों को अपने घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिग बनवाना चाहिए। भूगर्भ जल सरंक्षण को लेकर उच्चतम न्यायालय ने दिशानिर्देश दिए हैं। शासन स्तर से गाइडलाइन जारी हुई है। सभी सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम को अनिवार्य किया गया है।

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