कोरोना काल के बाद रेलवे ने बनाना शुरू किया एमएसटी, महज तीन दिन में 71 लोगों ने बनवाया
कोरोना का प्रकोप शुरू होने और पहली बार लाक डाउन लगने के बाद रेलवे ने मासिक सजीन िटिकट बनाना बंद कर दिया था। पूर्वोत्तर रेलवे ने पैसेंजर ट्रेनों लिए एमएसटी बनानी शुरू कर दी है। तीन में 71 लोगों ने एमएसटी बनवाई है।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। बुकिंग शुरू होते ही मासिक सीजन टिकट (एमएसटी) के प्रति यात्रियों का रुझान बढ़ गया है। सिर्फ गोरखपुर जंक्शन से ही महज तीन दिन में 71 टिकट बुक हुए हैं। 21 सितंबर को 14 और 22 सितंबर को 30 तथा 23 को 27 टिकट बुक हो गए। लगातार टिकट बुक हो रहे हैं। कोरोना की पहली लहर में लाक डाउन लगने के बाद रेलवे ने एमएसटी बंद कर दिया था। कोरोना काल के बाद एमएसटी अब बननी शुरू हुई है।
अभी पैसेंजर ट्रेनों के लिए ही बनाई जा रही एमएसटी
आम यात्रियों की मांग पर लाकडाउन के बाद से पूर्वोत्तर रेलवे में पहली बार एमएसटी की बुकिंग शुरू हुई है। गोरखपुर के अलावा, लखनऊ, वाराणसी और इज्जतनगर मंडल के लोकल यात्रियों की राह आसान हो गई है। फिलहाल, मासिक सीजन टिकट सिर्फ पैसेंजर ट्रेनों (सवारी गाड़ियों) के लिए ही बुक हो रहे हैं। बुकिंग और रियायत भी पूर्व की भांति ही मिल रही है।
आरक्षित ट्रेनों में एमएसटी पर यात्र करने पर जारी है रोक
यात्रियों को निर्धारित रूट पर चलने वाली दूसरी अनारक्षित पैसेंजर ट्रेनों में तो एमएसटी पर यात्रा की सुविधा मिल जा रही, लेकिन आरक्षित एक्सप्रेस ट्रेनों में एमएसटी मान्य नहीं है। एमएसटी के साथ एक्सप्रेस ट्रेनों में पकड़े जाने पर किराए के साथ जुर्माना भी देना पड़ेगा। दरअसल, जनरल टिकट सिर्फ पैसेंजर ट्रेनों के लिए ही बुक हो रहे हैं। इन ट्रेनों का किराया भी एक्सप्रेस का लग रहा है। जबकि, एक्सप्रेस ट्रेनों के जनरल कोचा के लिए अभी भी आरक्षित टिकट ही बिक रहे हैं।
गोरखपुर से इन ट्रेनों के लिए बुक हो रहे एमएसटी
गोरखपुर-छपरा-गोरखपुर, गोरखपुर-नरकटियागंज-गोरखपुर, गोरखपुर-सीवान-गोरखपुर (इस नाम से दो ट्रेन चलती हैं), गोरखपुर-सीतापुर-गोरखपुर, गोरखपुर-पाटलीपुत्र-गोरखपुर, गोरखपुर-गोंडा-गोरखपुर, गोरखपुर-नौतनवा-गोरखपुर और गोरखपुर-बढ़नी-गोरखपुर।
यह भी जानें
- अधिकतम 150 से 160 किमी तक का बनता है मासिक, त्रमासिक, छमाही व वार्षिक सीजन टिकट।
- यात्रियों को किराए में 25 फीसद तक की रियायत मिलती है। रोजाना बुक नहीं करना पड़ा है टिकट।
- जन प्रतिनिधियों की पहल पर कामगारों को तो महज 25 रुपये में बन जाता है इज्जत मासिक टिकट।