पैसेंजर ट्रेनों की राह देख रहे रेलवे के जनरल टिकट एजेंट, एक साल से बंद हैं जेटीबीएस

पर्याप्त पैसेंजर ट्रेनों (सवारी गाड़ी) के नहीं चलने से जन साधारण टिकट बुक‍िंंग सेवक (जेटीबीएस) सेंटर आज तक नहीं खुले। पिछले साल 23 मार्च लाकडाउन से ही बंद पड़े हैं। दर्जनों एजेंट रेलवे प्रशासन के दिशा-निर्देश का इंतजार कर रहे हैं।

By Pradeep SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 12:05 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 09:09 AM (IST)
पैसेंजर ट्रेनों की राह देख रहे रेलवे के जनरल टिकट एजेंट, एक साल से बंद हैं जेटीबीएस
गोरखपुर में रेलवे का जेटीबीएस एक साल से बंद हैं। - प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

गोरखपुर, जागरण संवाददाता। रेलवे स्टेशन के सामने जनरल टिकट बेचने वाले एजेंटों के सामने रोजी-रोटी का संकट गहराता जा रहा है। बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई, कल-कारखानों के ताले खुल गए। स्टेशन के रूप में सभी एक्सप्रेस ट्रेनें चलने लगीं। लेकिन पर्याप्त पैसेंजर ट्रेनों (सवारी गाड़ी) के नहीं चलने से जन साधारण टिकट  बुक‍िंंग सेवक (जेटीबीएस) सेंटर आज तक नहीं खुले। पिछले साल 23 मार्च लाकडाउन से ही बंद पड़े हैं। दर्जनों एजेंट रेलवे प्रशासन के दिशा-निर्देश का इंतजार कर रहे हैं।

26 में से चल रहीं महज नौ सवारी गाडिय़ां, लोकल यात्रियों का टोटा

पैसेंजर ट्रेनों का संचालन शुरू होने के साथ मार्च 2021 में रेलवे प्रशासन ने जेटीबीएस खोलने की हरी झंडी दे दी थी। लेकिन कोरोना के दूसरी लहर में ट्रेनों के निरस्तीकरण के साथ आदेश वापस ले लिया। अब स्थिति सामान्य होने के बाद भी न लोकल यात्रियों की संख्या बढ़ रही और न पर्याप्त पैसेंजर ट्रेनें चल रहीं। गोरखपुर जंक्शन से ही महज नौ पैसेंजर गाडिय़ां चल रही हैं। जबकि, सामान्य दिनों में 26 चलती थीं। एक तो पर्याप्त ट्रेनें नहीं चल रहीं, ऊपर से बढ़ा हुआ किराया कोढ़ में खाज काम कर रहा है। पैसेंजर ट्रेनों में चलने पर भी एक्सप्रेस का किराया देना पड़ रहा है।

4 से 5 किमी की यात्रा करने में भी देने पड़ रहे 15 की जगह 30 रुपये किराया

गोरखपुर से कैंट, डोमिनगढ़ और नकहा 4 से 5 किमी की यात्रा करने में भी 15 की जगह 30 रुपये किराया देने पड़ जा रहे हैं। किराया दो गुना हो गया। ऐसे में यात्रियों की संख्या भी नहीं बढ़ पा रही। गोरखपुर से रोजाना लगभग 1500 टिकट ही बुक हो रहे हैं। टिकट एजेंट राहुल कुमार का कहना है कि जनरल के साथ प्लेटफार्म टिकटों की बिक्री भी हो जाती थी। अब तो परिवार चलाना भी मुश्किल हो गया है। छोटे और हाल्ट स्टेशनों पर तैनात स्टेशन टिकट बुक‍िंग एजेंट (एसटीबीए) भी परेशान हैं। टिकटों की बुक‍िंग तो शुरू हो गई है लेकिन न बुक‍िंग बढ़ पा रही न उन्हें कमशीन मिल रहा। एक माह में मुश्किल से पांच सौ से एक हजार रुपये की आमदनी हो पा रही है। वहीं लंबी दूरी की एक्सप्रेस ट्रेनों का स्पेशल के नाम पर किराया बढऩे पर भी कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा है।

डिमांड पर ही बढ़ेगी पैसेंजर ट्रेनों की संख्या

जानकारों का कहना है कि यात्रियों की संख्या बढऩे व मांग (डिमांड) पर ही आवश्यकतानुसार पैसेंजर ट्रेनों की संख्या बढ़ेगी। इसके साथ ही जेटीबीएस भी खुलने लगेंगे। फिलहाल, रेलवे प्रशासन ने ट्रेनों को चलाने की तैयारी पूरी कर ली है। सभी एक्सप्रेस ट्रेनें स्पेशल के रूप में चलने लगी हैं।

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